पुलिस अधिकारियों का सत्ताधारी पार्टी की ओर झुकाव परेशान करने वाला चलन, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सत्ता बदलने के बाद राजद्रोह जैसे मामले दर्ज करने को सुप्रीम कोर्ट ने परेशान करने वाला चलन बताया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस को निलंबित आईपीएस अधिकारी को गिरफ्तार करने से भी रोक दिया। आईपीएस अधिकारी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामलों में छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से राजद्रोह सहित दो आपराधिक मामले दर्ज हैं।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने छत्तीसगढ़ पुलिस को निर्देश दिया कि वे अपने ही निलंबित आईपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह को गिरफ्तार न करे। हालांकि, शीर्ष न्यायालय ने सिंह को भी यह निर्देश दिया है कि वह जांच में सहयोग करें।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘देश में यह चलन काफी परेशान करने वाला है और पुलिस विभाग भी इसके लिए जिम्मेदार है। जब एक राजनीतिक पार्टी सत्ता में आती है तो पुलिस अधिकारी भी उस सत्ताधारी पार्टी का पक्ष लेने लगते हैं। इसके बाद जब दूसरी पार्टी सत्ता में आती है तो सरकार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेने लगती है। इसे बंद करने की जरूरत है।’
पीठ के सदस्य जस्टिस सूर्यकांत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अगले चार हफ्तों में मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दे।
वरिष्ठ वकील एफएस नरीमन और विकास सिंह निलंबित आईपीएस अधिकारी की ओर से कोर्ट में दलील दे रहे थे जबकि सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और राकेश द्विवेदी छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से। सिंह के खिलाफ कांग्रेस नीत छत्तीसगढ़ सरकार ने राजद्रोह सहित दो केस दर्ज किए थे।