Afghanistan: अमेरिकी मदद से निकले भारतीय दूतावास के स्टाफ, लगातार हो रही थी बात
नई दिल्ली. 15 अगस्त को जैसे ही तालिबान के लड़ाके अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में घुसे, हर तरफ अफरा-तफरा मच (Afghanistan crisis:) गई. हज़ारों की संख्या में वहां से अफगानिस्तान के नागरिक और दूसरे देशों के लोग भागने की फिराक में एयरपोर्ट पहुंचने लगे. ऐसे हालात में काबुल स्थित भारतीय दूतावास में भी डर का माहौल था. भारत के लिए अपने अधिकारियों को वहां से सुरक्षित निकालना आसान नहीं था. लिहाज़ा भारत को अमेरिका ने पूरी मदद की. विदेश मंत्रालय से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, लगातार अमेरिका के संपर्क में थे. दोनों देश काबुल में एक दूसरे साथ पल-पल की जानकारी साझा कर रहे थे. बता दें कि मंगलवार को भारतीय वायु दूतावास के स्टाफ को लेकर मंगलवार को भारत पहुंचे.
सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से बात की. इसके बाद दोनों पक्षों के अधिकारियों ने दूतावास से भारतीय अधिकारियों को बाहर निकालने का पूरा खाका तैयार किया. इस मिशन की निगरानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला कर रहे थे. इसके अलावा ज़मीनी स्तर पर इस मिशन को अमली जामा पहनाने की ज़िम्मेदारी विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान) जे पी सिंह, अमेरिकी में भारत के राजदूत अतुल कशेप और कैबिनेट सचिव पर थी.
अखबार के मुताबिक दोनों पक्षों ने ‘रियर टाइम; के आधार पर एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग सिस्टम के ज़रिए लगातार बातचीत की. दरअसल केशप काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी बेस कमांडर के लगातार संपर्क में थे, ताकि भारतीय काफिले को अंदर जाने दिया जा सके. भारत का काफिला रात को काबुल एयपोर्ट के उस गेट पर पहुंचा जहां अमेरिका का टेक्निकल सेक्शन था. वहां पर लोगों की भारी भीड़ थी. बाद में भारत के स्टाफ को दूसरे गेट की तरफ आने के लिए कहा गया. यहां से एयरपोर्ट की एंट्री आसान और सुरक्षित थी. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान दिल्ली, काबुल और वॉशिगंटन के बीच लगातार मैसेज शेयर किए जा रहे थे.
अमेरिकी बेस कमांडर से ली मंजूरी
कुछ घंटों के इंतजार के बाद भारतीय काफिले को एक स्पेशल गेट पर भेज दिया गया. केशप ने अमेरिकी बेस कमांडर से मंजूरी ली और फिर वे हवाई अड्डे तक पहुंचने में सक्षम रहे. ये एक जटिल प्रक्रिया थी. दरअसल करीब 20 गाड़ियों को एक गेट से दूसरे तकनीकी क्षेत्र में फिर से भेजा जा रहा था. भारतीय वायु सेना के विमान के पास ही अमेरिका ने अफगान ट्रासलेटर के इंतज़ाम किए थे. जिससे कि भारत के लोगों को कोई परेशानी न हो.
अमेरिका की तारीफ
सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी सरकार का सहयोग इस मिशन में बेहद जरूरी था. ये दोनों देशों के बीच घनिष्ठ रणनीतिक साझेदारी का एक बड़ा उधारण है. न्यूयॉर्क जा रहे जयशंकर ने भी स्थिति के बारे में ब्लिंकेन से बात की. सूत्रों के मुताबिक, इस बातचीत ने लोगों को निकालने में मदद की और काबुल में तैनात भारतीय वायुसेना के विमान को मंगलवार की सुबह तड़के उड़ान भरने की अनुमति दी. जयशंकर ने इस संबंध में अमेरिकी प्रयासों की सराहना करते की.