लखीमपुर हिंसा से बैकफुट पर योगी सरकार:कार्यकर्ताओं के विरोध से परेशानी में संगठन
बदलते माहौल की पल-पल अपडेट ले रहा RSS, 3 पॉइंट में समझिए पूरी कहानी
लखीमपुर खीरी की हिंसा ने उत्तर प्रदेश में भाजपा को बैकफुट पर धकेल दिया है। सरकार और संगठन इस मामले को जितना सुलझाना चाहते हैं, मामला उतनी ही उलझता जा रहा है। अब विपक्ष की सक्रियता और संयुक्त किसान मोर्चा के ऐलान ने चिंता और बढ़ा दी है। इससे सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है। संगठन बेहद चिंतित है और संघ इस घटना के बाद बदलते माहौल पर लगातार अपनी नजर बनाए हुए है।
लखीमुपर में अंतिम अरदास के बाद किसान मोर्चा ने मृतक किसानों के नाम पर शहीद स्मारक बनाने के साथ ही अस्थि कलश यात्रा, रेल रोको अभियान जैसी घोषणाएं की हैं। साफ है कि तराई के इस प्रदर्शन को अब पूरे यूपी में ले जाने की तैयारी है।
सरकार पर दबाव की बानगी तीन पॉइंट में समझिए
सीएम योगी ने आशीष की गिरफ्तारी से पहले कहा था कि कोई ठोस सबूत के बिना किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और आशीष के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। इसके बाद भी आशीष को गिरफ्तार किया गया।अब आशीष की गिरफ्तारी के बाद उनके मंत्री पिता अजय मिश्र की बर्खास्तगी की मांग उठ रही है। किसानों ने बर्खास्त न किए जाने तक आंदोलन का ऐलान किया है। आज राहुल-प्रियंका गांधी की अगुवाई में कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात की।सीएम योगी ने किसानों को लेकर बड़ा फैसला किया है। अधिकारियों को बाढ़ और अत्यधिक बारिश से कृषि फसलों को हुए नुकसान का आकलन करने और जिन किसानों के घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें तत्काल मुआवजा देने को कहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी की जानी चाहिए।
सरकार के साथ संगठन की भी बढ़ी परेशानी
हिंसा के बाद बदले हालात को लेकर न सिर्फ सरकार, संगठन भी चिंतित है। पार्टी को जल्द ही चुनावी संग्राम में जाना है। ऐसे में किसानों की नाराजगी और इस घटना के बाद उपजे असंतोष कहीं भाजपा के लिए भारी न पड़ जाए इसको लेकर संगठन पशोपेश में है। पार्टी के नेताओं पर लखीमपुर घटना का किस तरह दबाव है? इसे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के बयान से समझा जा सकता है।
उन्होंने रविवार को अल्पसंख्यक मोर्चा की प्रदेश कार्य समिति बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि हम नेतागिरी करने आए हैं, किसी को लूटने नहीं आए हैं। फॉर्च्यूनर से किसी को कुचलने नहीं आए हैं। वोट मिलेगा तो आपके व्यवहार से मिलेगा। स्वतंत्र देव सिंह के बयान से साफ है कि वह कार्यकर्ताओं के मन में उठे संशय को न केवल दूर कर रहे थे, बल्कि आगे उन्हें कैसे व्यवहार करना है इसकी नसीहत भी दे रहे थे।
आरोपी आशीष वर्तमान में तीन दिन की पुलिस रिमांड पर है। रिमांड का आज दूसरा दिन है।
पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी आ रही है सामने
पार्टी के लिए यह दौर इसलिए भी अहम है क्योंकि प्रदेश में चुनाव होने में बमुश्किल 4-5 महीने बचे हैं। ऐसे में अगर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की वजह से कोई घटना घटती है तो विपक्ष को एक और मौका मिल जाएगा। साथ ही भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में लखीमपुर घटना को लेकर आक्रोश देखने को मिल रहा है। आवाज उठ रही है कि भाजपा कार्यकर्ताओं की बेरहमी से हत्या करने वालों की गिरफ्तारी कब होगी? कार्यकर्ताओं में नाराजगी इतनी है कि वह पार्टी पदों से इस्तीफा दे रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर भी लिखना शुरू कर दिया है।
दिल्ली दरबार में भी हुई चर्चा
उत्तर-प्रदेश की इस घटना के बाद उपजे सियासी माहौल को लेकर दिल्ली दरबार तक में चर्चा हो रही है। सबसे पहले तो खुद अजय मिश्रा टेनी गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर सफाई दी इसके दो तीन दिन बाद जेपी नड्डा के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, राज्य महासचिव सुनील बंसल सहित कई वरिष्ठ नेताओं से जमीनी हकीकत को समझने के लिए बैठक हुई।
मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में सीएम आवास पर भाजपा की क्षेत्रवार बैठकों में भी अवध क्षेत्र की इस घटना का असर दिखाई दिया। प्रदेश अध्यक्ष सांसदों और विधायकों से कहा कि वो अपनी भाषा पर संयम रखें। नेता वो है, परिवार के लोग नेतागिरी न करें।
लखीमपुर में रविवार तीन अक्टूबर को हिंसा हुई थी।
संघ की भी है नजर
कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इन गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। हालांकि ऐसे मामलों में सीधे तौर पर संघ की कोई भूमिका नहीं होती है, लेकिन बदलते घटनाक्रम और उसके बाद जमीन पर हुए बदलावों पर संघ की नजर है। संघ के जानकार की माने तो संघ इस घटना की तह में पहुंचने के लिए वहां के अपने स्वंय सवकों से फीडबैक ले रहा है। जरूरत पड़ती है तो इसे उच्च पदाधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा। इस घटना का आगे क्या असर रहने वाला है, इसको लेकर भी फीडबैक लिया जा रहा है।
हालांकि भाजपा के एक बड़े नेता ने बताया कि लखीमपुर की घटना का कोई असर बाकी इलाकों में नहीं पड़ने वाला है। सरकार के एक्शन का बड़ा असर हुआ है और यह सरकार के लिए सकारात्मक है।
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