नई HIV वैक्सीन ट्रायल में हुई फेल
जॉनसन एंड जॉनसन की HIV वैक्सीन ट्रायल में संक्रमण रोकने की क्षमता मात्र 25 फीसदी; लेकिन अमेरिका में जारी रहेगा ट्रायल
जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने अपनी नई HIV वैक्सीन ट्रायल के नतीजे जारी किए। वैक्सीन ट्रायल में फेल साबित हुई है। ट्रायल के दौरान नई वैक्सीन HIV का संक्रमण रोकने में मात्र 25 फीसदी ही असरदार साबित हुई है। ट्रायल रिपोर्ट में यह वैक्सीन भले ही असरदार साबित न हुई हो, लेकिन इससे किसी तरह के साइड इफेक्ट होने की पुष्टि नहीं हुई है। जॉनसन एंड जॉनसन मंगलवार को बयान जारी करके ट्रायल के नतीजों की जानकारी दी।
कम्पनी ने HIV वैक्सीन का ट्रायल अफ्रीका में किया था। ट्रायल का नाम ‘इमबोकोडो’ रखा गया था। इसमें अफ्रीकी देश की 2600 महिलाओं को भी शामिल किया गया था। उम्मीद की जा रही थी कि ट्रायल के नतीजे सकारात्मक आएंगे और इस खतरनाक बीमारी को खत्म किया जा सकेगा। ट्रायल में ऐसा नहीं हो पाया।
जॉनसन एंड जॉनसन के मुख्य वैज्ञानिक पॉल स्टॉफेल्स का कहना है, एचआईवी का वायरस काफी अलग और जटिल है। यह सीधेतौर पर मरीज की इम्यूनिटी को घटा देता है। ऐसे में इस वायरस के लिए वैक्सीन तैयार करना आसान नहीं है।
यहां ट्रायल भले ही सफल न रहा हो, लेकिन जॉनसन एंड जॉनसन अमेरिका और यूरोप में समलैंगिक व ट्रासजेंडर पर अपने ट्रायल को जारी रखेगा क्योंकि यहां हो रहे ट्रायल में दी जा रही वैक्सीन में कुछ बदलाव किए गए थे।
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज के डायरेक्टर डॉ. एंथनी फॉकी कहते हैं, हमें इमबोकोडो ट्रायल में सामने परिणामों से सबक लेने की जरूरत है। इसके लिए वैक्सीन तैयार करने के प्रयास को लगातार बनाए रखना जरूरी है।
दुनिया में HIV मरीजों की स्थिति
भारत में कैसे हैं एड्स के हालात?
भारत में HIV संक्रमितों का 2019 तक का डेटा मौजूद है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक 2019 में देश में कुल 23.49 लाख HIV संक्रमित थे। पिछले 19 साल से संक्रमितों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। 2010 के मुकाबले 2019 में संक्रमितों की संख्या 37% कम हो गई थी। देश में HIV होने की बड़ी वजह हाई रिस्क बिहेवियर होता है। इसमें असुरक्षित होमोसेक्शुअल और हेट्रोसेक्शुअल व्यवहार, सीरिंज से ड्रग्स लेना आदि शामिल है।
1986 में देश में पहली बार एड्स का मरीज मिला था। इस बीमारी को देश में आए 35 साल हो चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी देश में एक भी अस्पताल ऐसा नहीं है जो सिर्फ एड्स के इलाज के लिए हो। हालांकि, सरकार के नेशनल एड्स कंट्रोल प्रोग्राम (NACP) के तहत जुलाई 2020 तक देश में 570 एंटी-रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट (ART) सेंटर और 1264 लिंक ART सेंटर चल रहे थे।