पोर्नोग्राफी के आरोपों से घिरे राज कुंद्रा को जमानत का इंतजार; क्या है पोर्नोग्राफी और इरॉटिक कंटेंट में अंतर?
पोर्नोग्राफी के आरोप में जेल में बंद बिजनेसमैन और अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा की जमानत याचिका पर मुंबई की सेशन कोर्ट 26 अगस्त को सुनवाई करेगी। इससे एक दिन पहले यानी 25 अगस्त को बॉम्बे हाईकोर्ट में कुंद्रा की अग्रिम जमानत पर सुनवाई होगी। यह मामला मुंबई साइबर पुलिस के पास 2020 में दर्ज केस से जुड़ा है।
इस हाई-प्रोफाइल केस में वकील सुभाष जाधव का कहना है कि कुंद्रा पर लगे आरोप निराधार हैं। उनका बनाया कंटेंट पोर्नोग्राफी के दायरे में नहीं आता, बल्कि वह इरॉटिक कंटेंट है। जाधव के मुताबिक सेक्शुअल गतिविधियों का प्रदर्शन पोर्न है, जबकि इसके अलावा अगर कुछ कंटेंट बनता है तो वह अश्लील सामग्री (वल्गर कंटेंट) की कैटेगरी में आता है।
इस मामले ने कई सवाल खड़े किए हैं। सबसे अहम तो यह है कि क्या इरॉटिक और पोर्न कंटेंट में कोई अंतर है? अगर अंतर है तो हमारा कानून उसे किस तरह देखता है? क्या हमारे कानून में इरॉटिक और पोर्न कंटेंट का अंतर साफ तौर पर बताया गया है? आइए जानते हैं…।
राज कुंद्रा पर क्या आरोप हैं?
मुंबई पुलिस ने 19 जुलाई को अश्लील फिल्म बनाने के आरोप में शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने दावा किया था कि उसके पास राज कुंद्रा का गुनाह साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य है। कोर्ट ने उन्हें पहले 23 जुलाई तक पुलिस कस्टडी, फिर 27 जुलाई तक न्यायिक कस्टडी में भेज दिया। तब से राज कुंद्रा जेल में बंद हैं।मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने राज कुंद्रा को एक ऐप हॉटशॉट्स पर पोर्नोग्राफिक कंटेंट बनाने के मामले में प्रमुख साजिशकर्ता बताया है। राज पर इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 354 (C) (वोयेरिज्म या सेक्स कर रहे युगल की ताक-झांक), सेक्शन 292 व 293 (अश्लील सामग्री दिखाने और बेचने) और 420 (धोखाधड़ी) के आरोप हैं। इसके साथ ही उन पर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) एक्ट के सेक्शन 67 और 67A (अश्लील कंटेंट के ट्रांसमिशन) के आरोप हैं।
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राज कुंद्रा को मुंबई पुलिस ने 19 जुलाई को गिरफ्तार किया था। तब से ही वे जेल में बंद हैं।
पोर्नोग्राफी क्या है?
पोर्नोग्राफी यानी ऐसा कंटेंट जो किसी को सेक्शुअली उत्तेजित करे। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार पोर्नोग्राफी का मतलब नग्न होकर ऐसी हरकतें करने से है, जिसे देखकर दर्शक उत्तेजना महसूस करें। इसमें तस्वीरें, वीडियो आते हैं। सेक्शुअल पार्ट्स दिखाए जाते हैं।
इरॉटिक कंटेंट क्या है?
इरॉटिक भी है तो उत्तेजित करने वाला कंटेंट ही, पर इसकी पैकेजिंग थोड़ी अलग होती है। इसमें आर्टिस्टिक तरीके से सेक्स की थीम को आगे बढ़ाया जाता है। पेंटिंग, मूर्ति, फोटोग्राफी, ड्रामा फिल्म, संगीत या लिटरेचर इसमें आता है।सेक्स को मानवीय संवेदना के तौर पर पेश करना ही इरॉटिक है। यहां इसका उद्देश्य कलात्मकता होता है, सिर्फ नग्नता नहीं। इरॉटिक कंटेंट में न्यूडिटी होना जरूरी नहीं है। उल्लू और अल्ट बालाजी जैसे OTT प्लेटफॉर्म्स पर इरॉटिक कंटेंट उपलब्ध हैं, जो सिर्फ वयस्कों के लिए हैं।
तो आखिर पोर्नोग्राफी और इरॉटिक कंटेंट में अंतर क्या है?
