दहशतगर्दों के साथ ड्रैगन
चीन और तालिबान के बीच काबुल में पहली डिप्लोमैटिक मीटिंग, विदेश मंत्रालय ने बातचीत के मुद्दों की जानकारी नहीं दी
चीन ने तालिबान शासन को मान्यता देने के बाद उससे नजदीकी संपर्क बढ़ाना शुरू कर दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को बताया कि काबुल में मौजूद चीन के एम्बेसेडर ने तालिबान के पॉलिटिकल विंग चीफ अब्दुल सलाम हनाफी से मुलाकात की है। उन्होंने कहा- चीन अफगानिस्तान और वहां के लोगों का सम्मान करता है और उनके साथ मजबूत दोस्ताना रिश्ते चाहता है। हालांकि, प्रवक्ता ने यह जानकारी नहीं दी कि सलाम और चीनी एम्बेसेडर के बीच किन मुद्दों पर कितनी देर बातचीत हुई।
बेहतर संपर्क की जरूरत
वांग ने तालिबान और चीनी राजदूत की मुलाकात के बारे में पूछे गए एक सवाल पर कहा- हम अफगानिस्तान के नए शासन के साथ बेरोकटोक वाला और कारगर संपर्क चाहते हैं। दोनों देश कई मुद्दों पर बातचीत और सलाह-मश्विरा कर रहे हैं। वांग यू काबुल में चीन के राजदूत हैं। तालिबान की तरफ से उसकी पॉलिटिकल विंग के चीफ अब्दुल सलाम हनाफी बातचीत कर रहे हैं। उनके कुछ और डिप्लोमैट्स से भी मिलने की खबरें भी आ चुकी हैं।
मुद्दों की जानकारी नहीं दी
वांग से जब यह पूछा गया कि चीनी एम्बेसेडर और हनाफी के बीच कितनी देर और किन मुद्दों पर बातचीत हुई तो उन्होंने इसकी जानकारी देने से इनकार कर दिया। कहा- काबुल एक अहम प्लेटफॉर्म और चैनल है। वहां हम सभी जरूर मुद्दों पर बात कर रहे हैं। चीन अफगानिस्तान के लोगों की भावनाओं का सम्मान करता है। हम चाहते हैं कि वे आजादी से फैसले करें और अपना भविष्य खुद तय करें। हम एक अच्छे पड़ोसी की तरह उनकी मदद करना चाहते हैं, ताकि अफगानिस्तान में अमन बहाली और विकास के रास्ते खुलें। एक नया अफगानिस्तान बने।
चीन-पाकिस्तान और रूस साथ
भारत और अमेरिका ने काबुल में अपने दूतावास बंद कर दिए हैं। दूसरी तरफ, चीन के अलावा पाकिस्तान और रूस ने अपनी एम्बेसीज खुली रखी हैं और यहां उनके कर्मचारी भी मौजूद हैं। पिछले महीने मुल्ला बरादर की अगुआई में तालिबान का एक डेलिगेशन बीजिंग गया था और वहां उसने चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात की थी। माना जाता है कि इस मुलाकात में मुल्ला बरादर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी को भरोसा दिलाया था कि तालिबान उईगर मुस्लिमों के आंदोलन का साथ नहीं देगा।
पिछले महीने ही चीन के स्पेशल ऑफिसर (अफगानिस्तान मामलों पर) लियू जियान कतर, जॉर्डन और आयरलैंड भी गए थे। उन्होंने इन देशों के नेताओं से अफगानिस्तान मुद्दे पर बातचीत की थी।