चुनावों में मिलेगी जीत या जारी रहेगी हार? कन्हैया-जिग्नेश के जरिए एक और प्रयोग को कांग्रेस तैयार
एक के बाद एक चुनाव में हार से जूझ रही कांग्रेस एक और प्रयोग के लिए तैयार है। पार्टी आंदोलन से निकलने वाले युवाओं को संगठन में जगह देकर चुनावों में जीत की दहलीज तक पहुंचना चाहती है। जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और गुजरात से विधायक व दलित नेता जिग्नेश मेवाणी पार्टी की इसी रणनीति का हिस्सा हैं। दोनों युवा नेता मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी पार्टी की पूरे देश में युवाओं को साथ जोड़ने की योजना का हिस्सा हैं। पार्टी हर राज्य में युवाओं में साथ जोड़ने के लिए महाभियान चलाने की तैयारी कर रही है। यह पहला मौका नहीं है, जब कांग्रेस ने सियासत में नए प्रयोग करने की कोशिश की है। इससे पहले भी पार्टी कई प्रयोग कर चुकी है। हालांकि, इन सभी प्रयोगों के परिणाम बहुत उत्साहजनक नहीं रहे हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वर्ष 2007 में पार्टी महासचिव के तौर पर यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई में आंतरिक चुनाव की शुरुआत की थी। इसका लक्ष्य संगठन में जमीनी युवा कार्यकर्ताओं को आगे बढने का मौका देना था। यह एक अच्छा प्रयास था, पर प्रदेशों में वरिष्ठ नेताओं के परिवारों से ताल्लुक रखने वाले युवा धनबल के जरिए खुद चुनाव जीतकर पदाधिकारी बन गए।
इसके बाद पार्टी ने 2014 के चुनाव में एक और प्रयोग किया। अमेरिका की तर्ज पर 16 लोकसभा सीट पर उम्मीदवार तय करने के लिए अंदरुनी लोकतंत्र की प्रक्रिया अपनाई गई। इसमें उम्मीदवार के चयन के लिए उस क्षेत्र के पार्टी पदाधिकारी और नेताओं की राय ली जानी थी। पर कई सीट पर टिकट के दावेदारों के विरोध के बाद इस प्रयोग को बंद कर दिया गया।
इसके बाद कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार तय करने के लिए डेटा का इस्तेमाल किया था। इसमें पार्टी के शक्ति ऐप ने भी अहम भूमिका निभाई थी। पार्टी ने 300 सीट पर डेटा के विश्लेषण के आधार पर उम्मीदवार तय करने का प्रयास किया, पर यह कोशिश भी सफल नहीं हो पाई थी। ऐसे में यह वक्त तय करेगा कि कन्हैया और मेवाणी के जरिए पार्टी युवाओं को जोड़ने में कितनी सफल रहती है।
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