इकोनॉमिक्स के नोबेल के साथ क्यों होता है सौतेला व्यवहार;

क्या ये नोबेल नहीं है? इसको लेकर क्या विवाद होता आया है?

नोबेल कमेटी ने सोमवार को इकोनॉमिक्स के लिए नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम की घोषणा की है। इस बार डेविड कार्ड, जोशुआ डी. एंग्रिस्ट और गुइडो इम्बेन्स को संयुक्त रूप से इकोनॉमिक्स का नोबेल दिया जाएगा। डेविड को मिनिमम वेज थ्योरी को लेकर की गई अपनी स्टडी के लिए नोबेल दिया जा रहा है। वहीं, जोशुआ और गुइडो को ‘कॉजल रिलेशनशिप’ पर की गई स्टडी को लेकर नोबेल दिया जाएगा।

आइए समझते हैं, इस बार इकोनॉमिक्स नोबेल के विजेता कौन हैं? इन्हें किस वजह से नोबेल दिया जा रहा है? क्यों इकोनॉमिक्स के नोबेल को नोबेल नहीं माना जाता है? इसकी पूरी कहानी क्या है? और नोबेल पुरस्कारों को लेकर कब-कब हुए विवाद…

सबसे पहले इकोनॉमिक्स के नोबेल विजेताओं को जान लीजिए

इस साल डेविड कार्ड, जोशुआ डी. एंग्रिस्ट और गुइडो इम्बेन्स को इकोनॉमिक्स का नोबेल पुरस्कार दिया जा रहा है। डेविड कार्ड को पुरस्कार का 50 फीसदी हिस्सा और दूसरा आधा हिस्सा संयुक्त रूप से एंग्रिस्ट और इम्बेन्स को दिया गया है। कार्ड कनाडाई मूल के हैं, एंग्रिस्ट अमेरिकी नागरिक हैं और इम्बेन्स की राष्ट्रीयता डच है।

तीनों को किस वजह से दिया गया है नोबेल?

ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर ईशान आनंद के मुताबिक

डेविड कार्ड को लेबर इकोनॉमिक्स में उनके योगदान के लिए नोबेल प्राइज मिला है। इकोनॉमिक्स की एक थ्योरी है कि जैसे ही आप मिनिमम वेज बढ़ाते हैं, तो दुकानदार और कारखाने के मालिक कम लोगों को रोजगार देंगे, क्योंकि उनको ज्यादा तनख्वाह देनी पड़ेगी। यानी जैसे ही मिनिमम वेज बढ़ेगा, बेरोजगारी भी बढ़ेगी। कार्ड ने अपने सहयोगी के साथ मिलकर इस थ्योरी के संबंध में अमेरिका के दो पड़ोसी राज्यों में एक टेस्ट किया था। इन दोनों राज्यों में से एक में मिनिमम वेज बढ़ाया गया था और दूसरे में नहीं। अपनी स्टडी में कार्ड ने पाया कि जहां मिनिमम वेज बढ़ाया गया है, वहां बेरोजगारी में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई।जोशुआ और गुइडो ने ‘कॉजल रिलेशनशिप’ पर स्टडी की थी। यानी किसी एक चीज का दूसरी चीज पर असर। इकोनॉमिक्स में ‘कॉजल रिलेशनशिप’ का बहुत महत्व है, क्योंकि इसी आधार पर आप किसी पॉलिसी या नीति की सफलता का आकलन कर पाएंगे। इसकी तकनीक जोशुआ और गुइडो ने विकसित की है।

अल्फ्रेड की वसीयत में नहीं था इकोनॉमिक्स में नोबेल देने का जिक्र

दरअसल, नोबेल पुरस्कार वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के आधार पर दिए जाते हैं। अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी वसीयत में कहा था कि उनकी सभी पूंजी का एक फंड बनाकर उससे हर साल मानव जाति को सबसे बड़ा लाभ पहुंचाने वालों को पुरस्कार दिया जाएं। इस फंड को 5 बराबर भागों में बांटकर 5 अलग-अलग फील्ड में उन्नत कार्य करने वालों को ये राशि दी जाए। ये फील्ड थी फिजिक्स, फिजियोलॉजी/मेडिसिन, केमिस्ट्री, साहित्य और शांति। इसमें इकोनॉमिक्स की फील्ड में पुरस्कार दिए जाने का कोई जिक्र नहीं था।

तो फिर क्यों दिया जाता है इकोनॉमिक्स में नोबेल?

