मोनू की कस्टडी पर 30 मिनट हुई बहस:आरोपी के वकील बोल
12 घंटे पूछताछ के बाद रिमांड की क्या जरूरत? थर्ड डिग्री देना चाहते हैं; पुलिस का तर्क- तथ्यों की जांच बाकी
लखीमपुर हिंसा के मुख्य आरोपी और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र ‘मोनू’ अब 3 दिन की पुलिस रिमांड पर रहेंगे। सोमवार को CJM कोर्ट ने सुनवाई के दौरान 30 मिनट की बहस के बाद पुलिस रिमांड की मंजूरी दी है। अब SIT आशीष से और पूछताछ कर सकेगी। हालांकि, चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट चिंताराम ने तीन शर्तें भी लगा दी हैं।
इससे पहले CJM कोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस की तरफ से कहा गया कि आशीष से सिर्फ 12 घंटे पूछताछ हो पाई है, जिसमें उसने जवाब नहीं दिए। उनको 14 दिन की पुलिस हिरासत चाहिए। आशीष के वकील अवधेश सिंह ने कहा कि पुलिस आशीष से जबरन बयान लेना चाहती है। थर्ड डिग्री के लिए रिमांड मांगी जा रही है।
पढ़िए कोर्ट में कस्टडी पर सरकारी वकील Vs बचाव पक्ष – रही।
सरकारी वकील – गिरफ्तार आरोपियों का आमना-सामना कराना है। सबूतों का क्रॉस वेरिफिकेशन भी कराना है।
बचाव पक्ष – सुरक्षा के नजरिए से भी रिमांड नहीं देनी नहीं चाहिए। आरोपियों का आमना-सामना जेल में भी कराया जा सकता है।
सरकारी वकील – गाड़ी कौन चला रहा था, इसका अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।
बचाव पक्ष – आशीष गाड़ी में नहीं था।
सरकारी वकील – आशीष ने पूछताछ में कोई सहयोग नहीं किया।
बचाव पक्ष – गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। उसने पूरा सहयोग किया है। लिखित में 40 सवाल दिए गए थे और एक हजार के जवाब लिए गए। मांगने पर राइफल और मोबाइल भी जमा करा दिया गया था। करीब 12 घंटे जांच अधिकारी विद्या सागर मौजूद थे। सिर्फ एक बार पानी दिया गया था। बिना ब्रेक के लगातार सवाल पूछे जाते रहे, जिनके जवाब दिए गए।
सरकारी वकील – आशीष मिश्र दंगल में था, यह वो साबित नहीं सका है, इसलिए पुलिस रिमांड मांग रही।
बचाव पक्ष – आशीष दंगल में था। इससे संबंधित 150 फोटो, पेन ड्राइव, वीडियो दिए गए हैं।
सरकारी वकील – वो ईमानदार होते तो पहली नोटिस में क्यों नहीं आए, दूसरी पर आए?
बचाव पक्ष- कोई जवाब नहीं दिया।
9 अक्टूबर को करीब 12 घंटे तक की पूछताछ के बाद आशीष को गिरफ्तार किया गया।
इन तीन शर्तों का कस्टडी में हो पालन
आशीष मिश्र की पुलिस रिमांड के दौरान शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना नहीं दी जाएगी।पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद जेल में दाखिल किया जाएगा। साथ ही उसका मेडिकल कराया जाए।रिमांड के दौरान पूछताछ के वक्त आशीष के वकील उचित दूरी पर रह सकते हैं।
हत्या, लापरवाही से गाड़ी चलाने और आपराधिक साजिश का केस
9 अक्टूबर को करीब 12 घंटे तक की पूछताछ के बाद आशीष को गिरफ्तार किया गया। आशीष पर मर्डर, एक्सीडेंट में मौत, आपराधिक साजिश और लापरवाही से वाहन चलाने की धाराओं में केस दर्ज किया गया है। मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज किए गए हैं। आशीष का क्राइम ब्रांच में ही मेडिकल टेस्ट हुआ।
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