उत्तराखंड के वन्य जीव मंत्री को लगा ज़ोर का झटका, डस्ट में गया ड्रीम प्रोजेक्ट
उत्तराखंड के वन मंत्री के सपने को वहां के वाइल्डलाइफ बोर्ड ने सपना बनाकर छोड़ दिया है। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत(Trivendra Singh Rawat) की अध्यक्षता में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में बोर्ड ने कंडी मार्ग प्रोजेक्ट के लिए साफ़ नकार दिया है। हालाँकि बोर्ड ने लालढांग चिलरखाल मोटर मार्ग को अनुमति दे दी है।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में शनिवार को उत्तराखंड के प्रदेश वन्यजीव बोर्ड की 13वीं वार्षिक बैठक हुई। इस बैठक में वन्यजीव बोर्ड ने वन मंत्री हरक सिंह रावत(Harak Singh Rawat) के ड्रीम प्रोजेक्ट कंडी मार्ग के प्रस्ताव को साफ़ मना कर दिया है। कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के बीच से होकर गढ़वाल (Garhwal) को कुमाऊं (kumaon) से जोड़ने वाले कंडी मार्ग का सर्वे कर वन्यजीव बोर्ड ने राज्य को चार विकल्प (Options) दिए थे। साथ ही इसमें गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने के लिए चार मार्गों पर वाइल्ड लाइफ को होने वाले नुकसान और मार्ग निर्माण के खर्चे का ब्योरा भी दिया था। इसके बाद आयोजित बोर्ड की बैठक में सभी चार विकल्पों पर चर्चा के बाद इस प्रस्ताव (Proposal) को ठुकरा दिया गया। हालांकि, राज्य के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि भारतीय वन्यजीव संस्थान अपनी अंतिम रिपोर्ट देने के बाद कांडी रोड परियोजना पर अंतिम फैसला करेगा। उन्होंने कहा कि ‘हमारे द्वारा लिए गए निर्णयों में से अधिकांश लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखकर लिए गए हैं, क्योंकि वे वन्यजीवों और वनों से संबंधित परियोजनाओं से प्रभावित होते हैं। कंडी रोड परियोजना अभी भी विचाराधीन है। हमने संस्थान से परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए उपयुक्त विकल्पों के साथ आने को कहा है।’
कई योजनाएं स्थगित
इसके साथ ही राज्य वन्यजीव बोर्ड(State Wildlife Board) ने नंधौर वन्यजीव अभयारण्य को बाघ अभयारण्य बनाने की अपनी योजना को अभी स्थगित कर दिया है। उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख जयराज ने बताया कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व की सुरई रेंज को बफर जोन के दायरे से बाहर रखने का भी निर्णय लिया गया। आर्थिक नुकसान और मानव-पशु संघर्ष की घटनाओं के डर से स्थानीय लोगों ने टाइगर रिजर्व और बफर ज़ोन से संबंधित योजनाओं के खिलाफ आवाज उठाई है। उनके ऐतराज़ के चलते ही वन्यजीव बोर्ड ने ये कदम उठाए हैं।