एसडी बर्मन की आवाज का कायल था हर कोई, इस तरह बने थे संगीत सम्राट
हिंदी संगीत और सिनेमा में बहुत से गायकों और संगीतकारों का योगदान रहा है। कुछ सितारों ने अपनी ऐसी छाप छोड़ी कि जमाने बदल गए लेकिन उनकी छाप को कोई न मिटा सका। ऐसे ही एक संगीतकार थे सचिन देव बर्मन।
नई दिल्ली, जेएनएन। हिंदी संगीत और सिनेमा में बहुत से गायकों और संगीतकारों का योगदान रहा है। कुछ सितारों ने अपनी ऐसी छाप छोड़ी कि जमाने बदल गए, लेकिन उनकी छाप को कोई न मिटा सका। ऐसे ही एक संगीतकार थे सचिन देव बर्मन। सचिन देव बर्मन को लोग आज भी एसडी बर्मन के नाम से जानते हैं। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को कोई खारिज नहीं कर सकता।
एसडी बर्मन हिंदी सिनेमा के मशहूर गायक और संगीतकार थे। उन्होंने अपने आवाज से साथ संगीत से भी अपने जमाने में खूब सुर्खियां बटोरीं। एसडी बर्मन का जन्म 1 अक्टूबर, 1906 को त्रिपुरा में हुआ था। उनके पिता त्रिपुरा के राजा ईशानचंद्र देव बर्मन के दूसरे पुत्र थे। वह नौ भाई-बहन थे। एसडी बर्मन ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीए की शिक्षा प्राप्त की। संगीत की दुनिया में उन्होंने सितारवादन के साथ कदम रखा।
कलकत्ता विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद एसडी बर्मन ने 1932 में कलकत्ता रेडियो स्टेशन पर गायक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने बांग्ला फिल्मों तथा फिर हिंदी फिल्मों की ओर रुख करने का फैसला किया। अपने करियर की शुरुआत में एसडी बर्मन ने बांग्ला गाने गए और बंगाली प्ले करने शुरू कर दिया। 1944 में एसडी बर्मन मुंबई चले गए। यहां उन्हें फिल्म शिकारी (1946) और आठ दिन (1946) में संगीत देने का मौका मिला।
इसके बाद धीरे-धीरे एसडी बर्मन हिंदी सिनेमा के मशहूर गायक और संगीतकार बन गए। उन्होंने अस्सी से भी ज्यादा फिल्मों में संगीत दिया। एसडी बर्मन ने हिंदी फिल्मों में बहुत से दिल को छूने वाले कर्णप्रिय यादगार गीत दिए हैं। उन्होंने गाइड में अल्ला मेघ दे, पानी दे., वहां कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहां, फिल्म प्रेम पुजारी में प्रेम के पुजारी हम हैं., फिल्म सुजाता में सुन मेरे बंधु रे, सुन मेरे मितवा जैसे गीतों को अपनी आवाज देकर उन्हें अमर बना दिया।
एसडी बर्मन ने फिल्म तलाश, बंदिनी, अमर प्रेम आदि फिल्मों में भी गानों को अपनी आवाज दी। इनकी प्रमुख फिल्में हैं मिली, अभिमान, ज्वैल थीफ, गाइड, प्यासा, बंदनी, सुजाता और टैक्सी ड्राइवर। 1969 की फिल्म आराधना में भी एसडी बर्मन का ही संगीत था। इस फिल्म से एक ओर सुपरस्टार राजेश खन्ना का उदय हुआ वहीं, गायक किशोर कुमार के करियर को भी नई ऊंचाई मिली।