अफगानिस्तान में सत्ता बदली

काबुल पर कब्जे के बाद मुल्ला बरादर का पहला बयान- उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी और इतनी आसान जीत मिलेगी

अफगानिस्तान में जिसकी आशंका थी, वही हुआ। तालिबान ने राजधानी काबुल को भी कब्जे में ले लिया। रविवार को तीन बेहद अहम डेवलपमेंट हुए। पहला- राष्ट्रपति अशरफ गनी और उपराष्ट्रपति अमीरुल्लाह सालेह ने अपने कुछ करीबियों के साथ देश छोड़ दिया। दूसरा- तालिबान ने राष्ट्रपति भवन (अर्ग) पर भी कब्जा कर लिया। देर रात कुछ वीडियोज भी सामने आए। इनमें तालिबान काबुल की सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं। तीसरा- तालिबान नेता मुल्ला बरादर का बड़ा बयान सामने आया। उसने कहा- सभी लोगों के जान-माल की रक्षा की जाएगी। अगले कुछ दिनों में सब नियंत्रित कर लिया जाएगा। हमने सोचा नहीं था कि इतनी आसान और इतनी जल्दी जीत मिलेगी। अगले कुछ दिनों में सभी चीजें सामान्य हो जाएंगी।

राष्ट्रपति भवन में तालिबानी दाखिए हुए और उन्होंने इंटरव्यू दिए।

तालिबान के नेता राष्ट्रपति भवन में बैठकर चैनलों को इंटरव्यू दे रहे हैं। उनका दावा है कि राष्ट्रपति गनी 50 लाख डॉलर कैश ले जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन ये पैसा राष्ट्रपति महल के हेलीपैड पर ही रह गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देर रात काबुल में कुछ धमाकों की आवाजें भी सुनाई दीं। हालांकि तालिबान के सूत्रों ने इसकी पुष्टि नहीं की। काबुल एयरपोर्ट से कॉमर्शियल उड़ानों पर रोक लगा दी गई है।

राष्ट्रपति भवन में बैठे तालिबानी। अफगानिस्तान पर तालिबानी सत्ता काबिज हो गई है।

अमन बहाली के लिए काउंसिल बनी, करजई लीड करेंगे
इस बीच, देश में अमन बहाली के लिए एक समन्वय परिषद बनाई गई है। पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई इसकी अगुआई करेंगे। इसमें अफगानिस्तान के मौजूदा सीईओ अब्दुल्ला अब्दुल्ला और जिहादी नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार भी होंगे। न्यूज एजेंसी ने तालिबान के सूत्रों के हवाले से कहा है कि यह संगठन बहुत जल्द राष्ट्रपति भवन से इस्लामिक एमिरेट्स ऑफ अफगानिस्तान का ऐलान कर सकता है।

मुल्ला शीरीन बने काबुल के गर्वनर
तालिबान ने मुल्ला शीरीन को काबुल का गवर्नर बनाया है। वो तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के करीबी थे और उनके सुरक्षा गार्ड भी रह चुके हैं। वो कंधार के हैं और पुराने तालिबानी हैं। सोवियत संघ के खिलाफ भी लड़ चुके हैं। तालिबान की लड़ाका यूनिटों के सबसे प्रमुख लोगों में से हैं। मुल्ला शीरीन को युद्ध विशेषज्ञ माना जाता है। मौजूदा तालिबान के सबसे प्रमुख लोगों में हैं।

अमेरिका ने सिक्योरिटी अलर्ट जारी किया
काबुल में तेजी से बदले हालात के बीच अमेरिका ने सिक्योरिटी अलर्ट जारी किया है। इसमें कहा गया- काबुल में एयरपोर्ट समेत सुरक्षा हालात तेजी से बदल रहे हैं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयरपोर्ट पर आग लगी हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास अब खाली हो चुका है। अमेरिकी राजदूत भी अफगानिस्तान छोड़कर जा चुके हैं।

पैसेंजर्स के बिना चली गईं फ्लाइट्स

काबुल हवाई अड्डे के कर्मचारी जल्दबाजी में भाग गए, जिसकी वजह से कई विमान बिना सभी यात्रियों के ही उड़ गए। इस समय काबुल हवाई अड्डे पर कोई सिविलियन एयरक्राफ्ट नहीं है। सिर्फ अमेरिकी सेना के विमान हैं। एक तरह से एयरपोर्ट पैसेंजर फ्लाइट्स के लिए बंद सा है। फ्लाइट रडार के मुताबिक सोमवार के लिए फ्लाइट्स शेड्यूल्ड हैं। तालिबान के सूत्रों ने दैनिक भास्कर को बताया है कि उनका इरादा काबुल हवाई अड्डे के काम को प्रभावित करने का नहीं है और सभी एयरलाइंस को उड़ानें संचालित करने दी जाएंगी। जर्मनी भी अपने दूतावास कर्मचारियों को काबुल से निकालने जा रहा है। अमेरिका और दूसरे देशों की मदद करने वाले अफगानी नागरिकों को बाहर निकाला जा रहा है।

