‘दोहा में किए वादे से मुकरा तालिबान’,

अफगान संकट पर सर्वदलीय बैठक में मोदी सरकार ने समझाई भारत की रणनीति

तालिबानी कब्जे के बाद अफगानिस्तान संकट पर सरकार ने गुरुवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ एक सर्वदलीय बैठक की और अफगानिस्तान की स्थिति और उस पर भारत का क्या स्टैंड है, इसकी जानकारी दी। अफगान संकट पर सर्वदलीय बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि तालिबान दोहा में किए अपने वादे पर खरा नहीं उतरा है और फिलहाल, अफगानिस्तान की स्थिति अच्छी नहीं है। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने बैठक में कहा है कि भारत अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में है और अभी पूरा फोकस लोगों को वहां से जल्द से जल्द सुरक्षित निकालने पर है।

पिछले सप्ताह तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने की पृष्ठभूमि में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राजनीतिक दलों के नेताओं को उस देश के ताजा हालात को लेकर भारत की रणनीति क्या है, इससे अवगत कराया। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अधिक से अधिक और जल्द से जल्द लोगों को वहां से निकालने की कोशिश कर रहा है। भारत ने 15 अगस्त से अब तक अफगानिस्तान से 800 से अधिक लोगों को निकाला है। इनमें से ज्यादातर भारतीय नागरिक और अफगान सिख और हिंदू समुदाय के सदस्य हैं।

सरकार ने बताया कि आज भी 35 लोगों को काबुल से भारत लाया गया है। संसदीय सौंध में आयोजित इस बैठक में जयशंकर के अलावा राज्यसभा के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल तथा संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद थे। इस महत्वपूर्ण बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, द्रमुक नेता टी आर बालू, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा, अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल सहित कुछ अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि तालिबान नेताओं और अमेरिका के बीच फरवरी 2020 में हुए दोहा समझौते में धार्मिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र को रेखांकित किया गया था । इसमें काबुल में एक ऐसी सरकार की बात कही गई थी जिसमें अफगानिस्तान के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो ।

बता दें कि पिछले सप्ताह अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा कर लिया था। हालांकि, तालिबान ने अब तक सरकार का गठन नहीं किया है, मगर उम्मीद की जा रही है कि तालिबान जल्द ही सरकार का गठन करेगा। ऊधर, अमेरिका भी 31 अगस्त से पहले तक अपने लोगों को निकालने की कोशिशों में जुटा है। 31 अगस्त के बाद स्थिति और बिगड़ जाएगी, क्योंकि तालिबान का काबुल एयरपोर्ट के आस-पास भी कब्जा बढ़ता जा रहा है।

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