यह दुनियाभर में बहस का विषय है। अमेरिकी फिल्म निर्माता लुसी फिशर को एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में महिलाओं और कामकाजी माताओं को फिल्माने में महारथ हासिल है। उनका कहना है कि इरॉटिक कंटेंट में रेशम का अहसास है, जबकि पोर्नोग्राफी नायलॉन का। इरॉटिक कंटेंट मिडिल-क्लास के पढ़े-लिखे लोगों के लिए है, जबकि पोर्नोग्राफी अकेले, अनाकर्षक और अशिक्षित लोगों के लिए।सीधी बात करें तो सेक्शुअल पार्ट्स को दिखाना पोर्न है और उसे दिखाए बिना देखने वाले को उत्तेजित करना इरोटिका है। दोनों का उद्देश्य उत्तेजित करना है। एक और बड़ा अंतर बनाने वालों का नजरिया भी है। पोर्न का मुख्य उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना है। वहीं, इरॉटिक में एस्थेटिक्स है। प्रोडक्शन और पैकेजिंग का महत्व अधिक होता है। इसका उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना नहीं है बल्कि पूरे पैकेज को कलात्मक तौर पर पेश करना है।कुछ लोग तो इरॉटिक को हाई-क्लास पोर्नोग्राफी कहने से भी खुद को नहीं रोक पाते। वे कहते हैं कि यह एक बेहतर क्लास के कंज्यूमर के लिए डिजाइन किया हुआ प्रोडक्ट है। दोनों का ही उद्देश्य सेक्शुअली उत्तेजित करना है।
क्या भारत में पोर्न देखना भी गैरकानूनी है?
नहीं। भारत में अकेले में पोर्न कंटेंट देखना गैरकानूनी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2015 में यह जरूर कहा था कि वह किसी एडल्ट व्यक्ति को अकेले में अपने कमरे में बैठकर पोर्न देखने से नहीं रोक सकती। यह उसकी आजादी का मसला है। इसका मतलब यह नहीं कि सबकुछ चलेगा। IT एक्ट में चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना, शेयर करना प्रतिबंधित है। यह गैरकानूनी है।
क्या भारत में कानून पोर्नोग्राफी और इरॉटिक कंटेंट का अंतर करते हैं?
नहीं। दरअसल, इस मुद्दे पर पूरी दुनिया में ही कानून के तौर पर कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। यह एक आर्टिस्टिक नैरेटिव है, जो इरॉटिका के पक्ष में रहता है। हमारे यहां इस तरह के कंटेंट को अश्लील सामग्री कहा जाता है। इसमें भद्दा, पोर्नोग्राफिक, इरॉटिक सभी तरह का कंटेंट आता है। इसके लिए इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000, इंडियन पीनल कोड (IPC) और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेज (POCSO) एक्ट 2012 में सजा तय की गई है।दिल्ली के सीनियर एडवोकेट विकास पाहवा ने एक इंटरव्यू में कहा कि पोर्नोग्राफी की व्याख्या इंडियन पीनल कोड में नहीं है। कुंद्रा पर जो आरोप लगे हैं, वह मुख्य रूप से IT एक्ट के सेक्शन 67 और सेक्शन 67A के तहत हैं। अगर कोर्ट ने माना कि जो कंटेंट कुंद्रा बना रहे थे, वह पोर्न है तो उन्हें 5 से 7 साल तक की सजा हो सकती है।
अश्लील कंटेंट को लेकर भारत में कानून क्या कहता है?
इंडियन पीनल कोड (IPC) के सेक्शन 292 में उत्तेजक सामग्री को अश्लील कहा गया है। यह सेक्शन कहता है कि अश्लील सामग्री के जरिए कोई लाभ कमाने की कोशिश करता है तो उसे सजा दी जा सकती है। सेक्शन 293 में यह कहा गया है कि 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों को यह कंटेंट न बेचा जा सकता है और न ही उन्हें दिखाया जा सकता है।इंडीसेंट रीप्रेजेंटेशन ऑफ वुमन (प्रोहिबिशन) एक्ट 1986 में महिलाओं को किसी भी तरह से अशिष्टता के साथ पेश करने से जुड़ी सामग्री प्रतिबंधित है। इसमें इस तरह की सामग्री के प्रकाशन, अरेंजमेंट या ट्रांसमिशन पर रोक लगाई गई है। 2012 से इस कानून में एक अमेंडमेंट पेंडिंग है, जिसमें इंटरनेट, केबल टीवी या सैटेलाइट बेस्ड कम्युनिकेशन के जरिए इस तरह के कंटेंट के ट्रांसफर पर रोक लगाई गई है।इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के सेक्शन 67 में अश्लील सामग्री के इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में प्रकाशन और ट्रांसमिशन पर पाबंदी है। यह सेक्शन कहता है कि उल्लंघन करने वाले को अधिकतम 3 साल की सजा हो सकती है, उस पर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लग सकता है।IT एक्ट का सेक्शन 67A उन लोगों पर लागू होता है, जहां सेक्शुअली उत्तेजित करने वाली हरकतें की जाती हैं। भले ही इसमें सीधे-सीधे सेक्स करते हुए न दिखाया गया हो, वीडियो में लड़के या लड़की के कपड़े उतारने जैसे दृश्यों को भी अश्लील कंटेंट की कैटेगरी में रखा गया है। इसमें अधिकतम पांच साल की जेल और 10 लाख रुपए जुर्माने तक की सजा का प्रावधान है।