कुछ इलाकों में लूटपाट

काबुल के कुछ इलाकों में लूटपाट भी हुई है। तालिबान हालात संभालने की कोशिश कर रहा है। करीब 200 अफगानी भी भारत पहुंचे हैं। इनमें अशरफ गनी के सीनियर एडवाइजर और कुछ सांसद शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, काबुल में तालिबान ने चोरी करके भाग रहे तीन लोगों को गोली मार दी। संगठन का कहना है कि लूटपाट करने वालों को गोली मार दी जाएगी। हालांकि जिन तीन लोगों को मारा गया है वो वास्तव में चोर थे या नहीं, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।

तालिबान ने बयान जारी किया
इस बीच, तालिबान ने एक बयान जारी कर विदेशी नागरिकों और दूतावासों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया है। बयान में कहा गया है- हम सभी दूतावासों, राजनयिक केंद्रों और विदेशी संस्थानों और नागरिकों को भरोसा देते हैं कि उन्हें कोई खतरा नहीं है। काबुल के सभी लोगों को ये भरोसा रखना चाहिए कि इस्लामी अमीरात के बलों को सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। काबुल और सभी दूसरे शहरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।

अमेरिका जा रहे हैं गनी?
गनी के करीबी सूत्रों के मुताबिक वे संभवत: किसी पड़ोसी देश के रास्ते अमेरिका जा रहे हैं। उनके साथ उपराष्ट्रपति सालेह और उनके कुछ बेहद करीबी लोग भी हैं। अफगान रक्षा मंत्री ने बिना नाम लिए इशारों में गनी और सालेह पर तंज कसा। काबुल में पुलिसकर्मी सरेंडर कर रहे हैं। उन्होंने अपने हथियार भी तालिबान को सौंप दिए हैं। काबुल के लोगों ने सुबह जब आंखें खोलीं तो तालिबान दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे। दोपहर होते-होते राजधानी पर उनका कब्जा हो गया और कुछ देर बाद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के देश छोड़ने की खबर आ गई। तालिबान से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मुल्ला बरादर अखंद अंतरिम सरकार के प्रमुख हो सकते हैं। देर रात एक फेसबुक पोस्ट में गनी ने कहा- मेरे पास आज मुश्किल विकल्प थे। यदि मैं काबुल में रुकता तो बहुत खून खराबा होता।

कौन हैं मुल्ला बरादर?
मुल्ला बरादर अभी कतर में हैं। अभी वो तालिबान के कतर में दोहा स्थित दफ्तर के राजनीतिक प्रमुख हैं। राष्ट्रपति बनने के लिए कई लोगों के नामों पर विचार किया जा रहा है, लेकिन उनका नाम शीर्ष पर है। वे अफगानिस्तान में तालिबान के को-फाउंडर हैं।

तालिबान शांति से सत्ता हासिल करना चाहता है
इससे पहले अफगानिस्तान के कार्यवाहक गृहमंत्री अब्दुल सत्तार मीरजकवाल ने बताया था कि तालिबान काबुल पर हमला नहीं करने के लिए राजी हो गया है। वो शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का ट्रांसफर चाहता है और ये इसी तरह होगा। नागरिक अपनी सुरक्षा को लेकर बेफिक्र रहें। तालिबान ने भी बयान जारी करके कहा था कि वो नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी लेता है।

तालिबान ने काबुल के चार जिलों पर कब्जा किया
तालिबान ने काबुल के चार बाहरी जिलों पर कब्जा किया है। ये हैं- सारोबी, बगराम, पगमान और काराबाग। हालांकि तालिबान ने अपने लड़ाकों से काबुल के बाहरी गेट पर रुकने के लिए कहा था। काबुल के नागरिक बता रहे हैं कि लोग काबुल में अपने घरों पर तालिबान के सफेद झंडे लगा रहे हैं।

तालिबान ने काबुल की बगराम जेल के बाद पुल-ए-चरखी जेल को भी तोड़ दिया, करीब 5 हजार कैदियों को छुड़ा लिया है। पुल-ए-चरखी अफगानिस्तान की सबसे बड़ी जेल है। यहां ज्यादातर तालिबानी बंद थे।

