प्रियंका 6 महीने से बना रही थीं मास्टर प्लान:हाथरस हो या लखीमपुर हिंसा…
हर मसले पर ग्राउंड पर पहुंची प्रियंका, अब 6.5 करोड़ महिला वोटर पर नजर
उत्तर प्रदेश में महिलाओं को लेकर प्रियंका गांधी पिछले 6 महीने से ग्राउंड पर फ्रंट फुट पर हैं। लखीमपुर, हाथरस हो या उन्नाव रेप कांड हर जगह प्रियंका गांधी ने महिलाओं का पक्ष मजबूती से उठाया। अब विधानसभा चुनाव से महिलाओं को 40 प्रतिशत की भागीदारी देकर सत्ता पक्ष की त्योरियां चढ़ा दी हैं। इस बड़े ऐलान के बाद 403 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस की ओर से 161 महिलाओं को टिकट दिया जाएगा।
प्रियंका गांधी ने इस कदम से उत्तर प्रदेश जातीय समीकरण में उलझी राजनीति को नया मोड़ दे दिया है। प्रियंका गांधी का किया गया यह ऐलान अचानक नहीं है। पुरानी घटनाएं और महिला संबंधी मुद्दे में प्रियंका गांधी की सक्रियता ये बताती है कि यह सोची समझी रणनीति है।
महिलाओं को आगे लाने के 4 मायने-
प्रियंका खुद महिला हैं और उत्तर प्रदेश में नेतृत्व कर रही हैं। इस कदम से महिलाओं का भरोसा बढ़ेगा।प्रियंका उत्तर प्रदेश में खुलकर फैसले ले रही हैं। उनके साथ आने से महिलाओं की उम्मीदें बढ़ेंगी।दूसरे मुद्दों को पीछे रख महिला प्रधान मुद्दों को हमेशा तरजीह दी। इससे महिलाएं उन्हें यूपी का चेहरा मानेंगी।चुनाव नजदीक आ रहे हैं, महिलाओं की बात कम हो रही, इसलिए सत्ता पक्ष से पहले महिला कार्ड खेल दिया।
आइए जानते हैं, कैसे 6महीने से ग्राउंड पर काम कर रही थीं प्रियंका…
लखीमपुर खीरी में प्रियंका गांधी ने पीड़ित परिवारों के घर की महिलाओं से बैठकर इत्मिनान से बात की और पीड़ा समझी। बाद में, मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए, वरना मेरे संघर्ष का कोई मतलब नहीं है।
लंबे घमासान के प्रियंका गांधी को लखीमपुर खीरी जाने की इजाजत मिली। इस दौरान राहुल गांधी भी उनके साथ रहे। यहां उन्होंने सबसे पहले लवप्रीत के परिवार से मुलाकत की।
जुलाई 2019 में सोनभद्र में जमीनी विवाद में 10 लोगों की हत्या कर दी गई थी। शासन के आला अधिकारी मामले को दबाने में जुट गए। प्रियंका गांधी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंच गईं। यहां भी शासन ने उनको मौके पर जाने से रोका। यहां तक कि चुनार गेस्ट हाउस में उनको अरेस्ट कर लिया गया, लेकिन वह नहीं मानी। मौके पर ही धरने पर बैठ गईं।
हाथरस में पीड़िता तक पहुंचने के लिए प्रियंका प्रशासन से भी भिड़ गईं। जिसके बाद प्रशासन को पीछे हटना पड़ा। आते हुए पुलिस ने कार्यकर्ताओं पर लाठियां चलाईं तो प्रियंका खुद आगे आ गईं और पुलिस की लाठी पकड़ ली। अक्टूबर 2020 में हाथरस में एक दलित युवती के साथ गैंगरेप और हत्या का मामला सामने आया था।
दिसंबर 2019 में उन्राव में रेप पीड़ित लड़की को आरोपियों ने आग के हवाले कर दिया था। 90 फीसदी तक जलने वाली लड़की ने इलाज के दौरान दिल्ली में दम तोड़ दिया। इस मामले में भी प्रियंका गांधी सबसे पहले पीड़ित परिवार के पास पहुंची थीं। इस मामले में उन्होंने प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा था, ‘पीड़िता के पूरे परिवार को पिछले एक साल से लगातार परेशान किया जा रहा था। लेकिन दोषियों को बचाने में पुलिस प्रशासन लगा था।
प्रियंका के फैसले के पीछे की यह है वजह
प्रियंका गांधी ने अपने फैसले को उत्तर प्रदेश की हर एक महिला के लिए बताया, जो बदलाव चाहती है। इसके साथ ही, महिलाओं के साथ ज्यादती के लिए चर्चा में रहे 5 जिलों का नाम भी लिया। उन्होंने कहा कि मेरा यह निर्णय प्रयागराज की पारो के लिए है। चंदौली की बेटी के लिए है। उन्नाव की बेटी के लिए है। रमेश चन्द्र की बेटी के लिए है। लखनऊ की एक वाल्मीकि समाज की लड़की के लिए है जो बेरोजगार है और सोनभद्र की महिला के लिए है, जो न्याय चाहती है।
प्रियंका गांधी ने किन घटनाओं का जिक्र किया-
हाथरस रेप कांड पर प्रियंका गांधी ने काफी मुखरता से पीड़िता को न्याय दिलाने की बात कही। काफी चर्चा में भी रहीं।उन्नाव के रेप कांड में भी प्रियंका गांधी ने डटकर अपनी बात रखी और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए।ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान लखीमपुर खीरी में सपा की महिला नेता की साड़ी खींचे जाने पर आगबबूला हो उठीं और जिले में जाकर पीड़िता व अन्य महिलाओं से मुलाकात की।चुनार गेस्ट हाउस में धरने पर बैठीं प्रियंका, पीड़ित परिवार खुद आया मिलने, जुलाई 2019 में सोनभद्र में जमीनी विवाद में 10 लोगों की हत्या कर दी गई थी।लखीमपुर हिंसा में सबसे पहले आगे आईं। सीतापुर में रोकी गईं। तीसरे दिन पीड़ित की मां से की मुलाकात, पत्रकार रमन कश्यप के घर भी गईं, जहां उनकी पत्नी को ढांढस बंधाया।
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