अमेरिका का पाकिस्तान को दो टूक, पर क्यों?
अमेरिका ने कहा- तालिबान जब तक वादे पूरे नहीं करता तब तक उसे मान्यता न दे इमरान सरकार, हमारी हर मामले पर पैनी नजर
अफगानिस्तान में तालिबान हुकूमत आने के बाद ज्यादा उत्साहित नजर आ रहे पाकिस्तान को अमेरिका ने वॉर्निंग दे ही दी। अमेरिका ने पाकिस्तान की इमरान सरकार से साफ कह दिया है कि तालिबान जब तक अपने दो बड़े वादे पूरे नहीं करता, तब तक पाकिस्तान उसे मान्यता न दे। पहला वादा- महिलाओं और लड़कियों को हक देना। दूसरा- अफगानिस्तान छोड़ने के इच्छुक अफगानियों को इसकी मंजूरी देना। तालिबान नेता कई बार इन दोनों वादों को पूरा करने का भरोसा दिला चुके हैं। हालांकि, धरातल पर सच्चाई कुछ और है।
संसद के सामने पेश हुए विदेश मंत्री
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन मंगलवार को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के सामने पेश हुए और अफगानिस्तान के मामले पर बयान दिया। उन्होंने कहा- हम जानते हैं कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान के हित बढ़ते जा रहे हैं। इनमें से कुछ ऐसे हैं, जो हमारे नजरिए के खिलाफ हैं। अमेरिका अफगानिस्तान के भविष्य के बारे में सोच रहा है। कुछ लोग तालिबान को मजबूत बना रहे हैं। आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
कुछ सांसदों ने ब्लिंकन से पूछा- क्या अमेरिका पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर नए सिरे से विचार कर रहा है? इस पर ब्लिंकन ने कहा- हम इस पर विचार कर रहे हैं। ये देखा जा रहा है कि पाकिस्तान ने 20 साल में क्या रोल प्ले किया और आने वाले कुछ साल में उसे क्या करना चाहिए।
तालिबान के साथ है पाकिस्तान
अमेरिकी संसद में कई सांसदों ने तालिबान और पाकिस्तान के रिश्ते पर सवाल पूछे। कुछ ने कहा कि पाकिस्तान 20 साल से काबुल सरकार को गिराने की कोशिश कर रहा था। ब्लिंकन ने सुनवाई के दौरान ये भी माना कि अगर अमेरिका अब भी अफगानिस्तान में रुकता तो इससे ज्यादा नुकसान हो सकता था। तालिबान ने 5 हजार कैदियों को रिहा कर दिया था। विदेशी सैनिकों पर हमले बढ़ सकते थे। ब्लिंकन ने कहा- इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि अफगानिस्तान में जंग जल्द खत्म हो जाएगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा- अमेरिका अफगानिस्तान और उस क्षेत्र में अपना रोल प्ले करता रहेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के मुताबिक, अफगानिस्तान से निकलने के बाद भी अमेरिका इस क्षेत्र पर नजर बनाए रखेगा।
CIA चीफ गए थे पाकिस्तान
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के चीफ विलियम बर्न्स पिछले दिनों खुद पाकिस्तान गए थे। वहां उन्होंने आर्मी चीफ जनरल बाजवा और आईएसआई डायरेक्टर जनरल फैज हमीद से मुलाकात की थी। पाकिस्तान के मीडिया में यह सवाल बार-बार पूछा जा रहा है कि बर्न्स प्रधानमंत्री इमरान खान या एनएसए मोईद यूसुफ से क्यों नहीं मिले। इसके पहले ब्लिंकन और डिफेंस सेक्रेटरी जनरल लॉयड ऑस्टिन ने कई बार बाजवा और फैज हमीद से बातचीत की, लेकिन इमरान और उनके किसी मंत्री को फोन करना भी मुनासिब नहीं समझा।
बाइडेन ने नहीं किया इमरान को फोन
अमेरिका जानता है कि पाकिस्तान में फौज ही फैसले करती है, इसलिए उसके अफसर सीधे उनसे ही संपर्क करते हैं। 20 जनवरी को राष्ट्रपति बने जो बाइडेन ने दुनिया के लगभग हर बड़े नेता को फोन किया, लेकिन इमरान को नहीं। पाकिस्तान के एनएसए और विदेश मंत्री इस पर खुलेआम नाखुशी का इजहार कर चुके हैं। अफगानिस्तान जैसे अहम मसले पर अमेरिका कई बार पाकिस्तान पर दबाव तो डालता रहा, लेकिन इमरान के पास बाइडेन का फोन नहीं आया।