RSS से जुड़ी पत्रिका का इंफोसिस पर निशाना
मैग्जीन ने लिखा- इंफोसिस एंटीनेशनल ताकतों से जुड़ी कंपनी और टुकड़े-टुकड़े गैंग की सहयोगी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ी मैग्जीन पाञ्चजन्य ने अपने नए एडिशन में देश की बड़ी IT कंपनी इंफोसिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसमें कहा गया है कि इंफोसिस एंटीनेशनल ताकतों से जुड़ी है और नक्सलों, वामपंथियों और टुकड़े-टुकड़े गैंग की सहयोगी है। यह भी कहा कि इंफोसिस जानबूझकर भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है।
पाञ्चजन्य ने ‘साख और आघात’ टाइटल के आर्टिकल में लिखा- इंफोसिस के बनाए टैक्स फाइलिंग सिस्टम में आई खामियों के चलते टैक्स व्यवस्था के प्रति लोगों का भरोसा कम हो रहा है। ऐसे में सोचने वाली बात है कि कहीं इसमें एंटीनेशनल ताकतों का कोई लेना-देना तो नहीं है। कहीं ये सब देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए तो नहीं किया गया है।
टैक्स फाइलिंग पोर्टल में आई खामियों को लेकर निशाना साधा
इंफोसिस का बनाया नया इनकम टैक्स फाइलिंग पोर्टल 7 जून को ऑनलाइन हुआ था, लेकिन तब से टैक्सपेयर्स को इस वेबसाइट पर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पिछले महीने ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंफोसिस के CEO सलिल पारेख को बुलाकर इस खामी को जल्द से जल्द दूर करने को कहा था। वित्तमंत्री ने कंपनी को इसके लिए 15 सितंबर तक का समय दिया था। इंफोसिस को यह कॉन्ट्रैक्ट 2019 में मिला था।
कंपनी के कामों में बढ़ सकता है चीन और ISI का प्रभाव
पत्रिका ने लिखा- कंपनी में एक प्रमोटर नंदन निलेकणि ने कांग्रेस की टिकट से लोकसभा चुनाव लड़ा है। कंपनी के संस्थापक नारायण मूर्ति के मोदी विरोधी होने की बात किसी से छुपी नही है। इंफोसिस ऐसे ही लोगों को बड़े पदों पर अपाइंट करती है, जो खास तरह की विचारधारा का समर्थन करते हैं। अगर ऐसी कंपनी को बड़े सरकारी टेंडर मिलेंगे तो क्या इसके कामों में चीन और ISI का प्रभाव बढ़ने का डर नहीं होगा?
पत्रिका का आरोप- पीएम मोदी के खिलाफ बोलने वालों से जुड़ी है कंपनी
आर्टिकल में यह भी कहा गया है कि इंफोसिस के लंबे समय से वामपंथियों और दूसरी ऐसी कंपनियों से जुड़े होने की रिपोर्ट मिलती रही है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ रहते हैं। आर्टिकल में यह सवाल भी पूछा गया है कि क्या इंफोसिस अपने विदेशी क्लाइंट्स को भी ऐसी सर्विस मुहैया कराएगी।
पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने कहा- कवर स्टोरी ऐसे बड़े IT कॉरपोरेट के बारे में है, जिसका काम उसके नाम की साख के मुताबिक सही नहीं है। ऐसे काम से न सिर्फ कंपनी की साख खराब होती है, बल्कि करोड़ों लोगों को असुविधा भी होती है। ऐसे हालात में कंपनी को आगे आकर सफाई देनी चाहिए कि यह सॉफ्टवेयर कंपनी के तौर पर सेवाएं दे रही है या समाज में गुस्सा भड़काने के यंत्र के तौर पर काम कर रही है।