रणनीति वही, लेकिन बदलेगा तौर-तरीका… 5 राज्यों के लिए BJP का नया मास्टर प्लान
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा नेतृत्व युवा, महिला, दलित, किसान, ओबीसी, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदाय तक पहुंचने के लिए नई रणनीति पर काम कर रहा है। इसके तहत भाजपा अग्रिम मोर्चे अहम भूमिका में होंगे। हर मोर्चे को लक्षित वर्ग तक व्यापक पहुंच बनाने का काम सौंपा जाएगा। उनका काम पार्टी के केंद्रीय चुनाव अभियान से अलग होगा।
भाजपा संगठन जनवरी में शुरू होने वाले मुख्य चुनाव प्रचार अभियान से पहले मजबूत जमीन तैयार करने के लिए अपने विभिन्न मोर्चों को अहम जिम्मेदारी सौंप रहा है। इनमें युवा मोर्चा, महिला मोर्चा, किसान मोर्चा, अनुसूचित जनजाति मोर्चा, ओबीसी मोर्चा, अनुसूचित जनजाति मोर्चा और अल्पसंख्यक मोर्चा शामिल है। सभी मोर्चों को अपने-अपने लक्षित वर्ग तक व्यापक पहुंच बनानी होगी। संवाद और संपर्क के जरिये पार्टी की नीतियों खासकर संबंधित वर्गों के लिए किए गए कामों और योजनाओं को पहुंचाना होगा।
युवा और महिला मोर्चा की अहम भूमिका होगी
सूत्रों के अनुसार, सबसे अहम भूमिका युवा मोर्चा की होगी, जो युवाओं को रोजगार, स्वरोजगार, शिक्षा जैसे मुद्दों पर सरकार के द्वारा किए जा रहे कार्यों को पहुंचाएगा। महिला मोर्चा को आधी आबादी से संपर्क करने को कहा गया है। ओबीसी मोर्चा का काम भी महत्वपूर्ण रहेगा। वह मोदी सरकार द्वारा ओबीसी के हित में लिए गए फैसले और उपलब्धियों को लेकर जाएगा।
किसान मोर्चा पर भ्रम दूर करने की जिम्मेदारी
किसान मोर्चा पर तीन कृषि कानूनों को लेकर विपक्षी द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम और किसानों के एक वर्ग द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन को लेकर गांव-गांव जाकर अपनी बात रखने की जिम्मेदारी होगी। हालांकि, इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि कहीं कोई टकराव न हो।
रणनीति एक ही होगी, तौर-तरीका बदलेगा
आमतौर पर चुनाव अभियान में भाजपा का केंद्रीय संगठन और मोर्चे सभी मिलकर एक ही रणनीति पर काम करते हैं। इस बार भी रणनीति एक ही होगी, लेकिन तौर-तरीकों में कुछ बदलाव होगा। यही वजह है कि पार्टी मुख्य चुनाव प्रचार अभियान के पहले अपने विभिन्न मोर्चों को उनके लक्षित वर्ग तक जाकर काम करने का जिम्मा सौंप रही है। पार्टी की यह मोर्चे चुनावी राज्यों में वहां के प्रदेश मोर्चों के साथ मिलकर रणनीति बनाएंगे और उन पर अमल करेंगे।
पार्टी का मानना है कि इससे सकारात्मक संदेश नीचे तक पहुंच सकेगा। इनके अभियान में कोई घालमेल नहीं होगा। यह काम छोटे-छोटे समूहों में संवाद और संपर्क के जरिये किया जाएगा। इसमें सोशल और डिजिटल मीडिया का भी काफी उपयोग होगा। टि्वटर, फेसबुक, यूट्यूब एवं अन्य डिजिटल माध्यमों के जरिये भी काम किया जाएगा।