केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र हैं क्या…आइए हम बताते हैं:
विधायक-सांसद बनने से पहले मर्डर और तस्करी जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं, अटल जी के पत्र पर भी नहीं हुआ था एक्शन
“ऐसे लोगों को कहना चाहता हूं कि सुधर जाओ…नहीं तो सामना करो आकर, हम आपको सुधार देंगे, दो मिनट लगेगा केवल। मैं केवल मंत्री नहीं हूं, या सांसद-विधायक नहीं हूं। जो विधायक और सांसद बनने से पहले मेरे विषय में जानते होंगे उनको यह भी मालूम होगा कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूं और जिस दिन मैंने उस चुनौती को स्वीकार करके काम कर लिया, उस दिन पलिया नहीं, लखीमपुर तक छोड़ना पड़ जाएगा, यह याद रखना।”
तिकुनिया कांड से कुछ दिन पहले केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी ने किसानों को धमकी देते हुए कहा था- ‘जान लो मैं कौन हूं।’
लखीमपुर खीरी क्षेत्र शुरू होते ही अजय मिश्र टेनी के स्वागत में लगाए गए बोर्ड दिखने लगते हैं। जुलाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में अजय मिश्र टेनी को गृह राज्य मंत्री बनाया गया था। इस तरह अब वो देश की कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार हैं। टेनी का दबदबा इस इलाके में पहले से ही था, अब केंद्रीय मंत्री बनने के बाद और भी बढ़ गया है।
टेनी उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के नेपाल सीमा से बिलकुल सटे बनवीरपुर गांव के रहने वाले हैं। इस गांव से सीधी सड़क तिकुनिया को जाती है जहां अजय मिश्र की गाड़ियों ने किसानों को कुचल दिया था। इस घटना में आठ लोगों की मौत के बाद से अजय मिश्र टेनी सवालों के घेरे में हैं। उनके बेटे आशीष मिश्र अब हत्या के अभियुक्त हैं और फरार हैं।
लखीमपुर खीरी क्षेत्र शुरू होते ही अजय मिश्र के स्वागत में लगाए गए बोर्ड दिखने लगते हैं। मंत्री बनने के बाद इलाके में उनका दबदबा काफी बढ़ गया है।
बनवीरपुर गांव में लोग उनका नाम सम्मान से लेते हैं। करीब पांच हजार की आबादी के इस गांव में टेनी का परिवार जमीनी राजनीति से जुड़ा रहा है। यहां लोग बताते हैं कि टेनी के पिता अंबिका मिश्र लंबे समय तक गांव के प्रधान भी रहे हैं। गांव में दाखिल होते ही टेनी के परिवार की अंबिका राइस मिल दिखाई देती है। ये लंबे समय से बंद पड़ी है। इस मिल के पास ही दिनेश चंद्र होटल चलाते हैं। टेनी परिवार से उनके नजदीकी संबंध हैं।
दिनेश चंद्र मिश्रा बताते हैं, “मैं बीस साल से इस गांव में रह रहा हूं। मंत्रीजी का परिवार सम्मानित परिवार है। पूरा गांव और क्षेत्र उनका बहुत सम्मान करता है। उन्होंने कभी किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं किया है। उनके बेटे मोनू मिश्र (आशीष मिश्र) भी फर्स्ट क्लास आदमी हैं। वो गांव में ही रहते हैं। सबसे प्यार से बात करते हैं।”
ये पूछने पर कि क्या उनका यहां कोई डर या ख़ौफ़ है, दिनेश कहते हैं, “सम्मानित आदमी हैं, डर कैसा, लेकिन गलती करोगे तो डांटा ही जाएगा, चाहे मैं हूं या फिर कोई और।” दिनेश जब ये बयान दे रहे थे तब वहां मौजूद लोग मुस्कुरा रहे थे। यहां मौजूद एक युवा कहता है, “आप चाहे इस गांव में पूछ लीजिए या क्षेत्र में, कोई भी टेनी जी के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलेगा। ये पूरा इलाका उनका सम्मान करता है।”
अजय मिश्र टेनी का परिवार यहां गल्ले (अनाज की खरीद-बिक्री) के काम से जुड़ा रहा है और राइस मिल भी चलाता है। परिवार के पास गांव में बड़ी जमीनें हैं जिस पर खेती की जाती है। यहां लोग उनके बारे में बहुत सावधानी से और सोच-समझकर बोलते हैं। लोग ये भी कहते हैं, “आप किसी से भी पूछ लीजिए, सब टेनी जी के बारे में यही बताएंगे, इसके अलावा कोई कुछ और नहीं बोलेगा।”
टेनी के पुराने रिकॉर्ड के बारे में कोई बात नहीं करता
राजनीति में आने से पहले टेनी की पहचान एक हिस्ट्रीशीटर अपराधी की थी। उन पर तिकुनिया कोतवाली में कई मुकदमे दर्ज थे। उनके आपराधिक इतिहास के बारे में अब इस क्षेत्र में कोई खुलकर बात नहीं करता है। स्थानीय पत्रकार कहते हैं, “आप पूरा क्षेत्र घूम लीजिए कोई भी टेनी के पुराने रिकॉर्ड के बारे में बात नहीं करेगा। हम भी नहीं करेंगे। हम जानते हैं कि अगर हम उनका नाम लेंगे तो क्या अंजाम होगा।”
केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्र का भी यहां कम दबदबा नहीं है। पिता का साम्राज्य वे ही संभालते हैं।
तिकुनिया कांड के बाद जब टेनी के आपराधिक रिकॉर्ड का सवाल उठा तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा था, “स्थानीय पुलिस ने मेरी हिस्ट्रीशीट खोली थी, क्योंकि मैं जिले में कई सामाजिक मुद्दों पर काम कर रहा था। मैंने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी और अदालत के आदेश पर DM-SP को मेरी हिस्ट्रीशीट बंद करनी पड़ी।’
हाईकोर्ट के आदेश पर साल 1996 में अजय मिश्र टेनी की हिस्ट्रीशीट बंद कर दी गई थी।
प्रभात गुप्ता हत्याकांड
ये 2000 का दौर था। BJP में सक्रिय टेनी इलाके की राजनीति में अपनी जगह बना रहे थे। लखनऊ में छात्र राजनीति में सक्रिय और समाजवादी युवजन सभा से जुड़े प्रभात गुप्ता ने जब स्थानीय राजनीति में कदम रखा तो टेनी से उनकी ठन गई। दोनों के बीच साल 2000 के जिला पंचायत चुनाव के दौरान विवाद हुआ। प्रभात गुप्ता के परिजनों का आरोप है कि इसी विवाद के बाद टेनी ने उनकी हत्या करवा दी। प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता कहते हैं, “पंचायत चुनाव को लेकर उनका टेनी से विवाद हुआ और इसी विवाद में उनकी 8 जुलाई को घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई।”
प्रभात के पिता ने तिकुनिया थाने में तहरीर देकर अजय मिश्र टेनी और उनके तीन अन्य सहयोगियों पर अपने बेटे को गोली मारने के आरोप लगाए। तहरीर में उन्होंने आरोप लगाया था, ”मेरा बेटा प्रभात घर से दुकान जा रहा था जब अजय मिश्र उर्फ टेनी ने उसे कनपटी पर गोली मार दी। तुरंत दूसरी गोली सुभाष ने सीने और पेट में मारी।”
अजय मिश्र उर्फ टेनी इस मामले में मुख्य अभियुक्त थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया। प्रभात गुप्ता हत्याकांड इतना चर्चित हुआ था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव योगेंद्र नारायण को पत्र लिखकर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा था, लेकिन टेनी का दबदबा ऐसा था कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का पत्र भी बेअसर रहा।
मृतक का परिवार हाईकोर्ट पहुंचा और टेनी की गिरफ्तारी का आदेश कराया। इसके बाद टेनी ने 25 जून 2001 को अदालत में आत्मसमर्पण किया यहां से तबीयत खराब होने का हवाला देकर उन्हें जिला अस्पताल भेज दिया गया। अगले दिन अदालत ने उन्हें जमानत दे दी। राजीव गुप्ता कहते हैं, “मेरे भाई की हत्या के मुख्य अभियुक्त होने के बावजूद टेनी एक भी दिन जेल नहीं गए। पूरा सिस्टम उनके हाथ में था।”
यह तस्वीर समाजवादी युवजन सभा से जुड़े प्रभात गुप्ता की है। इनके परिजनों का आरोप है कि टेनी ने ही प्रभात की हत्या करवाई थी।
प्रभात गुप्ता हत्याकांड के जांच अधिकारी आरपी तिवारी ने अभियोजन रोजनामचे के आखिरी पन्ने पर अजय मिश्र के बारे में लिखा है, “अजय मिश्र उर्फ टेनी भाजपा पार्टी का महामंत्री है तथा क्षेत्रीय विधायक एवं उत्तर प्रदेश सरकार में सहकारिता मंत्री श्री राम कुमार वर्मा का खास व्यक्ति होने एवं दबंग होने के कारण इसके आतंक एवं भय से क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति सही एवं सत्य बात कहने की हिम्मत नहीं कर रहा है। विश्वस्त सूत्र सूचनानुसार यह नेपाल क्षेत्र पास होने के कारण तस्करी के कार्यों में भी लिप्त है जिससे इसकी आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी है।”
विवेचक ने आगे लिखा है- “इन सभी कारणों से ये कुछ लोगों पर दबाव डालकर शपथ पत्रों के माध्यम से गवाही दिलवा रहा है, जो घटना के समय ना ही मौजूद रहे और ना ही घटना की सही जानकारी है।”
स्थानीय अदालत ने साल 2004 में इस हत्याकांड में टेनी समेत सभी चारों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था। जिस जज ने उन्हें दोषमुक्त किया था वो बरी करने के अगले ही दिन रिटायर हो गए थे। प्रभात गुप्ता के परिवार ने इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी है, जहां ये मामला लंबित है।
