सिंघु और टीकरी बॉर्डर बंद, तत्काल दिल्ली के लिए वैकल्पिक रास्ता खोंलें अधिकारी- अनिल विज
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे तत्काल सोनीपत और झज्जर जिले से दिल्ली जाने के लिए वैकल्पिक रास्ता खोलें क्योंकि किसान आंदोलन की वजह से सिंघु और टीकरी बॉर्डर बंद हैं। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक विज ने कहा कि इन सड़कों की मरम्मत शुरू की जाए ताकि हरियाणा से दिल्ली जाने के दौरान यात्रियों को इन रास्तों पर कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।
मंत्री ने बुधवार को कहा कि मुख्य मार्ग किसान आंदोलन की वजह से बंद होने और लोगों को हो रही असुविधा को ध्यान रखते हुए सभी वैकल्पिक मार्गों को खोला जाए और यथाशीघ्र मरम्मत कराई जाए। उन्होंने कहा कि जिन सड़कों का इस्तेमाल लोग दिल्ली जाने के लिए कर रहे हैं उनकी मरम्मत और गड्ढों को भरने का काम गुरुवार से शुरू कर दिया जाए। अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान विज ने कहा कि हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम की सड़कें सोनीपत से दिल्ली के लिए प्रमुख वैकल्पिक मार्ग है और उनकी यथाशीघ्र मरम्मत की जानी चाहिए।
कृषि कानूनों की वापस तक दिल्ली की सीमाओं से नहीं हिलेंगे किसान
हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने बुधवार को कहा कि जब तक केन्द्र तीन नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेता तब तक दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान वहां से नहीं हिलेंगे। चढूनी ने कहा कि सरकार चाहे जितना दबाव डाले, लेकिन किसान कानून रद्द होने तक हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर से एक इंच भी नहीं हिलेंगे। कुरुक्षेत्र के इस्माइलाबाद में ‘किसान महापंचायत’ को संबोधित करते हुए चढूनी ने सरकार से कहा कि सीमाएं खोलने का सपना देखना बंद कीजिए।
इस बीच महापंचायत में निर्णय लिया गया कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। पंजाब हरियाणा और अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में किसान कम से कम दस माह से आंदोलन कर रहे हैं। महापंचायत को संबोधित करते हुए चढूनी ने कहा कि प्रदर्शनों के दौरान बड़ी संख्या में किसानों के खिलाफ हरियाणा में मामले दर्ज किए गए और पुलिस किसानों को तलब कर रही है। उन्होंने किसानों से समन को स्वीकार नहीं करने और पुलिस थानों में भी नहीं जाने की अपील की। इस महापंचायत में 27 सितंबर को किसान यूनियनों के भारत बंद को सफल बनाने की भी अपील की गई।
बैठक में नहीं पहुंचे किसान नेता
हरियाणा सरकार ने इस महीने की शुरुआत में कुंडली-सिंघु बॉर्डर पर राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर गतिरोध समाप्त करने के लिए आंदोलनरत किसान यूनियन के नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया था, लेकिन किसान यूनियन के नेता पिछले सप्ताह सोनीपत में जिला प्रशासन द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए थे।
किसान नेताओं के बैठक में शामिल नहीं होने पर हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने चंडीगढ़ में कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री को भी इसकी जानकारी दे दी गई है।
कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। वे इन तीनों कानूनों को रद्द करने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए एक नया कानून लाने की मांग कर रहे हैं। इन विवादास्पद कानूनों पर बने गतिरोध को लेकर हुई किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही। किसानों ने सरकार से उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है।
बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार सितंबर में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।