मनीष की पत्नी मीनाक्षी बोलीं- बेटा पूछता है पापा कहां गए, उसे क्या बताऊं

गोरखपुर में कानपुर के  प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की पुलिस पिटाई से मौत के बाद इंसाफ की आस लगाए परिवार और अफसरों के बीच बातचीत बेनतीजा रही। देर रात तक अफसरों की कोशिश रही कि मुख्यमंत्री के आगमन से पहले अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को तैयार कर लिया जाए। परिवार अफसरों की बात पर सहमत था लेकिन भरोसों का लिखित आश्वासन चाहता था। डीएम और पुलिस कमिश्नर ने बंद कमरे में 3:30 घंटे तक बात की लेकिन मांगों को लेकर कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया। आखिरकर रात 9 बजे निराश होकर लौट आए। बाद में आज सुबह मनीष का अंतिम संस्कार किया गया।

नौकरी और 50 लाख की गारंटी न दे पाए अफसर : 

देर शाम तक जनता नगर बर्रा-3 स्थित प्रापर्टी डीलर के आवास पर भीड़ लगी रही। शाम करीब 5:30 बजे पुलिस कमिश्नर असीम अरुण और डीएम विशाख जी पहुंचे। दोनों अफसरों अफसरों की बंद कमरें में बातचीत शुरू हुई। परिवार को समझाने की कोशिश की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अफसर सरकारी नौकरी और 50 लाख की आर्थिक सहायता की गारंटी नहीं दे पाए। नतीजतन वार्ता विफल रही।

बेटे को क्या बताऊं सर

प्रशासन से वार्ता के बाद देर रात मनीष की पत्नी मीनाक्षी अपने चार साल के बेटे अभिराज को गोद में लिए घर के एक किनारे पर बैठ गई। आंखों से आंसू थम नहीं ले रहे थे। बातचीत में कहा कि मेरा बेटा पूछता है पापा कहां गए। मीनाक्षी रोते हुए बोली, मेरा चार साल का बेटा अब शांत हो गया है। कल तक वह पूछ रहा था कि पापा कहां गए। अब उसे क्या जवाब दूं। यह भी सच है कि जितनी जल्दी वह सच्चाई को जान जाएगा उतनी जल्दी उसकी तकलीफ कम होगी। मैंने उसे सच्चाई बता दी है। मैंने उससे कहा कि पापा भगवान के घर चले गए हैं। उसने पूछा तो क्या अब पापा कभी वापस नहीं आएंगे और उसके बाद वह खामोश हो गया है। कुछ बोल नहीं रहा।

हार नहीं मानूंगी : 

मीनाक्षी ने पिता-पुत्र के रिश्ते पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मनीष के लिए अभिराज सबकुछ था। उसकी मुस्कान उनकी हंसी का बहुत बड़ा कारण थी। वह हमेशा कहते थे कि मैं इसे पढ़ा लिखाकर बहुत बड़ा आदमी बनाऊंगा। मीनाक्षी कहती है कि उन्होंने हार नहीं मानी है। वह अपने बेटे को पति की इच्छा के अनुसार पढ़ा लिखाकर खूब बढ़ा आदमी बनाएंगी। वह कहती है कि मनीष के सपने को वह पूरा करेंगी।

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