आज का इतिहास:58 साल पहले देश को मिला भाखड़ा-नांगल,
ये भारत के साथ ही एशिया का भी दूसरा सबसे ऊंचा बांध
58 साल पहले 22 अक्टूबर 1963 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भाखड़ा नांगल डैम को राष्ट्र को समर्पित किया था। ये देश का दूसरा सबसे बड़ा बांध होने के साथ ही एशिया का भी दूसरा सबसे बड़ा बांध है।
डैम को बनाने का आइडिया ब्रिटिश जनरल लुई डेन के दिमाग की उपज थी। लुई एक बार हिमाचल के भाखड़ा में एक तेंदुए का पीछा करते हुए सतलज नदी की तराई में पहुंच गए। यहां उन्होंने सतलज नदी के बहाव को देखा तो सोचा कि इसका इस्तेमाल तो बिजली बनाने में किया जा सकता है।
1908 में उन्होंने इसके लिए ब्रिटिश सरकार को एक प्रस्ताव भेजा लेकिन सरकार ने पैसों की कमी का हवाला देते हुए मना कर दिया। इसके करीब 10 साल बाद तत्कालीन चीफ इंजीनियर एफ.ई. वैदर के प्रयासों से एक विस्तृत रिपोर्ट बनाई गई, जिसमें 395 फीट ऊंचा बांध बनाने का प्रस्ताव था।
हालांकि, बांध की प्रोजेक्ट रिपोर्ट कई बार बनी, लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से पास न हो सकी। आखिरकार 1948 में प्रोजेक्ट रिपोर्ट पास हो पाई। इस रिपोर्ट में भाखड़ा डैम, नांगल डैम और नहरों को बनाने का प्रस्ताव था।
कहा जाता है कि भाखड़ा-नांगल नहर परियोजना पर पंडित नेहरू को बेहद गर्व था। नेहरू ने इसके निर्माण के दौरान परियोजना का 10 बार दौरा किया।
1951 में प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ। अमेरिका से इंजीनियरों की टीम बुलाई गई। फैसला लिया गया कि पहले नहर बनाई जाएगी ताकि किसानों को जल्द से जल्द सिंचाई के लिए पानी मिल सके। सामान लाने ले जाने के लिए रोपड़ से नांगल तक 60 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाई गई, सड़कें भी बनाई गईं और 50 बेड का एक अस्पताल भी बनाया गया।
दरअसल, भाखड़ा और नांगल दोनों अलग-अलग बांध हैं, लेकिन एक ही प्रोजेक्ट के तहत दोनों को बनाया गया है। भाखड़ा बांध हिमाचल के बिलासपुर जिले में है, जबकि करीब 10 किलोमीटर दूर पंजाब में नांगल बांध है।
1954 में नेहरू ने इस परियोजना का उद्घाटन किया था और आज ही के दिन 1963 में डैम को राष्ट्र को समर्पित किया गया।
2008: चांद की ओर बढ़े थे भारत के कदम
आज का दिन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए बेहद खास है। इसरो ने 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 का सफल लॉन्च किया था। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बना था। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किए गए चंद्रयान-1 में भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन और बुल्गारिया में बने 11 साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स लगे थे।
वैसे तो यह मिशन दो साल का था, लेकिन जब इसने अपने उद्देश्य पूरे कर लिए तो चांद के गुरुत्वाकर्षण बल से जुड़ा डेटा जुटाने के लिए सतह से इसकी ऊंचाई 100 किमी से बढ़ाकर 200 किमी की गई थी। इसी दौरान 29 अगस्त 2009 को इससे रेडियो संपर्क टूट गया। तब तक इसने चांद की रासायनिक, मिनरलॉजिक और फोटो-जियोलॉजिकल मैपिंग कर ली थी।
अंतरिक्ष में भारत के सुपरपॉवर बनने की दिशा में चंद्रयान-1 ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
चंद्रयान-1 ने आठ महीने में चांद के 3,000 चक्कर लगाए और 70 हजार से ज्यादा तस्वीरें भेजीं। इनमें चांद पर बने पहाड़ों और क्रेटर को भी दिखाया गया था। चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों में अंधेरे इलाके के फोटो भी इसने भेजे। इस मिशन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी चांद पर पानी के होने की पुष्टि। इसरो ने अपने डेटा को एनालाइज कर इसकी घोषणा की और दो दिन बाद नासा ने भी इसकी पुष्टि की।
चंद्रयान-1 की सफलता के बाद ही भारत ने चंद्रयान-2 और मंगलयान जैसे मिशन का सपना देखा और सफलता हासिल की।
22 अक्टूबर के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…
2011: पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में लकड़ी का पुल टूटने से 31 लोगों की मौत हुई। बिजानबारी में अधिकारियों के भाषण सुनने के लिए 150 गांवों से लोग आए थे।
1975ः तुर्की के राजनयिक की वियना में गोली मारकर हत्या।
1883ः न्यूयाॅर्क में ओपेरा हाउस का उद्घाटन।
1879ः ब्रिटिश शासन में पहला राजद्रोह का मुकदमा बसुदेव बलवानी फड़के के खिलाफ शुरू हुआ।
1875ः अर्जेंटीना में पहले टेलीग्राफिक कनेक्शन की शुरुआत हुई।
1867ः नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ कोलंबिया की आधारशिला रखी गई।
1796ः पेशवा माधव राव द्वितीय ने आत्महत्या की।
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