तालिबान का खौफ
अफगानिस्तान के एकमात्र गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल में छात्राओं के दस्तावेज जलाए गए
दो दशक पहले जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया, तो लड़कियों के स्कूल जाने पर रोक लगा दी, उनके डॉक्युमेंट्स जला दिए। मार्च 2002 में जब अमेरिका ने तालिबान को खदेड़ा, तब अफगानिस्तानी लड़कियों ने प्लेसमेंट परीक्षा देकर अपनी योग्यता साबित की। उसके बाद लड़कियों के लिए बोर्डिंग स्कूल की नींव रखी गई। अब 20 साल बाद अफगानिस्तान में तालिबान लौट आया है और उसके खौफ से फिर से लड़कियों के दस्तावेज जलाए जा रहे हैं।
शबाना बासिज, उन हजारों अफगान लड़कियों में शामिल थीं, जिनके दस्तावेज तालिबान ने जला दिए थे और उन्होंने फिर से पढ़ने के लिए परीक्षा दी थी। शबाना अब अफगानिस्तान की एकमात्र विमेंस बोर्डिंग स्कूल की संस्थापक हैं और उन्होंने बीती रात अपनी स्कूल की छात्राओं के रिकॉर्ड्स जला दिए। बासिज ने ऐसा अपनी छात्राओं और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिहाज से किया है।
शबाना ने ट्विटर पर लिखा, ‘लगभग 20 साल बाद, अफगानिस्तान में लड़कियों के लिए एकमात्र बोर्डिंग स्कूल की संस्थापक के तौर पर मैं अपनी सभी छात्राओं के रिकॉर्ड जला रही हूं। मैं ऐसा इन रिकॉर्ड को मिटाने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें और उनके परिवारों को बचाने के लिए कर रही हूं।’
साल 2008 में शबाना बासिज ने अफगानिस्तान में लड़कियों के लिए एकमात्र बोर्डिंग स्कूल की नींव रखी थी।
पूरी दुनिया की नजर इस समय अफगानिस्तान पर है, जहां तालिबान ने कब्जा कर लिया है। सबसे ज्यादा चिंता लड़कियों की शिक्षा और अधिकारों को लेकर व्यक्त की जा रही है। शबाना कहती हैं कि वे उनके साथ काम करने वाले लोग और छात्राएं सुरक्षित हैं, लेकिन अफगानिस्तान में ऐसे बहुत से लोग हैं जो इतने सुरक्षित नहीं हैं।
लोगों को तालिबान पर भरोसा नहीं हो रहा है
तालिबान ने काबुल पर कब्जे के बाद कहा है कि उसके शासन में महिलाओं के अधिकार सुरक्षित हैं और इस्लाम में जो अधिकार महिलाओं को दिए हैं, वो उन्हें दिए जाएंगे। तालिबान ने कई वीडियो जारी कर ये दिखाने की कोशिश भी की है कि लड़कियों के स्कूल खुले हुए हैं और वो पूरी आजादी से स्कूल जा रही हैं, लेकिन अफगानिस्तान में अधिकतर लोगों को तालिबान पर भरोसा नहीं हैं। यही वजह है कि काबुल में दीवारों पर लगे महिलाओं के पोस्टर हटा दिए गए हैं।
दहशत में हैं अफगानिस्तान की महिलाएं
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद महिलाएं दहशत में हैं। खासकर स्कूल जाने वाली लड़कियों में डर का माहौल है।
काबुल से बात करते हुए एक महिला अधिकार कार्यकर्ता ने अपना नाम न जाहिर करते हुए कहा, ‘कुछ दिन में ग्लोबल मीडिया की नजर अफगानिस्तान से हट जाएगी। लोगों की दिलचस्पी भी अफगानिस्तान में कम हो जाएगी। मीडिया किसी और खबर पर आगे बढ़ जाएगा, तब तालिबान अपना खेल शुरू करेंगे।’ वे कहती हैं, ‘काबुल पूरा अफगानिस्तान नहीं हैं, देश के दूर दराज इलाकों में क्या हो रहा है उसकी खबर हमें काबुल में ही मुश्किल से मिल पाती है, तो अफगानिस्तान के बाहर वह कैसे पहुंच पाती होगी?
तालिबान का खौफ ऐसा है कि लाखों लोग काबुल छोड़कर भागने की कोशिश कर रहे हैं। एयरपोर्ट पर हालात भयावह हैं। अफगानिस्तान की महिलाओं का कहना है कि उन्होंने 20 साल में जो आजादी देखी थी और तरक्की की थी, वह एक ही झटके में खत्म हो गई है। वहीं शबाना ने एक और ट्वीट में कहा कि उनके अंदर शिक्षा फैलाने की जो आग है वह कभी नहीं बुझेगी और इन हालात ने उन्हें और मजबूत किया है।