अफगानिस्तान: संघर्ष से सत्ता के सोपान तक आखिर कैसे पहुंचा तालिबान, तिथियों में जानें प्रमुख पड़ाव
तालिबान ने एक-एक कर अफगानिस्तान प्रांत पर अपना कब्जा शुरू कर दिया और अंत में काबूल पर अपना परचम फहरा दिया। इसके साथ ही अफगानिस्तान में एक लोकतांत्रिक सरकार का अंत हुआ। आइए जानते हैं पूरे घटनाक्रम को।
अमेरिका की सैन्य वापसी की घोषणा के बाद तालिबान ने काबुल की सत्ता हासिल करने के लिए अपना संघर्ष तेज कर दिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने पूर्ववर्ती बिल क्लिंटन की नीतियों पर कायम रहते हुए अफगानिस्तान से सैन्य वापसी का ऐलान किया था। इसके बाद तय समय से पहले बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने का ऐलान किया। अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान की नजर अफगानिस्तान की सत्ता पर टिकी थी। तालिबान ने एक-एक कर अफगानिस्तान प्रांत पर अपना कब्जा शुरू कर दिया और अंत में काबूल पर अपना परचम फहरा दिया। इसके साथ ही अफगानिस्तान में एक लोकतांत्रिक सरकार का अंत हुआ। आइए जानते हैं पूरे घटनाक्रम को तीथिवार के रूप में।
14 अप्रैल, 2021 : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एलान किया कि सैन्य वापसी एक मई से शुरू होकर 11 सितंबर को खत्म होगी। यह तालिबान व अमेरिका के बीच सैन्य वापसी के लिए तय एक मई की आखिरी तिथि का विस्तार तथा सबसे लंबी अमेरिकी लड़ाई के खत्म होने का संकेत था।
04 मई : दक्षिणी हेलमंड प्रांत में तालिबानी आतंकियों ने अफगानी सेना पर बड़ा हमला बोला। आतंकियों ने छह अन्य प्रांतों पर भी हमले किए।
11 मई : देशभर में हिंसा फैल गई और तालिबान ने राजधानी काबुल के बाहरी इलाके में स्थित नेरख जिले पर कब्जा कर लिया।
07 जून : सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि लड़ाई तेज हो गई है और पिछले 24 घंटे में 150 अफगानी सैनिक मारे गए हैं। देश के 34 में से 26 प्रांतों में लड़ाई भीषण होती जा रही है।
22 जून : तालिबानी आतंकियों ने अपने गढ़ दक्षिण से इतर उत्तरी अफगानिस्तान में हमले तेज कर दिए। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के राजनयिक ने बताया कि तालिबानियों ने 370 में से 50 से ज्यादा जिलों पर कब्जा जमा लिया है।
02 जुलाई : अमेरिकी सेना ने बागराम एयर बेस स्थित अपने मुख्य सैन्य अड्डे को खाली कर दिया। काबुल के करीब स्थित इस सैन्य अड्डे के खाली करने के साथ ही अमेरिका की सीधी संलिप्तता खत्म हो गई।
05 जुलाई : तालिबान ने अफगानिस्तान सरकार को अगस्त तक लिखित शांति प्रस्ताव देने की बात कही।
21 जुलाई : अमेरिका के वरिष्ठ जनरल ने बताया कि तालिबानी आतंकियों ने देश के लगभग आधे जिलों पर कब्जा कर लिया है।
25 जुलाई : अमेरिका ने आने वाले हफ्तों में अफगानिस्तान को मदद जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि तालिबान से मुकाबले के लिए वह हवाई हमले तेज करेगा।
26 जुलाई : संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि मई व जून के दौरान करीब 2,400 नागरिक मारे गए या घायल हुए हैं। यह वर्ष 2009 के बाद उन महीनों की सबसे बड़ी संख्या है।
06 अगस्त : देश के दक्षिण में स्थित जारंज पहला प्रांतीय राजधानी रहा, जिस पर तालिबानियों ने वर्षो में कब्जा जमाया। इसके बाद उत्तर में स्थित कुंदुज समेत कई प्रांतीय राजधानियों पर पर तालिबान काबिज होता चला गया।
13 अगस्त : कंधार समेत चार प्रांतीय राजधानियों पर तालिबान काबिज हो गया। हेरात पर कब्जा करते हुए तालिबान के खिलाफ लड़ने वाले प्रमुख कमांडर मुहम्मद इस्माइल खान को बंदी बना लिया गया।
14 अगस्त : तालिबान ने हल्की झड़प के बाद उत्तर के प्रमुख शहर मजार ए शरीफ व काबुल से महज 70 किमी दूर पुल ए आलम पर कब्जा जमा लिया। अमेरिका ने काबुल से अपने नागरिकों की सकुशल वापसी के लिए और सैनिक भेजे। अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि वह अगला कदम उठाने के लिए स्थानीय व अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से बात कर रहे हैं।
15 अगस्त : बिना किसी लड़ाई के तालिबान प्रमुख शहर जलालाबाद पर कब्जा करते हुए राजधानी काबुल में प्रवेश कर गया।