नई दिल्ली. देश में कोविड-19 वैक्सीन कमी के बीच सरकार ने रोडमैप तैयार कर लिया है. नेशनल कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख डॉक्टर वीके पॉल ने प्लान साझा किया है. उन्होंने दावा किया है कि साल के अंत तक सभी भारतीयों को वैक्सीन लग जाएगी. साथ ही उन्होंने जानकारी दी थी कि अगस्त से दिसंबर के बीच भारत में 216 करोड़ वैक्सीन डोज उपलब्ध होंगे. साथ ही सरकार फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन जैसे विदेशी निर्माताओं के साथ संपर्क में भी है.
एक साल से भी कम समय में सैकड़ों वैक्सीन उम्मीदवार प्री-क्लीनिकल और क्लीनिकल ट्रायल स्टेजे के अलग-अलग दौर में पहुंच चुके हैं. कोविड-19 वैक्सीन ट्रैकर के अनुसार, फिलहाल 115 उम्मीदवार हैं, जिनमें से 14 को मंजूरी मिल चुकी है. भारत में फिलहाल दो वैक्सीन- कोविशील्ड और कोवैक्सीन को मंजूरी मिली है. वहीं, जल्द ही रूसी वैक्सीन स्पूतनिक 5 भी बाजार में आने के लिए तैयार है. सरकार ने नए प्लान में 8 नई वैक्सीन का जिक्र किया है.
अगस्त से दिसंबर के बीच सरकार का 216 करोड़ वैक्सीन डोज का रोडमैप ये रहा
कोविशील्ड: 75 करोड़ डोज
कोवैक्सीन: 55 करोड़ डोज
बायो ई सबयूनिट वैक्सीन: 30 करोड़ डोज
जायडस कैडिला डीएनए: 5 करोड़ डोज
नोवावैक्स: 20 करोड़ डोज
भारत बायोटेक इंट्रानैजल: 10 करोड़ डोज
‘वैक्सीन प्लान’ के 8 हिस्सों के बारे में जानते हैं, जिनके दम पर सरकार ने साल के अंत तक सभी को टीका लगाने का दावा किया है-
कोवैक्सीन: इस निष्क्रिय कोरोना वायरस वैक्सीन को भारत बायोटेक ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर तैयार किया है. इस वैक्सीन के जरिए ऐसे पैथोजन्स जो खुद का गुणा नहीं कर सकते, उन्हें शरीर में इंजेक्ट किया जाएगा. फॉर्मेलीन जैसे कैमिकल्स की मदद से वैक्सीन इम्यून सिस्टम को कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज बनाना सिखाएगी. इसमें निष्क्रिय वायरस को बहुत कम मात्रा में एल्युमीनियम आधारित कंपाउंड के साथ मिलाया गया है, जिसे एड्जुवेंट कहते हैं. यह इम्यून सिस्टम को वैक्सीन के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित करता है.
बायोलॉजिकल ई: हैदराबाद की बायोलॉजिकल ई लिमिटेड को इसकी प्रोटीन सबयूनिट BECOV2A वैक्सीन के लिए आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति मिल गई है. इसमें छोटे शुद्ध टुकड़े होते हैं, जिनका चुनाव असरदार और मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स तैयार करने के लिए खासतौर पर किया जाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि ये फ्रेगमेंट्स कोविड-19 नहीं फैला सकते. सबयूनिट वैक्सीन को सुरक्षित माना जाता है. साथ ही इस तरह की वैक्सीन को बनाना सस्ता और आसान होता है. साथ ही ये पूरे वायरस या बैक्टीरिया वाली वैक्सीन की तुलना में ज्यादा स्थिर होती हैं.
कोविशील्ड: वायरल वेक्टर आधारित इस वैक्सीन में एंटीजन नहीं होते. ये इनका उत्पादन करने के लिए शरीर के सेल्स का ही इस्तेमाल करती है. इसमें संशोधित वायरस यानि वेक्टर होता है. अगर वायरस की सतह पर स्पाइक प्रोटीन पाया जाता है, तो यह एंटीजन के लिए जेनेटिक कोड लेकर इंसानी सेल में जाता है. एडेनोवायरस समेत कई वायरस को वेक्टर के तौर पर विकसित किया गया है.
स्पूतनिक 5: नॉन-रेप्लिकेटिंग वायरल वेक्टर वैक्सीन में दो इंसानी एडेनोवायरस- Ad5 और Ad6 का इस्तेमाल किया गया है. एडेनोवायरस कोशिकाओं से टकराते हैं और उनकी सतह पर मौजूद प्रोटीन पर पकड़ बना लेते हैं. एक बार शरीर में इंजेक्ट होने के बाद, ये वैक्सीन वायरस हमारी कोशिकाओं को संक्रमित करना शुरू कर देते हैं. इसके बाद इंसानी सेल एंटीजन ऐसे तैयार करना शुरू कर देता है, जैसे वह उसका अपना ही प्रोटीन है.
जायडस कैडिला: अहमदाबाद की कंपनी अपनी प्लासमिड डीएनए वैक्सीन ZyCoV-D के साथ तैयार है. न्यू्क्लिक वैक्सीन किसी बीमारी के खिलाफ इम्यून प्रतिक्रिया को प्रेरित करने के लिए वायरस या बैक्टीरियम के जेनेटिक मटेरियल का इस्तेमाल करती हैं. वैक्सीन का जेनेटिक मटेरियल पैथोजन से खास प्रोटीन बनाने के लिए आदेश जारी करता है. बाद में इस प्रोटीन को इम्यून सिस्टम पहचान लेता है और वायरस के खिलाफ प्रतिक्रिया के लिए तैयार करता है.
नोवावैक्स: अमेरिका की कंपनी नोवावैक्स ने भारतीय वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट के साथ साझेदारी की है. यह बायोलॉजिकल ई कैंडिडेट की तरह ही प्रोटीन सबयूनिट कोविड-19 वैक्सीन NVX-CoV2373 है. इसका नाम कोवोवैक्स है.
जीनोवा: पुणे की कंपनी जीनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स की mRNA वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है. इस वैक्सीन में mRNA मैसेंजर का इस्तेमाल हुआ है, जो स्पाइक प्रोटीन बनाने के लिए जेनेटिक सीक्वेंस लेकर जाता है. खास बात है कि शरीर के प्राकृतिक एनजाइम्स mRNA मॉलेक्यूल को तोड़ देंगे. इसके चलते इसे लिपिड नैनोपार्टिकल्स से बने बबल में रखा गया है. यह सेल की झिल्लियों से मिलता-जुलता है और RNA को मेजबान सेल तक पहुंचाता है. यहां mRNA ऐसे काम करता है, जैसे वो सेल का ही हिस्सा है. इसके बाद सेल इसके प्रोटीन का इस्तेमाल कर संदेश को पढ़ता है और स्पाइक प्रोटीन बनाता है. बाद में इसे होस्ट सेल से निकाला जाता है और इम्यून सिस्टम इसकी पहचान करता है.
इंट्रानेजल: भारत बायोटेक ने एडेनोवायरस वेक्टर्ड इंट्रानेजल वैक्सीन का सुझाव दिया है. सरकार ने मौजूदा वैक्सीन कार्यक्रम के लिए ऐसी 10 करोड़ वैक्सीन डोज का ऑर्डर दिया है.
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