तालिबानी हुकूमत की तैयारी

ईरान के खामनेई की तर्ज पर हिब्दुल्लाह अखुंदजादा बन सकता है सुप्रीम लीडर, कंधार में बैठकों का दौर; आज अहम ऐलान मुमकिन

अफगानिस्तान में तालिबान की नई हुकूमत को लेकर बैठकों का दौर जारी है। भास्कर को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अफगानिस्तान में ईरान की तर्ज पर शासन व्यवस्था की योजना तैयार की जा रही है। तालिबान के सबसे बड़े नेता हिब्दुल्लाह अखुंदजादा को सर्वोच्च नेता यानी सुप्रीम लीडर बनाया जा सकता है। इस बारे में गुरुवार 2 सितंबर को तस्वीर साफ हो सकती है। माना जा रहा है कि इसी दिन नई सरकार के गठन से संबंधित अहम ऐलान भी किए जा सकते हैं।

इस्लामिक सरकार होगी
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने भी अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को लेकर रिपोर्ट पब्लिश की है। इसमें भी कहा गया है कि अखुंदजादा को सुप्रीम लीडर बनाने पर एकराय बन चुकी है और इसका ऐलान जल्द ही किया जा सकता है। यह पूरी तरह इस्लामिक सरकार होगी।

सरकार गठन को लेकर कंधार में चल रही बैठकों की अध्यक्षता खुद अखुंदजादा कर रहा है। तालिबान के सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है। रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम लीडर को अफगानिस्तान में ‘जाईम’ या ‘रहबर’ कहा जाएगा। मोटे तौर पर यह माना जा सकता है कि सुप्रीम लीडर का फैसला ही आखिरी होगा। यही व्यवस्था शिया बहुल देश ईरान में भी है। वहां अयातुल्लाह खामनेई सुप्रीम लीडर है। शूरा काउंसिल है और इसके बाद संसद और राष्ट्रपति। राष्ट्रपति सीधे जनता चुनती है।

बाकी नेताओं के नाम पर सस्पेंस
अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि तालिबान वादे के मुताबिक, बाकी जनजातियों या कबीलों के नेताओं को सरकार में शामिल करता है या नहीं। संचार और गृह मंत्रालय सबसे अहम विभाग माने जा रहे हैं। ‘ब्लूमबर्ग’ न्यूज के मुताबिक, इस बारे में भी गुरुवार को ही तस्वीर साफ हो सकती है। माना जा रहा है सरकार के रोजमर्रा के कामकाज की जिम्मेदारी मुल्ला अब्दुल गनी बरादर संभालेगा। हालांकि, उसका पद क्या होगा? ये साफ नहीं है। बरादर ने ही अमेरिका से कतर में बातचीत का नेतृत्व किया था।

हक्कानी भी हो सकता है सरकार का अंग
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अखुंदजादा और बरादर के बाद दो नाम और ऐसे हैं जिन्हें सरकार में अहम जिम्मेदारियां सौंपी जानी हैं। ये हैं- मुल्ला मोहम्मद .याकूब और सिराजुद्दीन हक्कानी। इन्हें अखुंदजादा का सलाहकार भी बनाया जा सकता है। ये भी साफ नहीं है कि क्या पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अब्दुल्ला-अब्दुल्ला सरकार में शामिल होंगे या नहीं। शूरा काउंसिल को लेकर भी अब तक कुछ साफ नहीं हो सका है।

हिब्तुल्लाह के पिता मस्जिद के इमाम थे, उन्हीं से मिली तालीम
अखुंदजादा 1961 में अफगानिस्तान के कंधार प्रांत के पंजवई जिले में पैदा हुआ। वह नूरजई कबीले से ताल्लुक रखता है। उसके पिता मुल्ला मोहम्मद अखुंद एक रिलीजियस स्कॉलर थे। वो गांव की मस्जिद के इमाम थे। उनके पास न तो जमीन थी, न कोई संपत्ति। मस्जिद में मिलने वाले दान के पैसों और अनाज से घर चलता था। हिब्तुल्लाह ने पिता से ही तालीम हासिल की।

1980 के शुरुआती दिनों की बात है। अफगानिस्तान में सोवियत यूनियन की सेना आ चुकी थी। उसी के संरक्षण में अफगान सरकार चल रही थी। कई मुजाहिदीन सेना और सरकार के खिलाफ लड़ रहे थे। इन मुजाहिदीनों को अमेरिका और पाकिस्तान से मदद मिलती थी। हिब्तुल्लाह अखुंदजादा का परिवार पाकिस्तान के क्वेटा चला गया और उसने हथियार उठा लिए। बाद में तालिबान बना और वो इसका हिस्सा बन गया।

Related Articles

Back to top button