चीन में बच्चों का ऑनलाइन गेम ओवर!
शुक्रवार, शनिवार, रविवार और छुट्टियों में एक घंटा ही खेल सकेंगे; जानिए सब कुछ
चीन बच्चों की ऑनलाइन गेमिंग से परेशान है। इस वजह से उसने ऑनलाइन गेमिंग से बच्चों को दूर रखने के लिए नियम कड़े कर दिए हैं। 1 सितंबर से लागू नियमों के तहत अब 18 साल से कम उम्र के बच्चे हफ्ते में सिर्फ तीन घंटे ही ऑनलाइन गेम खेल सकेंगे। यानी शुक्रवार, शनिवार और रविवार को रोज सिर्फ एक घंटा। अगर सरकारी छुट्टी है तो वह दिन एक्स्ट्रा मिलेगा। नए नियमों को लागू कराना गेमिंग कंपनियों की जिम्मेदारी होगी। अगर वह ये नियम लागू नहीं करा पाईं तो उन्हें ही इसका जुर्माना भी चुकाना होगा।
आखिर ऐसा क्या हो गया कि ऑनलाइन गेमिंग को लेकर बच्चों पर चीन को इतना सख्त होना पड़ा? पाबंदी तो लगा दी, पर लागू कैसे होगी? क्या कंपनियां बच्चों को ऑनलाइन गेम खेलने से रोक सकेंगी? आइए जानते हैं-
चीन की सरकार ऑनलाइन गेमिंग की लत को लेकर इतनी आक्रामक क्यों है?
चीन दुनिया का सबसे बड़ा वीडियो गेम मार्केट है। पिछले कुछ वर्षों से बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग की बढ़ती लत सरकार के साथ-साथ हर बड़े फोरम पर चर्चा का विषय बनी हुई है। गेमिंग की लत छुड़ाने के लिए कई बड़े शहरों में क्लिनिक भी बनाए गए हैं। इन क्लिनिक्स में थेरेपी और मिलिट्री ड्रिल्स की मदद से बच्चों को गेमिंग की लत से दूर किया जा रहा है।ऑनलाइन गेमिंग की वजह से बच्चों की नजर कमजोर होने की बढ़ती शिकायतों के बाद चीन की सरकार ने यह कदम उठाया है। यह एकाएक लिया गया फैसला नहीं है, बल्कि पिछले कुछ वर्षों से चीन बच्चों को गेमिंग से दूर रखने की लगातार कोशिश कर रहा है।चीन में वीडियो गेम टाइटल्स को मंजूरी देने वाले रेगुलेटर नेशनल प्रेस एंड पब्लिकेशन एडमिनिस्ट्रेशन (NPPA) का कहना है कि गेम्स की वजह से बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत खराब हो रही है। इस वजह से नए नियमों में सख्ती बरती गई है।सरकारी मीडिया के आंकड़ों के मुताबिक चीन के 62.5% बच्चे ऑनलाइन गेम खेल रहे हैं। इसमें 13.5% बच्चे ऐसे हैं जो रोज मोबाइल या अन्य गैजेट्स पर दो घंटे से ज्यादा ऑनलाइन गेम खेल रहे हैं। इससे बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है। हाल ही में चीन सरकार ने प्राइवेट ट्यूशन लेने वाली कंपनियों पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए हैं, ताकि बच्चों का स्क्रीन टाइम कम किया जा सके।
बच्चों का स्क्रीन टाइम घटाने के लिए अब तक चीन ने क्या किया है?
यह समस्या चीन ही नहीं, बल्कि सभी देशों की है। बच्चों का स्क्रीन टाइम लगातार बढ़ रहा है। 2017 में ऑनलाइन गेम बनाने वाली कंपनी टेन्सेंट होल्डिंग ने पेरेंट्स और टीचर्स की शिकायतों के बाद कहा था कि वह फ्लैगशिप मोबाइल गेम ‘ऑनर ऑफ किंग्स’ के लिए टाइम लिमिट तय कर रही है।इसके बाद इसे एक उपाय के तौर पर देखा जाने लगा। 2018 में बच्चों में पास की नजर कमजोर होने के मामले लगातार बढ़ने लगे तो चीन सरकार ने सख्ती बरतने का फैसला किया। वह इसके रास्ते तलाशती रही। इसके बाद नौ महीने तक वीडियो गेम्स को मंजूरी देना तक बंद कर दिया गया था।चीन ने 2019 में एक कानून पारित किया। इसमें तय किया गया कि बच्चे सप्ताह के आम दिनों (सोमवार से गुरुवार तक) में 90 मिनट से अधिक ऑनलाइन गेम नहीं खेल सकेंगे। वीकेंड्स पर यह अवधि बढ़ाकर तीन घंटे कर दी थी। रात दस बजे से सुबह 8 बजे तक गेम खेलने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई थी।सरकार ने नाबालिगों के लिए ऑनलाइन गेम्स खेलने के दौरान किया जाने वाला खर्च भी सीमित कर दिया था। इसके तहत वर्चुअल गेमिंग आइटम्स पर उम्र के आधार पर बच्चे अधिकतम 28 से 57 डॉलर (2 से 4 हजार रुपए) ही खर्च कर सकते हैं।सरकार ने यह भी नियम बनाया था कि बच्चों को ऑनलाइन गेम खेलने के लिए लॉग-इन करते समय वास्तविक नाम और नेशनल आइडेंटिफिकेशन नंबर डालना होगा। टेन्सेंट और नेटईज जैसी कंपनियों ने सिस्टम भी बनाए] ताकि कौन खेल रहा है, यह पता लगाया जा सके।इस साल जुलाई में टेन्सेंट ने फेशियल रिकग्निशन फंक्शन भी जारी किया है। इसे मिडनाइट पेट्रोल भी कहते हैं। इसकी मदद से पेरेंट्स यह पता लगा सकते हैं कि बच्चे रात 10 बजे से सुबह 8 बजे तक एडल्ट बनकर गेम तो नहीं खेल रहे हैं।
नए नियम क्या हैं और चीन इन्हें कैसे लागू करेगा?
नए नियम अंडर-18 बच्चों को सोमवार से गुरुवार तक ऑनलाइन गेम खेलने से रोकते हैं। 1 सितंबर से यह नियम लागू हो गया है। बच्चे शुक्रवार, शनिवार और रविवार के साथ ही सरकारी छुट्टियों पर रात 8 से 9 बजे तक सिर्फ एक घंटा ही गेम खेल सकते हैं।ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि लॉग-इन वास्तविक नाम से हो रहा है या नहीं। NPPA की ओर से तय किए गए एंटी-एडिक्शन सिस्टम से सभी टाइटल्स को भी जोड़ना होगा। इन नियमों का सख्ती से पालन कराने के लिए NPPA ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के इन्स्पेक्शन बढ़ाएगी।रेगुलेटर ने नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के उपाय तय किए हैं। इन्स्पेक्शन के बाद अगर कोई कंपनी गड़बड़ी करती पाई गई तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसी कड़ी में NPPA ने पिछले साल 10 हजार से अधिक वीडियो गेम टाइटल्स की समीक्षा की थी।नए नियमों में यह भी कहा गया है कि बच्चे अक्सर अपने माता-पिता के नाम से अकाउंट बनाकर चकमा देने की कोशिश करते हैं। ऐसे में पेरेंट्स के साथ-साथ स्कूलों को भी सक्रियता से काम करना होगा। सुपरविजन का काम उन्हें भी करना होगा।