NCB फिर सवालों के घेरे में:1 साल में 5 ड्रग्स केस की फाइल जांच के लिए खोलीं,
इनमें एक व्यक्ति ऐसा जो हर मामले में गवाह रहा
क्रूज ड्रग्स केस में आर्यन खान को आज आर्थर रोड जेल से रिहा कर दिया गया। इस पूरे केस में NCB की कार्रवाई पर लगातार सवाल उठते रहे। NCP नेता नवाब मलिक ने NCB के जोनल हेड समीर वानखेड़े पर गलत कार्रवाई करने का आरोप लगाया। अब नारकोटिक्स ब्यूरो पर एक नया सवाल खड़ा हो गया है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एजेंसी ने एक साल में ड्रग्स से जुड़े पांच केस लॉन्च किए बल्कि हर केस में आदिल फजल उस्मानी को गवाह बनाकर पेश किया। कॉर्डेलिया क्रूज शिप केस में भी NCB के 10 गवाहों में आदिल फजल उस्मानी शामिल था। उसके अलावा केपी गोसावी और मनीष भानुशाली को लेकर भी NCB पर सवाल उठाए गए हैं। गोसावी अब पुलिस की गिरफ्त में हैं, जबकि भानुशाली के BJP से कनेक्शन है। वहीं एक गवाह प्रभाकर सैल ने समीर वानखेड़े पर आरोप लगाया है कि उनसे खाली कागज पर साइन कराए गए।
NCB की सफाई- लोग कानूनी कार्रवाई से बचते हैं, इसलिए अपने गवाहों के पास जाना पड़ता है
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, NCB अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें जाने-पहचाने गवाहों के पास ही जाना पड़ता है, क्योंकि ड्रग रेड के दौरान लोग कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए सामने आने से कतराते हैं। इस बारे में कोर्ट कहता रहा है कि ऐसे गवाहों को बार-बार इस्तेमाल करने का मतलब है कि वे पुलिस के अंगूठे के नीचे हैं और उन्हें स्वतंत्र गवाह नहीं माना जा सकता है।
उस्मानी, गोसाववी, भानुशाली और सैल के अलावा NCB ने ऑब्रे गोमेज, वी वाईगनकर, अपर्णा राणे, प्रकाश बहादुर, शोएब फैज और मुजम्मिल इब्राहिम को कॉर्डेलिया केस में गवाह बनाया गया है। इनमें से कुछ कॉर्डेलिया क्रूज के सिक्योरिटी स्टाफ मेंबर हैं।
नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े पर लगाए गंभीर आरोप
नवाब मलिक इस केस की शुरुआत से ही समीर वानखेड़े के काम करने के तरीकों पर सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने वानखेड़े को झूठा और फर्जी बताया था। उन्होंने कहा था कि NCB ने क्रूज से कुछ लोगों को ही हिरासत में लिया, जबकि बाकि लोगों को जाने दिया। मलिक ने वानखेड़े का बर्थ सर्टिफिकेट पोस्ट करक लिखा कि समीर दाऊद वानखेड़े फर्जी आदमी हैं। उनका बर्थ सर्टिफिकेट समीर दाऊद वानखेड़े के नाम का है। बर्थ सर्टिफिकेट में टेम्परिंग करके उनके पिता ने जो नाम बदला था, उसके आधार पर कास्ट सर्टिफिकेट निकाला गया। इसके बाद दलित कैंडिडेट का हक मारकर वे IRS अफसर बन गए हैं।
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