और अचानक पीएम के गले लगकर रो पड़े इसरो के चीफ, भावुक हुए पीएम
शनिवार तड़के 1 बजकर 52 मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने से कुछ समय पहले चंद्रयान-2 से संपर्क टूट गया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी भी इसरो मुख्यालय में मौजूद थे। उस समय पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को हौंसला दिया था। उन्होंने कहा था कि ज़िन्दगी में उतार चढ़ाव आते रहते है लेकिन आगे बढ़ते रहना चाहिए। इसके बाद सुबह एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाने बेंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय पहुंचे। वैज्ञानिकों को संबोधित करने के बाद जब प्रधानमंत्री मोदी इसरो मुख्यालय से जाने लगे तो इसरो चीफ के. सिवन पीएम मोदी के गले लगकर रोने लगे। पीएम मोदी ने गले लगाकर इसरो चीफ की पीठ थपथपाई और हौसला बढ़ाया।
एक बार फिर इसरो मुख्यालय पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि हम निश्चित रूप से सफल होंगे। इस मिशन के अगले प्रयास में भी और इसके बाद के हर प्रयास में भी कामयाबी हमारे साथ होगी।
पीएम ने कहा कि हर मुश्किल, हर संघर्ष, हर कठिनाई, हमें कुछ नया सिखाकर जाती है, कुछ नए आविष्कार, नई टेक्नोलॉजी के लिए प्रेरित करती है और इसी से हमारी आगे की सफलता तय होती हैं। ज्ञान का अगर सबसे बड़ा शिक्षक कोई है तो वो विज्ञान है। विज्ञान में विफलता नहीं होती, केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं।
पीएम मोदी ने सभी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के परिवार को किया सलाम
पीएम मोदी बोले, मैं सभी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के परिवार को भी सलाम करता हूं। उनका मौन लेकिन बहुत महत्वपूर्ण समर्थन आपके साथ रहा. हम असफल हो सकते हैं, लेकिन इससे हमारे जोश और ऊर्जा में कमी नहीं आएगी। हम फिर पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ेंगे।
इसरो वैज्ञानिक है पत्थर पर लकीर करने वाले लोग: पीएम मोदी
इतना ही नही उन्होंने कहा कि अपने वैज्ञानिकों से मैं कहना चाहता हूं कि भारत आपके साथ है। आप सब महान प्रोफेशनल हैं जिन्होंने देश की प्रगति के लिए संपूर्ण जीवन दिया और देश को मुस्कुराने और गर्व करने के कई मौके दिए। आप लोग मक्खन पर लकीर करनेवाले लोग नहीं हैं पत्थर पर लकीर करने वाले लोग हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, साथियों मैं कल रात को आपकी मनस्थिति को समझ रहा था। आपकी आंखें बहुत कुछ कह रही थीं। आपके चेहरे की उदासी मैं पढ़ पा रहा था। ज्यादा देर मैं आपके बीच नहीं रुका। कई रातों से आप सोए नहीं हैं। फिर भी मेरा मन करता था, कि एक बार सुबह आपको फिर से बुलाऊं। आपसे बातें करूं। इस मिशन के साथ जुड़ा हुआ हर व्यक्ति अलग ही अवस्था में था, बहुत से सवाल थे। बड़ी सफलता के साथ आगे बढ़ते गए। अचानक सबकुछ नजर आना बंद हो गया है। मैंने भी उस पल को आपके साथ जिया है।