दहशत में अफगान महिलाएं:

तालिबान ने कहा- घर में ही रहें महिलाएं और लड़कियां, हमारे लड़ाके उनकी इज्जत करना नहीं जानते

अफगानिस्तान और खासकर काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने कहा था कि शरिया के मुताबिक, महिलाओं को काम करने की आजादी दी जाएगी। 10 दिन बाद ही इस आतंकी संगठन का असली चेहरा सामने आ गया है। अब तालिबान ने कहा है कि महिलाएं और लड़कियां घर में ही महफूज रह सकती हैं। उन्हें बाहर नहीं निकलना चाहिए, क्योंकि तालिबानियों को महिलाओं का सम्मान करने की ट्रेनिंग नहीं दी गई है।

अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद दुनिया को सबसे ज्यादा फिक्र यहां की महिलाओं और लड़कियों की ही है। अब जबकि तालिबान ने खुद उन्हें घरों में कैद रहने का आदेश दिया है तो समझा जा सकता है कि हालात किस कदर खराब हैं।

घर से बाहर खतरा
CNN की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के बारे में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा- उन्हें कामकाज या रोजगार के लिए घर से नहीं निकलना चाहिए। मैं मानता है कि घर के बाहर वे महफूज नहीं हैं, क्योंकि तालिबानियों को महिलाओं की इज्जत करने की ट्रेनिंग नहीं दी गई है।

तालिबान ने काबुल के कब्जे के बाद संकेत दिए थे कि वे पिछली बार की तुलना में महिलाओं के लिए ज्यादा उदारवादी रवैया अपनाएंगे। उन्हें कामकाज और शिक्षा के लिए छूट दी जाएगी। हालांकि, एक हफ्ते बाद ही उनके दावों की हकीकत खुद प्रवक्ता खोल रहे हैं।

यह आदेश नहीं, सलाह है
मुजाहिदे के मुताबिक, महिलाओं को घरों में रहने की सलाह दी गई है, और यह अस्थायी यानी टेम्परेरी है। इसे आदेश के तौर पर नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा- हम कोशिश कर रहे हैं कि महिलाओं से गलत बर्ताव न किया जाए और इसके लिए तालिबानियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। मैं यह मानता हूं कि तालिबानी बदलते रहते हैं और इसी वजह से उनकी ट्रेनिंग नहीं हो सकी है।

मुजाहिद ने कहा- हमारा महिलाओं से आग्रह है कि वे डरें नहीं। हम चाहते हैं कि वे काम करें। लेकिन, इसके पहले हालात सामान्य हो जाने दीजिए। ताकि वे सुरक्षित होकर अपने काम पर जा सकें। जब सब ठीक हो जाएगा तो हम खुद उन्हें काम करने की मंजूरी देंगे।

वर्ल्ड बैंक सख्त
तालिबान के राज में मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर वैश्विक संगठन भी सख्ती दिखाने लगे हैं। विश्व बैंक ने अफगानिस्तान की फंडिंग पर रोक लगा दी है। संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि अफगानिस्तान में ह्यूमन राइट्स को लेकर जो रिपोर्ट्स मिल रही हैं, वो परेशान करने वाली हैं।

तालिबान 1996 से 2001 तक सत्ता में रहा था। इस दौरान महिलाओं की जिंदगी उसने नर्क बना दी थी। उन्हें बीच सड़क पर कोड़ों से पीटा जाता था। पत्थरों से मारकर हत्या तक कर दी जाती थी। अफगानिस्तान की महिला रोबोटिक्स इस बीच मैक्सिको पहुंच चुकी है।

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