FIR के बाद टीवी में बयान दे रहा आशीष मिश्र:लखीपुर खीरी कांड पर बोला
हमला ही करना होता तो क्या 3 गाड़ियां और माला-फूल लेकर जाता; मैं जिंदा हूं, वहां गया होता तो मार दिया जाता
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र लखीमपुर खीरी कांड को लेकर मीडिया से बातचीत की।
लखीमपुर खीरी में रविवार को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र ने प्रदर्शन कर रहे किसानों पर कथित तौर पर गाड़ी चढ़ा दी। ये किसान डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य का विरोध कर रहे थे। इस घटना में आठ लोगों की मौत हो गई। मामला तूल पकड़ने के बाद मंगलवार देर शाम आशीष मिश्र ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि अगर मुझे हमला ही करना होता तो क्या तीन गाड़ियां और माला-फूल लेकर जाता। मैं जिंदा हूं, क्योंकि मैं वहां नहीं था। जितने लोग थे सबको मार डाला गया। अगर मैं वहां होता तो क्या बच पाता? मुझे भी मार दिया जाता। मुझे खरोंच तक नहीं आई है।
बता दें , लखीमपुर में हिंसक झड़प के दौरान किसानों की मौत को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र समेत 14 लोगों के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश और बलवा सहित कई धाराओं में एफआईआर दर्ज कर है। इसके बाद भी मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उधर, टीवी पर मीडिया से बातचीत कर वह मामले में अपनी बेगुनाही की सफाई दे रहे हैं।
खुद को किसान कहने वालों ने गाड़ी पर हमला किया
आशीष मिश्र ने बताया कि उनके गांव बंघेरपुर में 35 सालों से बाबा के नाम से कुश्ती प्रतियोगिता चल रही है। उनके पिता इसके अध्यक्ष थे। लेकिन 10-12 सालों से वह प्रतियोगिता का आयोजन करा रहे हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को चीफ गेस्ट बनने का अनुरोध किया था। शिष्टाचार के तहत तीन वाहन उनको रिसीव करने के लिए जा रहे थे। रास्ते में कुछ लोग जो किसान कहते हैं किसान लोग ने हमारी गाड़ी पर हमला बोला। सबसे पहले जिस महिंद्रा थार गाड़ी से मैं चलता था, उसमें कार्यकर्ता बैठे हुए थे, जैसा सुनने में आया है, पर पथराव किया।
गाड़ी डिसबैलेंस होकर हमला करने वालों पर चढ़ गई
उसमें से एक दो लड़के, जो घायल हुए हैं, उन्होंने बताया कि ड्राइवर हरिओम मिश्रा को पत्थर मारा गया और ड्राइवर अचेत हो गया। गाड़ी डिसबैलंस हो गई और जो लोग पथराव कर रहे थे, उनके ऊपर चढ़ गई। उसमें हमारे चार कार्यकर्ताओं को, जिसमें मेरा ड्राइवर भी था कि पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। मेरे तीन-चार मिल नहीं रहे हैं।
झूठे आरोपों में फंसाया गया
आशीष ने कहा कि रविवार को वह सुबह 9 बजे से शाम को कार्यक्रम समापन तक अपने गांव में ही मौजूद रहे। वह तिकुनिया गए ही नहीं। बोले कि यह स्पष्ट हो जाएगा, इसके प्रमाण उपलब्ध हो जाएंगे। अभी हमारे पिता को किसानों ने कई कार्यक्रमों में आमंत्रित किया गया। हम लोग कृषि कानून के समर्थन में किसानों को बता रहे थे। कुछ लोगों को यह नागवार गुजर रहा था। ऐसे लोगों ने सोचा की मोनू को मार दें। बड़ी घटना कर दें। इनके परिवार में किसी को चोट कर दें या झूठे आरोपों में फंसाएं।