इसके अलावा भी अजय मिश्र पर कई मुकदमे दर्ज हैं। अजय मिश्र के खिलाफ 2005 में घर में घुसकर मारपीट और दंगा-फसाद का मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद 2007 में भी अजय मिश्र के खिलाफ घर में घुसकर मारपीट का एक और मुकदमा दर्ज हुआ।
खौफ का साम्राज्य
तिकुनिया, बनवीरपुर और आसपास के इलाके में लोग अजय मिश्र टेनी के खौफ के किस्से सुनाते हैं, लेकिन जब उनसे कहो कि क्या आपके नाम के साथ इन्हें प्रकाशित कर सकते हैं तो वो हाथ जोड़ लेते हैं। एक स्थानीय सिख ने दावा किया कि करीब दो दशक पहले टेनी ने दो सिखों को नंगा करके पीटा था और इसी अवस्था में गांव भेजा था, लेकिन हम उनके इस दावे की पुष्टि नहीं कर सके। हालांकि इस तरह की कई कहानियां यहां लोगों ने सुनाई।
दबी जबान में लोग यहां होने वाली तस्करी से भी टेनी का नाम जोड़ते हैं। दो दशक पूर्व टेनी पर तस्करी का भी आरोप लगा था, लेकिन बाद में मामला दब गया।
स्थानीय पत्रकारों और कई लोगों ने ये बताया कि टेनी का जितना कारोबार सीमा के इस तरफ है उससे कहीं ज्यादा दूसरी तरफ है। दबी जबान में लोग यहां होने वाली तस्करी का भी हवाला देते हैं। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो उन्हें एक कद्दावर नेता के तौर पर देखते हैं। तिकुनिया के एक व्यापारी ने बताया कि टेनी का इस इलाके में खास प्रभाव है और उन्हें जनसमर्थन भी प्राप्त है। वो कहते हैं, यदि जनसमर्थन प्राप्त नहीं होता तो हर बार उनकी जीत का आंकड़ा बढ़ता क्यों जाता?
अजय मिश्र टेनी इस समय केंद्र सरकार का ब्राह्मण चेहरा हैं। उन्होंने बीते 9 सालों में विधायक से शुरुआत करके केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय किया है। राजनीति में इतनी जल्दी इतनी बड़ी कामयाबी कम ही लोगों को मिलती है।
टेनी का राजनीतिक सफर
61 वर्षीय अजय मिश्र उर्फ टेनी ने कानपुर के क्राइस्ट चर्च कॉलेज से साइंस (BSc) और डीएवी कॉलेज कानपुर से लॉ (LLB) की डिग्री हासिल की है। बचपन से ही पहलवानी से जुड़े रहे टेनी को पावर लिफ्टिंग और क्रिकेट का भी शौक था। उन्होंने छात्र जीवन में जिला स्तर और यूनिवर्सिटी स्तर पर कई खेल मुकाबले जीते हैं, लेकिन वो हमेशा से ही राजनीति में आना चाहते थे और 90 के दशक में ही स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गए थे और नेताओं के साथ रहने लगे थे।
BJP की जिला इकाई में कई पदों पर रहे टेनी को कल्याण सिंह सरकार के दौरान जिला सहकारी बैंक का उपाध्यक्ष भी बनाया गया था। स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक उस दौर में टेनी की छवि एक दबंग व्यक्ति की थी। टेनी को राजनीति में पहली कामयाबी साल 2005 में जिला पंचायत चुनाव में मिली जब वो खीरी जिला पंचायत के सदस्य चुने गए।
केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्र यहां कुश्ती प्रतियोगिता कराते रहते हैं। उनके पिता को भी पहलवानी का शौक रहा है।
इसके बाद उन्होंने BJP की टिकट पर साल 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसमें वो चौथे नंबर पर रहे। हालांकि तीन साल बाद ही 2012 में वो BJP की टिकट पर निघासन विधानसभा सीट से जीते। इसके बाद पार्टी ने उन्हें विधायकी से हटाकर 2014 का लोकसभा चुनाव खीरी सीट से लड़वाया और तब से ही वो खीरी से सांसद हैं। अभी तीन महीने पहले जुलाई में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया है। विधायक बनने के सिर्फ नौ साल के भीतर ही वो केंद्रीय मंत्री बन गए हैं।
स्थानीय राजनीति में सक्रिय टेनी का जैसे-जैसे कद बढ़ा उनका रुतबा भी बढ़ता गया। इलाके के लोग उन्हें टेनी महाराज कहने लगे। अब यहां लोग उन्हें टेनी महाराज ही पुकारते हैं।
कैसे पड़ा टेनी नाम?
टेनी के पिता अंबिका मिश्र को पहलवानी का शौक था। वो प्यार से अजय मिश्र को टेनी कहा करते थे। दिनेश कहते हैं, “अंबिका जी घर में अजय जी को प्यार से टेनी-टेनी कहा करते थे, जैसे हम अपने बेटे को पट्टू कहते हैं।