गांधी परिवार ही कांग्रेस:सोनिया को चुनौती देने वालों को मिली हार,
आखिर क्यों कोई कांग्रेस में गांधी परिवार का वर्चस्व नहीं तोड़ सका
कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) यानी कांग्रेस की सुप्रीम बॉडी की शनिवार को मीटिंग तो हुई, लेकिन इससे कुछ ठोस निकलता नजर नहीं आया। अगले साल सितंबर तक सोनिया गांधी पार्टी की अध्यक्ष बनी रहेंगी।
यानी यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में कांग्रेस सोनिया की लीडरशिप में ही चुनाव लड़ेगी, क्योंकि इन 5 राज्यों में 2022 के शुरुआती महीनों में ही चुनाव होना हैं। वहीं गुजरात और हिमाचल प्रदेश में अगले साल के आखिर में चुनाव हैं।
पायलट और प्रसाद चुनाव लड़े, पर बुरी तरह हारे
एक्सपर्ट्स ये मानते हैं कि कांग्रेस में गांधी परिवार को सीधे चुनौती देने वाला कोई नहीं है। इसके पहले जिन्होंने भी ये कोशिश की उन्होंने मुंह की खाई। राजेश पायलट से लेकर जितेंद्र प्रसाद तक संगठन में चुनाव लड़े थे, लेकिन बुरी तरह हारे। इसलिए यह तो तय है कि आने वाले समय में राहुल गांधी ही कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए जाएंगे।
और यदि कांग्रेस 5 में से 2 राज्यों में भी सरकार बना लेती है तो गांधी परिवार पर होने वाले निशाने कम हो सकते हैं। सीनियर जर्नलिस्ट रशीद किदवई कहते हैं, पंजाब में जिस तरह से लीडरशिप को बदला गया है, यदि वहां जीत मिलती है तो जो लोग अभी आलोचना कर रहे हैं, वो उल्टा निशाने पर आएंगे।
7 में से सिर्फ पंजाब में ही कांग्रेस की सरकार
जिन 7 राज्यों में अगले साल चुनाव होना है, वहां विधानसभा की 951 सीटें हैं और इन सभी में मिलाकर कांग्रेस के अभी कुल 203 विधायक हैं। इन 7 में से सिर्फ पंजाब ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस सत्ता में है, लेकिन वहां भी पार्टी के अंदर भारी उठापटक चल रही है।

CWC की मीटिंग के दौरान सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ अन्य नेता।
G-23 ग्रुप के नेताओं को सोनिया की नसीहत
गोवा में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम रहे लुईजिन्हो फलेरियो TMC का दामन थाम चुके हैं। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि पार्टी के गर्त में जाने के बावजूद कोई ठोस निर्णय CWC में क्यों नहीं लिया गया। G-23 ग्रुप (कांग्रेस नेताओं का वो समूह जिसने पिछले साल सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन चुनाव की मांग की थी) के नेताओं को सोनिया गांधी ने मीडिया के बजाय सीधे उनसे बात करने की नसीहत दी है।
सबसे बड़ी चुनौती यूपी, यहां सिर्फ 7 विधायक
यूपी में कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है। लखीमपुर हिंसा के बाद प्रियंका और राहुल गांधी सड़कों पर नजर आए। हालांकि यहां की 403 सीटों में से कांग्रेस के पास अभी सिर्फ 7 सीटें हैं। गुजरात की 182 सीटों में से 66 कांग्रेस के पास हैं। इसी तरह पंजाब में 117 में से 80 और हिमाचल प्रदेश की 68 में से 19 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं।
5 राज्यों में शून्य पर आए तो लीडरशिप सीधे निशाने पर होगी
किदवई कहते हैं, अगले साल जिन 5 राज्यों में चुनाव हैं, वहां यदि कांग्रेस शून्य पर आती है तो सेंट्रल लीडरशिप सीधे निशाने पर आ जाएगी। हालांकि मौजूदा परिस्थितियों को देखकर ऐसा लग रहा है कि पंजाब और उत्तराखंड में पार्टी सत्ता में आ सकती है।
गोवा में भी चुनावी समीकरण बदल रहे हैं, क्योंकि वहां क्षेत्रीय दलों के साथ ही ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। ऐसे में हो सकता है कि वो कुछ वोट काटें। इससे किसे फायदा-नुकसान होता है ये देखना होगा।
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