पंजाब चुनाव के बाद अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री रहेंगे या नहीं? हरीश रावत ने कही ये बात
नई दिल्ली. कांग्रेस (Congress) एक बार फिर बागियों का सामना कर रही है. हाईकमान के दखल के बाद भी पंजाब (Punjab) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में सरकार गिराए जाने की धमकियों को रोकने की कोशिश में कांग्रेस बागियों से लड़ रही है. हालांकि पार्टी ने दोनों ही राज्यों के बागियों को एक ही संदेश देने की कोशिश की है कि दोनों राज्यों के सीएम अपने-अपने पद पर बने रहेंगे. एक ओर पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) को हटाने की मांग करने वाले मंत्रियों और विधायकों ने बुधवार को अपनी मांग दोहराई जबकि कांग्रेस ने दावा किया कि ऐसा करने का कोई सवाल ही नहीं है. उधर छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने प्रतिद्वंद्वी टीएस सिंह देव पर फिर से कटाक्ष किया. पंजाब कांग्रेस के चार मंत्रियों और तीन विधायकों ने बुधवार को देहरादून में पार्टी के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत से मुलाकात कर अमरिंदर को हटाने की मांग की. रावत ने बैठक से पहले कहा था कि 2022 का विधानसभा चुनाव अमरिंदर के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. हालांकि उन्होंने भी पार्टी विधायकों को बताया कि सीएम नहीं बदले जाएंगे.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार रावत ने कहा कि किसी ने भी नेतृत्व परिवर्तन की मांग करते हुए ‘आधिकारिक तौर पर कोई ज्ञापन मुझे नहीं सौंपा गया है. मैं यह पंजाब… मीडिया और अन्य लोगों से सुन रहा हूं. लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ है. कुछ समस्याएं हैं. मुद्दे हैं जिनका समाधान मुख्यमंत्री द्वारा किए जाने की जरूरत है. मुझे लगता है कि वह आवश्यक कदम उठाएंगे.’
पंजाब पर क्या बोले रावत?
रिपोर्ट के अनुसार यह पूछे जाने पर कि क्या अमरिंदर चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करेंगे रावत ने कहा कि यह आलाकमान को तय करना है कि ‘मुख्यमंत्री कौन होगा. मेरे पास कहने के लिये कुछ नहीं बचा.’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह पूरे विश्वास के साथ कह सकते हैं कि अमरिंदर चुनाव तक सीएम बने रहेंगे, रावत ने कहा, ‘इस समय तो सीएम हैं ना वो?’
रावत से मिलने वालों में मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी और सुखबिंदर सरकारिया के अलावा विधायक बरिंदरमीत पाहड़ा, कुलबीर जीरा और सुरजीत धीमान शामिल हैं. अमरिंदर को हटाने की मांग करने वाले पंजाब कांग्रेस नेताओं की मंगलवार को बैठक बाजवा के आवास पर हुई.
अखबार के अनुसार रावत ने स्वीकार किया कि पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सहयोगियों द्वारा की गई कुछ विवादास्पद टिप्पणियां मुद्दा है. उन्होंने कहा, ‘मैंने पीसीसी अध्यक्ष से बात की है. उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि वह इसका हल निकालेंगे. मैंने उनसे कहा कि स्वीकृत लाइन के खिलाफ टिप्पणी वालों को पार्टी स्वीकार नहीं करेगी.’
छत्तीसगढ़ में क्या हो रहा है?
उधर छत्तीसगढ़ में बघेल ने कहा कि मुख्यमंत्री पद के ढाई-ढाई वर्ष के बंटवारे का राग अलाप रहे लोग प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता लाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें वह कभी सफल नहीं होंगे. छत्तीसगढ़ के लिए रवाना होने से पहले बघेल ने नयी दिल्ली में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने भी वेणुगोपाल के साथ बैठक की. सूत्रों के मुताबिक, वेणुगोपाल के आवास पर उनसे दोनों नेता अलग अलग मिले. कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी से मुलाकात के बाद अब वेणुगोपाल को बघेल और सिंहदेव के बीच मतभेद खत्म करने के लिए समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है.
बघेल ने कहा, ‘सोनिया जी और राहुल जी ने मुझ जैसे किसान को सरकार की जिम्मेदारी सौंपी है. यह सरकार किसानों, आदिवासियों और मजदूरों की है. छत्तीसगढ़ के दो करोड़ 80 लाख लोगों की है. सबका प्रतिनिधित्व करती है. शानदार ढंग से काम रही है.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे इस बात की खुशी है कि सोनिया जी ने, राहुल जी ने जिम्मेदारी दी है. मैंने पहले भी कहा था कि उनका जब तक आदेश है तब तक मै इस पद पर हूं, जब वह कहेंगे इसका त्याग कर दूंगा. इसमें किसी को कोई संशय नहीं होना चाहिए. जो ढाई साल, ढाई साल का राग अलाप रहे हैं वह असल में राजनीतिक अस्थिरता लाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कभी सफल नहीं होंगे.
बघेल ने मुख्यमंत्री पद से जुड़े सवालों को लेकर कहा कि इस मामले में पूनिया जी स्पष्ट कह चुके हैं, अब और कुछ बात नहीं रह जाती है. बघेल के रायपुर लौटने पर स्वामी विवेकानंद विमानतल में उनके मंत्रिमंडल के सदस्य, विधायक, कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे. इस दौरान कार्यकर्ता भूपेश बघेल जिंदाबाद तथा ‘छत्तीसगढ़ अड़ा हुआ है, भूपेश बघेल के संग खड़ा हुआ है’ के नारे लगा रहे थे.