तालिबान ने बताया था कि काबुल में जंग नहीं हो रही है, बल्कि शांति से सत्ता हासिल करने के लिए बातचीत चल रही है। साथ ही कहा है कि काबुल एक बड़ी राजधानी और शहरी इलाका है। तालिबान यहां शांतिपूर्ण तरीके से दाखिल होना चाहता है। वह काबुल के सभी लोगों के जान-माल की सुरक्षा की गारंटी ले रहा है। उसका इरादा किसी से बदला लेने का नहीं है और उन्होंने सभी को माफ कर दिया है। वहीं अफगानिस्तान के सरकारी मीडिया का कहना है कि काबुल के कई इलाकों में गोलीबारी की आवाजें सुनी गई हैं।

तालिबान ने बामियान के गवर्नर कार्यालय पर भी बिना जंग के कब्जा कर लिया। यह इलाका हजारा शिया समुदाय का गढ़ है। तालिबान ने 20 साल पहले बामियान में बुद्ध की प्रतिमाओं को धमाके से उड़ा दिया था।

जलालाबाद पर भी तालिबान का कब्जा
इससे पहले रविवार तड़के तालिबान ने नंगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद पर भी अपनी हुकूमत कायम कर ली थी। न्यूज एजेंसी फ्रांस प्रेस के मुताबिक जलालाबाद के लोगों ने बताया कि रविवार सुबह जब वे जागे तो देखा कि पूरे शहर में तालिबान के झंडे लहरा रहे थे और यहां कब्जा करने के लिए उन्हें जंग भी नहीं लड़नी पड़ी।

जलालाबाद के गवर्नर जियाउलहक अमरखी अपना ऑफिस तालिबान के लड़ाकों के हवाले करते हुए। जलालाबाद पर कब्जा करने में तालिबान को कोई संघर्ष नहीं करना पड़ा।

तालिबान ने मनी चेंजर्स के साथ बैठक कर उन्हें दिशा-निर्देश जारी किए हैं। तालिबान ने कहा है कि सब अपना काम जारी रखें, किसी को परेशान नहीं किया जाएगा।

अफगान सेना का सबसे मजबूत गढ़ मजार-ए-शरीफ भी तालिबान के पास
तालिबान ने शनिवार को अफगानिस्तान सरकार और सेना के सबसे मजबूत गढ़ मजार-ए-शरीफ पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद ही माना जा रहा था कि अब काबुल को सुरक्षित रखना मुश्किल होगा। तालिबान अफगानिस्तान के 34 में से 21 प्रांतों पर कब्जा कर चुका है।

अफगानिस्तान के हालात का भारत पर क्या असर होगा?
पूर्व विदेश सचिव शशांक का कहना है कि भारत के सामने सबसे प्राथमिक चुनौती अफगानिस्तान में अपने नागरिकों और राहत कर्मियों की हिफाजत करना है। एक बड़ी चुनौती यह भी है कि तालिबान के वर्चस्व के बाद लश्कर और जैश को खुला खेत मिल जाएगा। वे भारतीय हितों को निशाना बनाना शुरू कर देंगे। ताकि बाकी भारतीय वहां से हट जाएं। पाकिस्तान की सेना और ISI की भूमिका वहां बढ़ जाएगी। रविवार को 100 से ज्यादा भारतीय नागरिकों को देश वापस लाया गया।

इन 5 बिंदुओं पर विचार कर सकता है भारत

अमेरिका और सहयोगी देशों के बीच लामबंदी कर अफगानिस्तान के लिए समर्थन जारी रखने का झंडा बुलंद करे।काबुल की मौजूदा सरकार को समर्थन जारी रखने के फैसले पर कायम रहे। जब तक संभव है, तब तक मानवीय राहत दी जाए।अफगानिस्तान की सेना को सैन्य आपूर्ति की जाए और उसकी हवाई ताकत मजबूत की जाए। तालिबान को इसका खतरा लग रहा है। इसी कारण भारत को धमकियां दी जा रही हैं।तालिबान से संपर्क साधें। ऐसा पर्दे के पीछे हो भी रहा है। चीन-पाकिस्तान विरोधी तालिबान भी अफगानिस्तान में सक्रिय हैं।अंतिम विकल्प आसान है। वह यह कि स्थिति पर सिर्फ निगाह रखी जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि तालिबान उसी इलाके में खुद को सीमित रखे और हमारी सरहदों की ओर रुख न करे। इससे चीन-पाकिस्तान को अफगानी गृहयुद्ध की आंच सीधे झेलनी होगी।

Related Articles

Back to top button