Delhi-NCR में सांस लेना हुआ मुश्किल, नोएडा-गाजियाबाद में AQI 400 के पार
नई दिल्ली. देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में सर्दियों की आहट के साथ वायु गुणवत्ता (Air Quality) खराब होने लगी है. यही नहीं, दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कई शहरों में वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में पहुंच गयी है. इसके पीछे एक अहम कारण पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं (Stubble Burning Incidents) हैं.
बहरहाल, राजधानी से सटे यूपी के ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार चल गया है. वहीं, यूपी के मेरठ शहर पर वायु प्रदूषण की जोरदार मार पड़ रही हैं और यहां एक्यूआई 500 के पार है, जो कि खतरनाक श्रेणी में आता है. वहीं, एनसीआर के शहरों में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण का स्तर चिंता बढ़ा रहा है. देश के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में ज्यादातर दिल्ली-एनसीआर के इलाके शामिल हैं.
दिल्ली में लगातार खराब हो रही हवा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों तक सामान्य श्रेणी में रहने वाली दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी पहुंच गयी है. जबकि वायु गुणवत्ता सूचकांक 244 पहुंच गया है. इस दौरान फरीदाबाद में एक्यूआई 250 दर्ज किया गया है. इसके अलावा करनाल, मानेसर, गुरुग्राम, बुलंदशहर, भिवाड़ी, यमुनागर, हिसार और हापुड़ की हवा भी बहुत खराब है. एक्यूआई में पीएम 2.5 (PM 2.5) पीएम 10 (PM 10), ओजोन और नाइट्रोजन गैसों का स्तर शामिल है. वहीं, अगर पराली जलाने का दौरान नहीं थमा तो स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है.
पहले के मुकाबले कम हुईं पराली जलाने की घटनाएं, लेकिन…
बता दें कि पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी सैटलाइट रिमोर्ट सेंसिंग प्रणाली से की जाती है. आंकड़ों के मुतबिक, 15 सितंबर से 10 अक्टूबर के बीच पंजाब में पराली जलाने की 764 घटनाएं हुई हैं. जबकि पिछले साल इसी अवधि में 2,586 घटनाएं दर्ज की गई थीं. आईएआरआई के मुताबिक, वर्ष 2016 के दौरान पंजाब में पराली जलाने की 1.02 लाख घटनाएं दर्ज की गई थीं. जबकि वर्ष 2017 में 67,076, वर्ष 2018 में 59,684, वर्ष 2019 में 1 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच 50,738 और पिछले साल 79,093 घटनाएं दर्ज की गई थीं. इसी प्रकार हरियाणा में वर्ष 2016 में पराली जलाने की 15,686 घटनाएं दर्ज की गई थीं. राज्य में वर्ष 2017 में 13,085, वर्ष 2018 में 9,225, वर्ष 2019 में 6,364, वर्ष 2020 में 5,678 पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं थी.