1968 में स्वीडन का स्वेरिगेस रिक्सबैंक अपनी 300वीं एनिवर्सरी मना रहा था। इस एनिवर्सरी को यादगार बनाने के लिए बैंक ने नोबेल फाउंडेशन को एक बड़ी राशि दान में दी थी। इस राशि का इस्तेमाल अल्फ्रेड नोबेल की याद में एक पुरस्कार स्थापित करने के लिए किया जाना था। अगले ही साल पहली बार इस राशि से इकोनॉमिक्स की फील्ड में पुरस्कार दिया गया। बैंक ने पुरस्कार के विजेताओं का सिलेक्शन करने की जिम्मेदारी स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस को दी। यही एकेडमी फिजिक्स और केमिस्ट्री का नोबेल भी देती है।

तो क्या ये नोबेल पुरस्कार नहीं है?

हां। नोबेल पुरस्कार की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, इकोनॉमिक्स की फील्ड में दिया जाने वाला पुरस्कार नोबेल नहीं है। 1968 में जब इस पुरस्कार की स्थापना की गई थी, तब इसे ‘द स्वेरिगेस रिक्सबैंक प्राइज इन इकोनॉमिक साइंसेस इन मेमोरी ऑफ अल्फ्रेड नोबेल’ कहा जाता था।

हालांकि इसके विजेताओं के सिलेक्शन की पूरी प्रोसेस ठीक उसी तरह है, जिस तरह दूसरी फील्ड के पुरस्कार देते वक्त फॉलो की जाती है। साथ ही इसके विजेताओं की घोषणा भी बाकी विजेताओं के साथ ही की जाती है और पुरस्कार भी नोबेल के बाकी विजेताओं के साथ एक ही सेरेमनी में दिया जाता है, लेकिन टेक्निकली ये नोबेल पुरस्कार नहीं है।

नोबेल पुरस्कारों को लेकर कब-कब हुए विवाद?

2009 में बराक ओबामा को शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया था, तब उन्हें अमेरिका का राष्ट्रपति बने केवल 9 महीने ही हुए थे। इस आधार पर कई लोगों ने उनकी आलोचना की थी कि वे पर्याप्त समय तक सत्ता में नहीं थे, इसके बावजूद उन्हें ये पुरस्कार क्यों दिया गया। 2015 में नोबेल इंस्टीट्यूट के पूर्व डायरेक्टर गीर लुंडेस्टैड ने भी अपनी ऑटोबायोग्राफी में इस निर्णय के बारे में अफसोस जताया था।2012 में यूरोपियन यूनियन को छह दशकों से ज्यादा समय तक यूरोप में शांति और सुलह, लोकतंत्र और मानवाधिकारों की उन्नति में योगदान के लिए नोबेल दिया गया था। इस फैसले पर भी नोबेल कमेटी की आलोचना की गई थी, क्योंकि यूरोप के कई देश हथियार बनाते और बेचते थे।1994 में फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात को इजराइल के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के साथ ओस्लो पीस अकॉर्ड के लिए शांति का नोबेल दिया गया था। इसे लेकर भी खासा विवाद हुआ था और सिलेक्शन कमेटी की एक सदस्य ने कमेटी से इस्तीफा दे दिया था।इसके अलावा महात्मा गांधी को शांति को नोबेल न देने को लेकर भी विवाद होता आया है। 2006 में नोबेल इंस्टीट्यूट के पूर्व डायरेक्टर गीर लुंडेस्टैड ने कहा था कि महात्मा गांधी को शांति का नोबेल नहीं देना पुरस्कार के इतिहास की सबसे बड़ी गलती थी। शांति के नोबेल के लिए महात्मा गांधी को 5 बार नॉमिनेट किया गया था।

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