NCRB की रिपोर्ट: लॉकडाउन के दौरान 10% बढ़े सुसाइड केस, सड़क हादसे…
नई दिल्ली. कोरोना महामारी (Corona Epidemic) के दौरान क्या भारत (India) में आकस्मिक मौत (Accidental Death) और आत्महत्याओं (Suicide) के मामले बढ़े हैं. ये सवाल पिछले काफी समय से चर्चा में रहा है. हालांकि अब राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB ) ने साल 2020 से जुड़ी जो रिपोर्ट पेश की है वह काफी चौंकाने वाली है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 के दौरान, जहां आत्महत्याओं के मामलों में साल 1967 के बाद से सबसे बड़ा उछाल देखने को मिला है, वहीं सड़क हादसों में काफी कमी आई है. आत्महत्या करने वालों में छात्रों और छोटे उद्यमियों की संख्या काफी ज्यादा दिखाई पड़ती है. एनसीआरबी की ये रिपोर्ट जनवरी से दिसंबर 2020 तक के आंकड़ों को दिखाती है. रिपोर्ट के मुताबिक इस एक साल में आत्महत्या के 153,052 नए मामले सामने आए जो साल 1967 के बाद सबसे अधिक हैं.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने साल 2020 से जुड़ी जो रिपोर्ट पेश की है उसे देखने से पता चलता है कि देश में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पिछले एक साल में देश में 153,052 आत्महत्या के मामले सामने आए हैं. यह संख्या साल 2019 से 10% बढ़ी है. निश्चित रूप से, जनसंख्या के हिस्से के रूप में, ऐसी मौतों की दर अभूतपूर्व नहीं है. आत्महत्या से होने वाली मौतों की संख्या, जब प्रति लाख जनसंख्या द्वारा समायोजित की गई तो ये आंकड़ा साल 2020 में 11.3 प्रतिशत था. ऐसे में सवाल किया जाना लाजमी है कि क्या लॉकडाउन के तनाव ने आत्महत्या के मामलों में वृद्धि की है. जब रिपोर्ट में छात्रों और पेशेवरों के आंकड़ों को देखा जाता है तो कहा जा सकता है कि हां इसके लिए लॉकडाउन का तनाव जिम्मेदार है. बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान 68 दिनों के लंबे लॉकडाउन की वजह से लोगों का काफी नुकसान उठाना पड़ा था. इस दौरान न तो स्कूल-कॉलेज खोले गए और न ही दुकान खोलने की इजाजत दी गई.
7 अक्टूबर को हिन्दुस्तान टाइम्स द्वारा रिपोर्ट की गई शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत में अभी भी 29 मिलियन छात्रों के पास डिजिटल उपकरणों की पहुंच नहीं है. ऑनलाइन शिक्षा जारी रखने के लिए संसाधनों का उपयोग करने में असमर्थता के कारण छात्रों के आत्महत्या करने की कई रिपोर्टें आई हैं. हर साल आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या कुल आंकड़ों का 7 से 8 प्रतिशत होता था जो साल 2020 में बढ़कर 21.2% हो गया है. इसके बाद प्रोफेशनल लोगों की संख्या 16.5 प्रतिशत, दैनिक वेतन पाने वाले 15.67 प्रतिशत और बेरोजगार 11.65 प्रतिशत के आसपास थे.
रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि वेतनभोगी पेशेवरों की तुलना में छोटे व्यवसायियों को अधिक नुकसान हुआ. विक्रेताओं और व्यापारियों की आत्महत्या से होने वाली मौतों में क्रमशः 26.1 प्रतिशत और 49.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई. ये सभी आंकड़े बताते हैं कि शिक्षा जारी रखने में कठिनाई और महामारी के कारण वित्तीय नुकसान की वजह से भारत में भारी कीमत चुकानी पड़ी है.
देश में लगे 68 दिनों के लंबे लॉकडाउन के दौरान शहर की सुनसान सड़कों की काफी तस्वीरें वायरल हुईं थी. इससे सड़क हादसों की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिली है. ADSI की रिपोर्ट के मुताबिक सड़क हादसों में होने वाले मौतों में 11 प्रतिशत की कमी आई है. साल 2020 में 374,397 आकस्मिक मौतें हुई थीं. 2009 के बाद से यह सबसे कम संख्या है जब ऐसी मौतों की संख्या 357,021 थी. 2019 की तुलना में इस तरह की मौतों में 11.1% की गिरावट आई है.