काबुल ब्लास्ट की सबसे इमोशनल घटना
मां से बिछड़ा 3 साल का मासूम लाशों के बीच खड़ा था, 17 साल के बच्चे ने जान बचाई; 2 हफ्ते बाद परिवार से मिला
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में 26 अगस्त को एयरपोर्ट पर हुए फिदायीन हमले में 169 लोग मारे गए थे। धमाकों के बाद एयरपोर्ट पर लाशें बिछ गईं और खून से लथपथ घायल बुरी तरह कराह रहे थे। इस हमले में कई महिलाओं और बच्चों की भी जान गई, तो भगदड़ में कई मासूम अपने परिवार से बिछड़ गए। तीन साल का अली (बदला हुआ नाम) भी इन्हीं में से एक था। पढ़िए कैसे इस बच्चे की जान बची और कैसे वह 2 हफ्ते बाद अपने परिवार से मिल सका…
काबुल एयरपोर्ट पर ब्लास्ट के बाद अली अपनी मां और भाई-बहनों से बिछड़ गया था, लेकिन किसी तरह दोहा पहुंच गया। अब दो हफ्ते बाद वह कनाडा में अपने परिवार से मिला तो अली और उसके घरवाले ही नहीं बल्कि देखने-सुनने वाले दूसरे लोग भी इमोशनल हो गए। अली के पिता शरीफ (बदला हुआ नाम) ने बेटे को गले लगाया तो खुशी का इजहार करने के लिए मुंह से शब्द नहीं निकल पाए, शरीफ ने बस इतना कहा कि दो हफ्तों से सोया नहीं हूं।
कनाडा के ओन्टारियो एयरपोर्ट पर अली को उसके पिता ने गले लगाया तो काफी देर तक दोनों एक-दूसरे को देखते रहे।
दोहा में अली का ख्याल रखने वाले कतर के विदेश मंत्रालय ने बताया कि काबुल एयरपोर्ट पर एक 17 साल के बच्चे ने हिम्मत नहीं दिखाई होती शायद अली वहां से कभी नहीं निकल पाता। धमाकों के बाद मची अफरातफरी के बीच 17 साल के बच्चे ने 3 साल के अली को खौफ में देखा तो अपनी परवाह किए बिना अली को सुरक्षित जगह पहुंचाने का फैसला किया और ऐसा कर भी दिखाया। इसी की बदौलत अली आज अपने परिवार के साथ मुस्कुरा रहा है।
3 साल का अली 2 साल बाद अपने पिता से मिला तो गले से लिपट गया और दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे।
तीन साल के बच्चे का दो हफ्ते तक परिवार से दूर अनिश्चितता की स्थिति में रहना और एक मां का अपने बच्चे से इस तरह बिछड़ने के बाद क्या हाल होता है, ये कहने की जरूरत नहीं। अली के पिता तो बेटे 2 साल बेटे से मिले थे, क्योंकि 2 साल पहले वे कारोबार के सिलसिले में अफगानिस्तान से कनाडा आ गए थे।
अली के साथ दोहा से आई UN की अधिकारी स्टेला उसे गले लगाते हुए। स्टेला ने बताया कि अली बहुत अच्छा बच्चा है। 14 घंटे की फ्लाइट के दौरान वह ड्राइंग करता रहा और अपनी पसंद की फिल्में देखता रहा।
काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद खौफ खाए हजारों लोगों की तरह अली की मां भी अपने बच्चों के साथ कनाडा जाने के लिए 26 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर इंतजार कर रही थीं। इसी बीच आतंकी हमला होने से अली उनसे बिछड़ गया। फिर दो दिन 28 अगस्त को एयरलिफ्ट फिर शुरू हुआ तो अमेरिकी सैनिकों ने अली को अकेले ही दोहा की फ्लाइट में बैठा दिया गया और दोहा पहुंचने पर उसे एक अनाथालय में रखा गया। अब दो हफ्ते बाद अली को दोहा से टोरंटो की फ्लाइट में बिठाकर सोमवार शाम कनाडा पहुंचाया गया है।
एयरपोर्ट पर विक्ट्री साइन दिखाता हुआ अली ने अपने पिता का हाथ जिस तरह पकड़ा था वो शायद यही मैसेज दे रहा था कि अब कभी नहीं बिछड़ेंगे।
कनाडा के ग्रेटर टोरंटो इलाके में रह रहे अफगानी समुदाय के सदस्य और शरीफ के दोस्त समसोर ने बताया वे दो साल पहले शरणार्थी के तौर पर कनाडा आए थे और दो महीने पहले अपने परिवार को भी अफगानिस्तान से कनाडा लाने में कामयाब रहे थे। इसलिए अब वे अपने दोस्त (शरीफ) की खुशी को महसूस कर सकते हैं।
शरीफ को शायद यकीन नहीं हो रहा था कि उनका अली अब हमेशा के लिए करीब आ गया है, इसीलिए शायद बार-बार उसका चेहरा छू रहे थे।