राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह अपने दत्तक पुत्र को घोषित करने वाले थे उत्तराधिकारी,
सक्ती राजघराने के राज्याभिषेक पर रोक: रानी ने कहा- वह हमारा बेटा नहीं
छत्तीसगढ़ के जांजगीर की सक्ती रियासत के 5वें राजा कुंवर धर्मेंद्र सिंह हो सकते हैं।
छत्तीसगढ़ के जांजगीर की सक्ती रियासत के 5वें राजा कुंवर धर्मेंद्र सिंह के राज्याभिषेक पर कोर्ट ने रोक लगा दी है। रानी गीता राणा सिंह ने उन्हें बेटा मानने से इनकार करते हुए राज्याभिषेक पर आपत्ति जताई थी। इसे लेकर कोर्ट में याचिका भी दायर की गई। जिस पर प्रथम सत्र अपर न्यायाधीश गीता निवारे ने सुनवाई करते हुए अगले आदेश तक यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं।
दरअसल, महामाया मंदिर में मंगलवार को राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह कुंवर धर्मेंद्र का राज्याभिषेक करने वाले थे। उन्होंने पहले ही अपने उत्तराधिकारी की घोषणा कर दी थी। सारी तैयारियां भी शुरू हो गई थी। छह दशक बाद ऐसा मौका फिर आया था, जब सक्ती की जनता एक बार फिर राज्याभिषेक की साक्षी बनती। इससे पहले राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने महज 18 साल की उम्र में राजगद्दी संभाली थी।
राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह के साथ उनके दत्तक पुत्र धर्मेंद्र।
कुंवर धर्मेंद्र 30 साल की उम्र में राजा बनते
कुंवर धर्मेंद्र का जन्म 1 मई 1992 को हुआ था। इस हिसाब से उनकी उम्र इस समय 29 साल की पूरी हो गई है। वे 30वें साल में प्रवेश कर चुके हैं। राजा सुरेंद्र बहादुर की भी कोई संतान नहीं होने के कारण उन्होंने धर्मेंद्र को अपना दत्तक पुत्र बनाया था। कुंवर धर्मेंद्र ने राजकुमार कॉलेज रायपुर से नर्सरी से 12वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली चले गए। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से BA ऑनर्स और LLB की पढ़ाई की। दिल्ली हाईकोर्ट में उन्होंने प्रैक्टिस भी की है।
हरि-गुजर से लेकर राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह और अब धर्मेंद्र
1865 में 14 रियासतों का गठन हुआ था। उस समय सराजाक्ती छोटी रियासत थी। उस समय बड़ी रियासत बस्तर थी। सक्ती रियासत के सबसे पहले राजा हरि गुजर हुए। उसके बाद उनके पुत्र रूप नारायण सिंह ने 1914 तक गद्दी संभाली। उनका कोई बेटा नहीं था। इकलौती बेटी की शादी रायगढ़ के राजा नटवर सिंह के साथ हुई थी। निधन से गद्दी खाली हुई तो उन्होंने छोटे भाई चित्रभान के बेटे लीलाधर सिंह को गोद ले लिया और वे राजा बन गए थे।
1914 में लीलाधर सिंह का हुआ था राज्याभिषेक।
उनके बाद जीवन बहादुर राजा बनते, इससे पहले ही अल्पायु में उनका निधन हो गया। उनका निधन होने से उनके पुत्र सुरेंद्र बहादुर सिंह 1960 में 18 साल की उम्र में राजा बने और विरासत को अभी तक 79 वर्ष की आयु तक संभाल रहे हैं। उनके छोटे भाई कुमार पुष्पेंद्र बहादुर सिंह का कुछ वर्ष पूर्व निधन हो चुका है।
कुंवर धर्मेंद्र को सक्ती की रानी पुत्र मानने से कर चुकी हैं इनकार
दरअसल, पूर्व मंत्री और सक्ती राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह की पत्नी गीता राणा सिंह करीब 4-5 माह पहले 30 साल बाद नेपाल से लौटी थीं। उन्होंने बयान जारी कर आरोप लगाया था कि उनके पति (राजा) के नौकर संपत्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं। वहीं सुरेंद्र बहादुर ने भी जांजगीर एसपी को लिखित शिकायत देकर कहा था कि रानी उनकी जानकारी और इजाजत के बगैर महल में रहने लगी हैं। बेटे और कर्मचारियों से दुर्व्यवहार कर रही हैं। वे विक्षिप्त लगती हैं, मैं उन्हें महल में रखना नहीं चाहता।
धर्मेंद्र सिंह के राज्याभिषेक के लिए छपवाया गया निमंत्रण पत्र।
वहीं रानी गीता राणा सिंह ने कहा था कि राजा जिसे बेटा बता रहे हैं, वह हमारा बेटा नहीं है। मेरे पति राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह वृद्ध हो गए हैं और महल में ही आराम करते हैं। महल में कई पुराने नौकर हैं, जो उन्हें भ्रमित कर गलत फायदा लेना चाहते हैं। नौकर धनेश्वर सिंह सिदार के पुत्र धीरेन्द्र एवं छोटे भाई धर्मेंद्र व अन्य लोग रहते हैं। धर्मेंद्र हमारा वारिस नहीं है। राजा की पेंशन एवं महल की संपत्तियों से मिलने वाली आय का धर्मेद्र, रोहित दोहरे दुरुपयोग कर रहे हैं और उसमें दूसरे नौकर सहायता कर रहे हैं। वे मेरे पति को मुझसे मिलने नहीं देते।
रानी ने दिया विज्ञापन, न बनें राज्याभिषेक के साक्षी
रानी गीता राणा सिंह ने समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर राज्याभिषेक में लोगों से नहीं शामिल होने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि मेरे पति राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने महल में काम करने वाले नौकर स्व. धनेश्वर गोड़ के पुत्र धर्मेंद्र सिंह को छल पूर्वक गैरकानूनी तरीके से दत्तक पुत्र के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। जबकि हम धर्मेंद्र सिंह को आज भी अपना पुत्र नहीं मानते हैं। धर्मेंद्र सिंह का परिवार आज भी महल में बतौर नौकर काम कर रहा है। हम दंपती का दत्तक धर्मेंद्र वारिस नहीं है।
पति द्वारा धर्मेंद्र को वारिस घोषित करना और हास्यास्पद राज्याभिषेक कार्यक्रम 19 अक्टूबर को आयोजित है। धर्मेंद्र गोड़ आपराधिक प्रवृत्ति का है। उसके खिलाफ स्थानीय थाने और अन्य थानों में कई मामले दर्ज व लंबित हैं। इसलिए इस लोकतांत्रितक प्रणाली में इस राज्याभिषेक के विवाद पूर्ण कार्यक्रम के साक्षी न बनें।
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