कांग्रेस अध्यक्ष पर अगले सप्ताह आ सकता है बड़ा फैसला, सिद्धू पर भी रहेगी निगाह
नई दिल्ली. कांग्रेस पार्टी (Congress) अगले सप्ताह वर्किंग कमेटी की बैठक बुला सकती है. हालांकि, अभी तक इसकी तारीख तय नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि नवरात्रि के दौरान 15 अक्टूबर से पहले कांग्रेस की बड़ी बैठक आयोजित हो सकती है. खास बात यह है कि कांग्रेस की बैठक ऐसे समय में आयोजित होने जा रही है कि जब पंजाब और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में नेताओं के बीच असंतोष बना हुआ है. ‘G-23’ ने भी कमेटी की मीटिंग की मांग के साथ पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था. उम्मीद की जा रही है कि सियासी अस्थिरता, नेताओं की नाराजगी और अध्यक्ष पद जैसे मुद्दों को लेकर बैठक में जमकर हंगामा हो सकता है.
क्या हो सकते हैं बड़े मुद्दे
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा था कि CWC बैठक अगले सप्ताह बुलाई जाएगी. उन्होंने कहा, ‘हां, संगठनात्मक चुनाव और देश के हो रही सियासी घटनाक्रमों को लेकर चर्चा की जा सकती है.’ पार्टी के कई बड़े नेता शीर्ष नेतृत्व को लेकर सवाल उठा चुके हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि बैठक में अध्यक्ष पद को लेकर भी बड़ी चर्चा हो सकती है. पार्टी में कोरोना वायरस महामारी के चलते लंबे समय से अध्यक्ष का चुनाव टल रहा है.
G-23 के सदस्य और कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर CWC मीटिंग की मांग की थी. इसके अलावा उनके साथी और कपिल सिब्बल ने कहा था, ‘फिलहाल, हमारी पार्टी में कोई अध्यक्ष नहीं है.’ उनके इस बयान के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनके घर के बाहर प्रदर्शन भी किया था. AICC के महासचिव अजय माकन ने कहा था कि जिस संगठन ने सिब्बल को पहचान दी, उन्हें इस तरह इसका अपमान नहीं करना चाहिए था.
चुनाव के कारण ही टल सकते हैं चुनाव
एजेंसी के अनुसार, पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा था कि पांच अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव होने के चलते आंतरिक चुनावों के टलने की संभावना है. हालांकि, इस पर आंतिम फैसला CWC सदस्यों की तरफ से लिया जाएगा. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि 15 अक्टूबर को खत्म हो रही नवरात्रि को दौरान बैठक आयोजित होने की संभावना है.
पार्टी शासन वाले राज्यों में असंतोष
पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर नया विवाद खड़ा कर दिया है. नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के कैबिनेट विस्तार के कुछ मिनटों बाद ही सिद्धू ने पद छोड़ने की पेशकश कर दी थी. हालांकि, उनके त्यागपत्र को पार्टी आलाकमान ने मंजूर नहीं किया था. इसके बाद उन्होंने सीएम चन्नी से भी मुलाकात की थी, लेकिन एक सप्ताह से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी सिद्धू की इस्तीफे को लेकर स्थिति साफ नहीं है. वे मंत्रिमंडल और प्रशासन में नियुक्तियों को लेकर असंतुष्ट नजर आ रहे थे. इधर, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी लगातार कांग्रेस नेताओं पर हमलावर हैं. खबरें आई थी कि वे जल्द ही नई राजनीतिक पार्टी का ऐलान कर सकते हैं.
छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के समर्थकों ने नेतृत्व में बदलाव की मांग उठा दी थी. इसके बाद से ही मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समर्थकों ने राजधानी दिल्ली में डेरा डाल लिया था. हाल ही में खुद सीएम बघेल भी दिल्ली पहुंचे थे, जहां उन्होंने राहुल गांधी से मुलाकात की थी. ढाई-ढाई साल सीएम के फॉर्मूले को लेकर कयास लगाए जाने लगे थे कि छत्तीसगढ़ में भी नेतृत्व बदला जा सकता है. बघेल को यूपी विधानसभा चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया गया है. एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इतने बड़े राज्य की जिम्मेदारी बघेल को मिलना इस बात के संकेत देता है कि उनकी सीएम की कुर्सी अभी के लिए तो सुरक्षित है.