ज्ञानवापी मस्जिद में मां श्रृंगार गौरी को लेकर महिलाएं पहुंचीं कोर्ट, UP सरकार से मांगा जवाब
वाराणसी. धर्म नगरी वाराणसी (Varanasi) में बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद अभी सुलझा ही नहीं था कि एक और मंदिर का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है. यह मंदिर बाबा श्री काशी विश्वनाथ के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में है, जिसे सभी मां श्रृंगार गौरी के नाम से जानते हैं. इस मंदिर का विवाद वर्ष 1992 में सामने आया था. इन दिनों यह मंदिर फिर से चर्चा में है. दरअसल, इस मंदिर को संरक्षित करने और प्रतिदिन आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन-पूजन के लिए खोले जाने को लेकर काशी की महिलाओं ने वाराणसी के सिविल कोर्ट (सीनियर डिवीजन) में याचिका दाखिल की है.
राखी सिंह ने 4 अन्य महिलाओं के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन के जरिये कोर्ट में याचिका दायर की है. कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार, ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से इस मसले पर जवाब मांगा है. बता दें कि राखी सिंह दिल्ली की रहने वाली हैं और कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित मंदिर में पूजा करने की मंजूरी चाहती हैं. कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित मां श्रृंगार गौरी मंदिर के साथ परिसर में स्थित विग्रहों की स्थिति देखने के लिए अधिवक्ता आयुक्त (पैनल) को गठित किया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी.
पुरोहित गुलशन कपूर बताते हैं कि श्रृंगार गौरी 9 देवियों में से एक हैं. वाराणसी में नौवीं देवी के रूप में श्रृंगार गौरी विराजमान हैं. ज्ञानवापी परिसर के पश्चिम दीवार पर उनकी प्रतिमा स्थापित है. 1992 के पहले यहां प्रत्येक दिन पूजा-पाठ किया जाता था, लेकिन बाद में सिर्फ एक बार नवरात्र के अंतिम दिन यहां दर्शन पूजन की अनुमति मिलनी शुरू हुई.
1998 में कमिश्नर ने दर्शन-पूजन बंद करवाया
1998 में तत्कालीन कमिश्नर ने यहां दर्शन-पूजन पूरी तरह से बंद करवा दिया. हालांकि, लंबी लड़ाई के बाद 2006 में एक बार फिर से साल में एक बार इस मंदिर में दर्शन-पूजन करने की इजाजत दी गई. प्रमुख विश्व वैदिक सनातन धर्म के जितेंद्र सिंह कहते हैं कि इसी विवाद को देखते हुए बनारस की 4 महिलाओं ने दिल्ली की एक महिला के साथ वाराणसी के न्यायालय में एक याचिका दाखिल की है. इस याचिका में यह मांग की गई है कि शृंगार गौरी के दर्शन की अनुमति प्रत्येक दिन दी जाए. इसके साथ ही इस परिसर में स्थापित सभी ग्रहों की जांच की जाए कि वह सही सलामत हैं कि नहीं.
दरअसल, यह मांग इसलिए उठी है क्योंकि ज्ञानवापी मस्जिद व लॉर्ड विशेश्वर केस में वाराणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट से यह आर्डर मिला है कि परिसर के पुरातात्विक जांच हो. इसके बाद से यह वाद याचिका दाखिल की गई कि पुरातात्विक जांच के दौरान भी ग्रहों का नुकसान न हो.
महिलाओं ने बताया याचिका दाखिल करने की वजह
याचिका दाखिल करने वाली 5 महिलाएं मंजू व्यास, सीता साहू, लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक और राखी सिंह हैं. उनका कहना है कि 1991 के पहले हमें श्रृंगार गौरी के हमेशा दर्शन होते थे, लेकिन अब वह दर्शन पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. विग्रह किस हालत में हैं, यह पता भी नहीं है. साल में एक बार दूर से दर्शन करने की इजाजत जरूर मिलती है, पर हमारी मांग है कि आस्था को देखते हुए सरकार हमें प्रत्येक दिन यहां दर्शन करने की इजाजत दे. यही कारण है कि हमने यह याचिका दाखिल की है.
याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता सुभाष चतुर्वेदी ने बताया कि इन्होंने महिलाओं की इस याचिका को सिविल कोर्ट सीनियर डिवीजन में दाखिल किया. जिसमें जज ने इसे स्वीकार करते हुए इस पर निर्देश जारी किया है कि विग्रह की जांच करने के लिए अधिवक्ता-आयुक्त की टीम मौके पर जाकर जांच कर कोर्ट को वहां के मौजूदा हालात को बताएगी. यह याचिका इन महिलाओं के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर और विश्व वैदिक सनातन संघ द्वारा वाराणसी के कोर्ट में दाखिल किया गया है.