फंस गई कांग्रेस: सिद्धू का इस्तीफा मान ले तो कम होगा एक चेहरा, न माने तो मुश्किल

 

 

 

 

 

नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद पंजाब कांग्रेस में जारी उथल-पुथल बुधवार को भी देखने को मिला। इस बार न तो कांग्रेस झुकने को मूड में नजर आ रही है और न ही नवजोत सिंह सिद्धू अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार दिख रहे हैं। पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के पद से इस्तीफा देने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने चरणजीत सिंह चन्नी सरकार के खिलाफ अपना रुख और सख्त कर लिया है। सिद्धू को इस्तीफा दिए हुए दो दिन हो गए हैं, फिर भी कांग्रेस ने अब तक स्वीकार नहीं किया है। अब कांग्रेस के सामने कुछ ही विकल्प बचे हैं, जिसमें अगर पार्टी इस्तीफा मान लेती है तो एक चेहरा कम हो जाएगा और अगर न माने तो मुश्किलों की बाढ़ आ जाएगी।

हालांकि, पार्टी नेताओं को उम्मीद थी कि नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाएगा, ताकि कांग्रेस और उसके शासन को और अधिक शर्मिंदगी न हो, मगर सिद्धू के वार्ता के लिए सीएम चन्नी के निमंत्रण का जवाब देने में विफल रहने के बाद भी आलाकमान ने अपने पैर खींचना जारी रखा और अब तक इस्तीफा मंजूर नहीं किया। कांग्रेस आलाकमान के पास अब या तो सिद्धू के इस्तीफे और उसके परिणामों को स्वीकार करने या उनके सामने झुकने का विकल्प है या फिर उसके पास एक बड़ा चेहरे के नुकसान होने का विकल्प है।

दरअसल, सिद्धू ने इस्तीफा देकर कांग्रेस में नया संकट पैदा कर दिया। उन्होंने बुधवार को अपनी चुप्पी तोड़ी और पुलिस महानिदेशक, राज्य के महाधिवक्ता तथा ‘दागी’ नेताओं की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए। बुधवार को सिद्धू ने अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किए गए एक वीडियो संदेश में कहा कि वह एक सिद्धांतवाती नेता हैं और वह कभी अपने सिद्धांतों के सात समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने वीडियो में कहा, ‘यह व्यक्तिगत लड़ाई नहीं बल्कि सिद्धांतों की लड़ाई है। मैं सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा और मैं अपनी आखिरी सांस तक सच्चाई के लिए लड़ूंगा। मैं आलाकमान को नहीं गुमराह कर सकता हूं और न ही गुमराह होने दे सकता हूं। मैं पंजाब के लोगों के लिए कोई भी कुर्बानी दे सकता हूं, मगर अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा।’

इधर भले ही सिद्धू अपने फैसले से हिल नहीं रहे हैं, मगर सिद्धू के इस्तीफे को स्वीकार न करके कांग्रेस भी अपना सख्त रूख दिखा रही है। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो अगर सिद्धू ने हार मानने (इस्तीफा वापस लेने) से इनकार कर दिया तो नेतृत्व के पास उनके इस्तीफे को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा और फिर नवजोत सिंह सिद्धू को कैप्टन से ज्यादा तरजीह देने को लेकर राहुल गांधी की गलती सामने आ जाएगी। हालांकि, सिद्धू को इस्तीफा वापस लेने के लिए राजी किया जाता है तो इसका मतलब है कि उनके पास और अधिक पावर हो जाएंगे, मगर कांग्रेस इस्तीफा ले लेती है तो फिर कांग्रेस की मुश्किल बढ़ जाएगी।

बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने नाराज चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू से बुधवार को टेलीफोन पर बातचीत की और मुद्दों को सुलझाने के लिए वार्ता की पेशकश की। चन्नी ने कहा कि मैंने टेलीफोन पर सिद्धू साहब से बात की। पार्टी सर्वोपरि है और सरकार पार्टी की विचारधारा को स्वीकार कर उसका अनुसरण करती है। (मैंने उनसे कहा कि) आपको आना चाहिए और बैठकर बात करनी चाहिए। अगर आपको (सिद्धू) को कुछ गलत लगता है तो आप उस बारे में बता सकते हैं।
 

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