महंत नरेंद्र गिरि मौत: गिरफ्तार शिष्य आनंद गिरि का विवादों से रहा है पुराना नाता, जानिए उनके बारें में

प्रयागराज. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के आत्महत्या मामले में गिरफ्तार शिष्य स्वामी आनंद गिरि का विवादों से पुराना नाता रहा है. एक साल पहले ही महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरि को पंचायती अखाडा श्री निरंजनी, बाघंबरी गाड़ी पीठ और हनुमान मंदिर से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. हालांकि बाद में पैर छूकर माफ़ी मांगने के बाद नरेंद्र गिरि ने उन्हें माफ तो कर दिया था पर उनकी अखाड़े में वापसी नहीं हुई थी. महंत नरेंद्र गिरि ने स्वामी आनंद गिरि को संन्यास धारण करने के बावजूद अपने परिवार से संबंध रखने के कारण उन्हें निष्कासित किया था. उनके मुताबिक संन्यास परंपरा में आने के बाद अपने परिवार से संबंध रखने पर अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाता है.

इसके बाद विवाद और तब बढ़ा जब स्वामी आनंद गिरि ने दो वीडियो जारी कर नरेंद्रगिरि पर गंभीर आरोप लगाया था. इतना ही नहीं आनंद गिरि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर  मठ संपत्ति विवाद की सीबीआई जांच की मांग की थी. हालांकि बाद में बड़े ही नाटकीय अंदाज में स्वामी आनंद गिरि का एक वीडियो सामने आया जिसमें वे महंत नरेंद्र गिरि का पैर छूकर माफ़ी मांगते दिखाई दिए.स्वामी आनंद गिरी काफी हाई प्रोफाइल योग गुरु के तौर पर जाने जाते रहे हैं. लेकिन साथ ही साथ विवाद भी उनके साथ हमेशा रहा. ऑस्ट्रेलिया में उन पर दो अलग-अलग मौकों पर दो महिलाओं के साथ मारपीट का आरोप लगा था. आरोप के मुताबिक उन्हें दो अवसरों पर हिंदू प्रार्थना के लिए अपने घरों में आमंत्रित किया गया था. जहां 2016 में उन्होंने अपने घर के बेडरूम में एक 29 वर्षीय महिला के साथ कथित तौर पर मारपीट की. इसके बाद 2018 में, गिरि ने लाउंज रूम में 34 वर्षीय एक महिला के साथ कथित तौर पर मारपीट की. इस मामले में भी महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरि की मदद की थी और उनकी जमानत करवाकर रिहा करवाया था.

2020 में स्वामी आनंद गिरि की एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें वे एक फ्लाइट के बिज़नेस क्लास में बैठे हैं और उनकी सीट के होल्डिंग पर शराब से भरा एक ग्लास रखा हुआ है. इस तस्वीर के वायरल होने के बाद उनकी काफी किरकिरी हुई थी. हालांकि बाद में सफाई देते हुए आनद गिरि ने कहा था कि वह शराब नहीं एप्पल जूस था. उन्हें बदनाम करने की साजिश रची जा रही है.

बता दें कि आनंद गिरि ने सीएम योगी आदित्यनाथ से भी कम उम्र में संन्यास लिया था. दीक्षा के समय योगी जहां 22 साल के थे, वहीं आनंद महज 10 साल की उम्र में नरेंद्र गिरि के संरक्षण में दीक्षा ली थी. संन्यासी के रूप में ही उन्होंने संस्कृत ग्रामर, आयुर्वेद और वेदिक फिलॉसफी की शिक्षा ली. बीएचयू से ग्रैजुएट आनंद गिरि योग तंत्र में पीएचडी की हैं. वे मंत्रयोग, हठयोग, राजयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग और कर्मयोग की ट्रेनिंग देते हैं.

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