IIT पटना की मशीन से होगा कोरोना का खात्मा:डिस इंफेक्टेड मशीन को नहीं लगाना होगा हाथ,
पास आते ही वायरस पर अटैक करेगी
IIT पटना के स्टूडेंट्स ने कोरोना का खात्मा करने वाली मशीन तैयार की है। मशीन को हाथ लगाए बिना फुल बॉडी डिस इंफेक्टेड हो जाएगी। मशीन में इंसान के शरीर को डिस इंफेक्ट करने के लिए WHO द्वारा प्रमाणित केमिकल के कॉम्बिनेशन का प्रयोग किया गया है जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। पटना AIIMS ने मशीन का ट्रायल कर लिया है और अब इसका प्रयोग कोरोना की संभावित लहर में किया जा सकता है।
पटना AIIMS की मॉनिटरिंग में बनी मशीन
IIT पटना के इनक्यूबेशन सेंटर के वरुण कुमार शाही ने अन्य स्टूडेंट्स के साथ मिलकर मशीन को तैयार किया है। वरुण का कहना है कि कोरोना काल से ही इस मशीन पर काम चल रहा था, लेकिन IIT पटना में कोरोना का बम फूटा और साथी स्टूडेंट्स घर चले गए। इस दौरान पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के कई डॉक्टर भी कोरोना संक्रमित हो गए। ऐसे में वरुण ने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए मशीन बनाने की ठान ली और पटना AIIMS के डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. योगेश कुमार के गाइडेंस में मशीन का काम पूरा कर लिया।
सेंसर ऐसा कि हाथ लगाए बिना वायरस पर वार
वरुण कुमार शाही ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि कोरोना काल में सरकार ने वायरस को खत्म करने और कंट्रोल करने को लेकर आइडिया पर काम करने को कहा था। डॉक्टरों की चुनौतियों को देखते हुए इस मशीन का आइडिया आया था। डॉक्टरों और हेल्थ वर्करों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डिसइंफेक्टेड मशीन पर काम किया गया।
ऑटोमेटिक मोड पर चलती है मशीन
वरुण का कहना है कि मशीन में कोई बटन नहीं है। इंसान के शरीर पर वायरस चिपका हो तो वह इस मशीन से बचकर नहीं जाएगा। मशीन में वायरस के DNA तोड़ने की क्षमता है। मशीन हर तरह के वायरस और बैक्टीरिया काे नष्ट कर देता है। मशीन इंसान के शरीर को 2 से 3 सेकंड में फुल डिस इंफेक्टेड कर देने की क्षमता रखती है। वरुण ने बताया कि मशीन की आयु 10 साल है, हर 3 माह पर इसकी सर्विसिंग होगी। मशीन को तैयार करने में उन्हें लगभग 9 महीने का समय लगा है, जिसमें इस मशीन का टेस्टिंग, मॉडिफिकेशन और अपग्रेडेशन किया जा सका है।
इसलिए खास है यह मशीन
पटना AIIMS के डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. योगेश कुमार ने बताया कि यह दिखने में अन्य दूसरी डिस इंफेक्टेड टनल जैसी ही है, लेकिन इसकी कई विशेषताएं हैं जो इसे अलग करती हैं। इसका मिस्ट का साइज काफी छोटा है, जिससे डिस इंफेक्टेड का प्रभाव अधिक है। डिस इंफेक्टेड टनल में जमा मिस्ट नाले में जाता है। सामान्य डिस इंफेक्टेड टनल में बॉडी डिस इंफेक्टेशन के बाद जमीन पर काफी पानी जमा होता है, लेकिन इस मशीन में ऐसा नहीं है। डॉ. योगेश का दावा है कि इससे संक्रमण फैलने का खतरा शून्य होता है। यह अस्पतालों और बड़े पब्लिक प्लेस में काफी उपयोगी साबित हो सकती है। इस मशीन में सबसे बड़ी बात है कि इसमें ब्लोअर का इस्तेमाल किया गया है जो आंख, कान, नाक और मुंह को किसी भी नुकसान से बचाता है।
ऐसे काम करता है मशीन
मशीन में डिस इंफेक्टेड के लिए बनाए गए छिद्र काफी छोटे हैं जो लिक्विड के बजाय मिस्ट छोड़ते हैं। इसका फोर्स से भी काफी तेज होता है। इससे वाष्प सेकेंड में ही पूरे शरीर को डिस इंफेक्ट कर देता है। यह डोर फ्रेम डिस इंफेक्टेंट मशीन के रूप में तैयार किया गया है। इसे हॉस्पिटल और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर एंट्री गेट पर लगाकर कोरोना से बचाव किया जा सकता है।
IMA ने कहा कोरोना को मिलेगी चुनौती
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बिहार के सेक्रेटरी डॉ. सुनील कुमार का कहना है कि यह मशीन कोरोना को चुनौती देने वाली है। इसमें एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। डॉ. सुनील कुमार ने दावा किया कि इस मशीन से कोरोना की संभावित लहर में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने इस मशीन को पटना एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और सरकारी अस्पतालों में लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि डॉक्टरों को ध्यान में रखकर बनाई गई मशीन कोरोना से बचाव में बड़ा काम करेगी।
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