पैरा एथलीट को ट्रेन में दी गई अपर बर्थ, पहले भी हो चुका है ऐसा; IRCTC ने दी यह सफाई

नई दिल्ली. पैरा एथलीट (Para Athlete) और सामाजिक कार्यकर्ता सुवर्णा राज को एक बार फिर रेल व्यवस्था की गलती के चलते परेशानी का सामना करना पड़ा. व्हीलचेयर (Wheelchair) की मदद से आवागमन करने वाली राज को दिल्ली-विशाखापट्टन स्पेशन में लोअर के स्थान पर अपर बर्थ थमा दी गई. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जब उन्हें इस स्थिति का सामना करना पड़ा है. साल 2017 में भी उन्होंने अपर बर्थ मिलने के चलते कठिन यात्रा की थी.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, राज ने नागपुर यात्रा के लिए बुधवार को दिव्यांग कोटा के तहत सीट बुक की थी. जब उन्हें टिकट मिला था, उसमें उन्हें अपर बर्थ आवंटित की गई थी. हालांकि, उन्होंने यात्रा के दौरान एक वरिष्ठ नागरिक से सीट बदल ली थी. बचपन में पोलियो का शिकार होने के चलते वे चलने में परेशानी का सामना करती हैं. अखबार से बातचीत में उन्होंने बताया, ‘चार सालों में जब से मैंने ऐसी ही स्थिति का सामना किया था और तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु की तरफ से भरोसा दिया गया था. ऐसा लगा रहा है कि कुछ नहीं बदला है कि और PwD (Person With Disablity) को अभी भी संघर्ष करना पड़ेगा.’

साल 2017 में नागपुर-दिल्ली ट्रेन में अपर बर्थ आवंटित कर दी गई थी. इसके बाद उन्होंने टीटीई से संपर्क किया. उन्हें बताया गया कि कोच पूरी तरह भरा हुआ है और कोई भी बर्थ उपलब्ध नहीं हैं. सितंबर में कुछ महीनों बाद ही उन्हें एक बार फिर लोअर बर्थ नहीं दी गई. रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने बताया, ‘2017 में मुझे गीले फर्श पर अपने बेटे के साथ बैठकर यात्रा करनी पड़ी थी.’

उन्होंने बताया, ‘इस साल टीटीई की मदद नहीं मिलने के चलते मुझे अपनी सीट एक साथी यात्री के साथ बदलनी पड़ी. मैंने इतने सालों के बाद इन परेशानियों के दोबारा सामने आने की उम्मीद नहीं की थी.’ रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे अधिकारी ने दावा किया कि सीटों का आवंटन इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन की तरफ से किया जाता है. इसमें रेलवे की कोई भूमिका नहीं होती.

IRCTC के एक अधिकारी ने अखबार को बताया कि सिस्टम में इस तरह की जानकारी दी गई है कि अगर कोई दिव्यांग विकल्प के तहत सीट बुक करता है, तो उसे लोअर बर्थ दी जाए. अपर बर्थ तब दी जाती है, जब लोअर बर्थ पूरी तरह बुक हो चुकी होती हैं. अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा जानबूझकर या किसी तरह की असुविधा पहुंचाने के लिए नहीं किया गया था.’ उन्होंने कहा कि अगर सभी लोअर बर्थ भर गई हैं, तो सॉफ्टवेयर को बर्थ जारी करना जरूरी है. उन्होंने बताया, ‘ऐसे मामलों में ट्रैन में मौजूद अधिकारियों को सीट एडजस्ट कराने के निर्देश दिए जाते हैं.’

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