अफगानिस्तान के पत्रकारों की दुनिया से गुहार

हमें तालिबान की क्रूरता से बचाएं, वे हमारे परिवार के लोगों और संपत्तियों को निशाना बना रहे

शबनम खान काबुल के एक न्यूज चैनल में एंकर रह चुकी हैं। उन्हें तालिबान ने ऑफिस आने से मना कर दिया है।

अफगानिस्तान के पत्रकारों ने दुनिया के देशों और संगठनों से तालिबानी क्रूरता से बचाने की गुहार लगाई है। अफगान पत्रकारों, कैमरामैन और फोटोग्राफरों ने एक खुले पत्र में संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय समुदाय, मानवाधिकार संगठनों और मीडिया-समर्थक संगठनों से उन्हें खतरों से बचाने की अपील की है। इस चिट्‌ठी में 150 पत्रकारों ने अपने दस्तखत किए हैं।

पत्र में कहा गया है, ‘अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद मीडिया कर्मियों, उनके परिवार के साथ उनकी संपत्ति को भी निशाना बनाया जा रहा है। इस मुश्किल हालात में हमारे सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। संयुक्त राष्ट्र और सहयोगी देश हमें बचा लें।’

यह पत्र 15 अगस्त को पूर्व अफगान सरकार के पतन के बाद अब सामने आया है। काबुल में कई पत्रकार और मीडिया कर्मचारी (मुख्य रूप से महिलाएं) इन दिनों काम नहीं कर रहे हैं और अनिश्चितता में जी रहे हैं।

पीछे खड़े होकर न देखे दुनिया, हमारा बचाव करे
कई मीडिया कर्मचारियों ने कहा है कि दुनिया को केवल पीछे खड़े होकर स्थिति को देखना नहीं चाहिए, बल्कि उन अफगान पत्रकारों का बचाव करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए, जिन्होंने पिछले दो दशकों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए अथक प्रयास किया है।

रिपोर्टर अहमद नविद कावोश ने कहा, ‘इस चुनौतीपूर्ण समय में दुनिया को देखने के बजाय हमारे और हमारे परिवारों के जीवन को बचाने के लिए आगे आना चाहिए।’ रिपोर्टर रफीउल्लाह निकजाद ने कहा, ‘हम अनिश्चितता में जी रहे हैं। हम नहीं जानते कि हमारा और हमारे परिवार भविष्य का क्या होगा। दुनिया के देशों को हमारी आवाज सुननी चाहिए।’

महिला पत्रकारों पर सबसे ज्यादा मुसीबत
अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद सबसे ज्यादा मुश्किल में महिला पत्रकार हैं। तालिबान ने महिला पत्रकारों को काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्हें ऑफिस आने पर अंजाम भुगतने तक की चेतावनी दी गई है।

एक महिला रिपोर्टर नाजीफा अहमदी उन दर्जनों महिला पत्रकारों में से एक हैं, जो अपनी मीडिया कंपनी बंद होने के बाद से काम नहीं कर रही हैं। अहमदी का कहना है कि वह अपने परिवार में अकेली कमाने वाली हैं। उन्हें नहीं पता कि वह अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करेगी। तालिबान को महिला मीडिया कर्मचारियों को काम करने देना चाहिए।

कई पत्रकारों ने देश छोड़ा
तालिबान के कब्जे के बाद कई पत्रकार अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं। काबुल हवाई अड्डे पर अभी भी कई पत्रकार देश छोड़ने की कोशिश में हैं। बता दें कि पिछले गुरुवार को काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुए हमलों में मारे गए लोगों में 3 अफगान पत्रकार भी शामिल थे।

इस बीच, अफगान मीडिया मीडियाकर्मियों ने एक सोशल मीडिया अभियान भी शुरू किया है जिसमें अंतरराष्ट्रीय संगठनों से उनकी चुनौतियों का समाधान करने और अपने भविष्य को लेकर सवाल किए गए हैं।

ऑफिशियल सोर्स से जानकारी मिलना मुश्किल
मीडिया कंपनियों के कई मालिकों और अधिकारियों का कहना है कि गनी प्रशासन के पतन के बाद ऑफिशियल जानकारी मिलना सबसे मुश्किल काम हो गया है। कोई भी ऑफिशियल सोर्स मीडिया की पूछताछ का जवाब नहीं दे रहा है।

काबुल न्यूज के प्रधान संपादक एहसानुल्लाह सहक ने कहा, ‘मीडिया के लिए स्थिति चिंताजनक है। कोई भी हमें जवाब नहीं दे रहा है और इस स्थिति ने पत्रकारों के लिए कई बाधाएं पैदा की हैं।’

तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने हाल ही में घोषणा की थी कि इस्लामिक कानून का पालन करते हुए और निष्पक्षता बनाए रखते हुए मीडिया संस्थान अपनी गतिविधियों को जारी रख सकते हैं।

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