G-20 में भारत ने किया NSG सदस्यता का जिक्र, पीयूष गोयल ने गिनाई जरूरतें
रोम. इटली (Italy) में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत ने न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप (NSG) में सदस्यता का जिक्र कर दिया. भारतीय पक्ष ने रविवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन से जुड़े लक्ष्यों को पूरा करने के तार सदस्यता से जुड़े हो सकते हैं और साथ ही इसकी जरूरतें भी बताई गईं. खास बात है कि चीन (China) की आपत्ति के चलते NSG में भारत की सदस्यता अटकी हुई है. जी20 में शामिल हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने ऊर्जा के मुद्दे पर कहा कि न्यूक्लियर सप्लाई समेत कई चीजों के लिए हमारे लिए NSG की सदस्यता जरूरी है.
भारत ने कहा कि एक न्यूक्लियर राज्य के रूप में जिम्मेदार व्यवहार के चलते उसे एनएसजी की सदस्यता मिलनी चाहिए. भारत की तरफ से यह बात ‘कॉमन बट डिफ्रेंशियेटेड रिस्पॉन्सिबिलिटीज एंड रिस्पेक्टिव कैपेबिलिटीज (CBDR-RC)’ के सिद्धांतों के मांग के साथ उठाई गई है. जब गोयल से पूछा गया कि कोयला से अन्य तकनीकों पर जाने के लिए भारत को किस समर्थन की जरूरत पड़ेगी, तो उन्होंने कहा, ‘यह कुछ ऐसा है, जिसे जलवायु परिवर्तन के लिए उपलब्ध तकनीकों के प्रकारों के संबंध में तय करना होगा. उदाहरण के लिए हमारी तकनीक को कोयला से न्यूक्लियर बदलने के लिए हमें न्यूक्लियर प्लांट स्थापित करने के लिए बड़े स्तर पर पूंजी की जरूरत पड़ सकती है. हमारे विकास की अनिवार्य रूप से भविष्य और मौजूदा जरूरत को बदलने के लिए दोनों की जरूरत होगी.’ उन्होंने कहा, ‘न्यूक्लियर सप्लाई और ऊर्जा की कीमतों से जुड़ी अन्य चिंताओं के लिए हमें न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप का सदस्य बनने की जरूरत है.’
इसके अलावा बैठक में कोविड-19 के खिलाफ जारी टीकाकरण और अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर भी चर्चा हुई. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत के प्रमुख वार्ताकारों ने कहा कि देशों ने बेरोक टोक यात्रा को लेकर साझा हितों की बात मानी है. इसमें टेस्टिंग की जरूरत और उसके परिणाम, वैक्सीन सर्टिफिकेट, डिजिटल आवेदनों को साझा मान्यता शामिल है. खास बात है कि इन बातों पर भारत लगातार जोर दे रहा है.
भाषा के अनुसार, गोयल ने यहां मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि नेताओं ने जी-20 शिखर सम्मेलन में ‘रोम घोषणापत्र’ को अंगीकार किया और बयान स्वास्थ्य खंड के तहत एक बहुत ही मजबूत संदेश देता है, जिसमें सहमति जताई गई है कि कोविड-19 टीकाकरण दुनिया के लिए फायदेमंद है. गोयल ने कहा कि यह निर्णय लिया गया कि डब्ल्यूएचओ द्वारा सुरक्षित और प्रभावी समझे जाने वाले कोविड-19 रोधी टीकों की मान्यता को देशों के राष्ट्रीय और गोपनीयता कानूनों के अधीन पारस्परिक रूप से स्वीकार किया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बात पर सहमति बनी है कि हर कोई टीका अनुमोदन और आपातकालीन उपयोग मंजूरी के लिए डब्ल्यूएचओ की प्रक्रियाओं को अनुकूल बनाने में मदद करेगा और डब्ल्यूएचओ को मजबूत किया जाएगा ताकि वह टीकों की पहचान तेजी से कर सके.’