शाहजहांपुर के इस गांव में पलट गई बाजी, अब इंसानों से डरते हैं बंदर, पहले थी उल्टी कहानी
शाहजहांपुर के एक गांव में बंदरों के आतंक से पूरा गांव दहशत में रहता था। लेकिन गांव के लोगों ने कुछ ऐसा किया जिससे आज हज़ारो बंदर दहशत में हैं । यहां गांव वालों ने बंदरों को भगाने के लिए एक नायाब तरीका ढूंढ निकाला है । गांव वालों ने बंदरों को भगाने के लिए भालू की शक्ल की तरह दो युवकों को तैयार किया ये दोनों युवक भालू बनकर पूरे गांव में घूम रहे हैं। जिन्हें देखकर बंदर दुम दबाकर भाग जाते हैं। लेकिन वन विभाग हाथ पर हाथ रखे बैठा हुआ। भालू बने इन गांव के दोनों लोगों को देखकर गांव के छोटे-छोटे बच्चे तो डरते ही हैं। साथ ही इस गांव में उत्पाती बंदरों की शामत भी आ गई है। भालू की शक्ल वाले इन लोगों को देखकर बंदर गांव छोड़ छोड़ कर भाग रहे हैं ।
बन्दरों के ड़र से भालू बने इन्सानो का यह अनोखा नजारा है | थाना जलालाबाद क्षेत्र के सिकंदरपुर अफगान गांव का है | इस गांव की आबादी तो महज पांच हजार है। लेकिन यहां उत्पाती बंदरों की तादाद 10 हज़ार से भी ज्यादा है। यहां के लोगों ने वन विभाग से बंदरों को पकड़ने की मांग की थी लेकिन वन विभाग ने एक बंदर पकड़ने के एवज में 3 सौ रुपये का शुल्क देने की बात कही। फीस ज्यादा होने की वजह से ग्रामीणों ने हाथ खड़े कर लिए। लेकिन गांव वालों ने हिम्मत नहीं हारी। गांव के लोगों ने बंदरों को भगाने के लिए खुद एक नायाब तरीका खोज निकाला। गांव के लोगों ने चंदा इकठ्ठा करके भालू की खाल के जैसी ड्रेस मंगवाई और भालू का मुखौटा मंगवाया। गांव के ही 2 युवकों को भालू की ड्रेस वाले कपड़े पहनाकर जैसे ही गांव में निकाला वैसे ही बंदरों में भगदड़ मच गई। भालू की शक्ल देख कर बंदर गांव छोड़कर भाग रहे हैं । भालू के कपड़े पहने यह युवक रोजाना 2 से 3 घंटे गांव में घूमकर बंदरों को भगाते हैं। इनकी शक्ल देखकर बंदर कभी पेड़ से कूद जाते हैं तो कभी मकान की छत से कूद कर भाग जाते हैं।
हालांकि भालू की शक्ल देख कर बंदर तो गांव छोड़ कर धीरे धीरे भाग रहे हैं। लेकिन भालू की खाल पहने इन युवकों के लिए मुसीबत बढ़ गई है। क्योंकि इन्हें देख कर गांव के कुत्ते इन पर भौंक रहे हैं और काटने की कोशिश करते हैं।
गांव वालों की माने तो काफी बंदर अभी भी गांव में मौजूद है। जो उनका भारी नुकसान कर रहे हैं। खाना बनाते और खाना खाते वक्त परिवार के लोग लाठी डंडा लेकर बंदरों को भगाते नजर आते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वह लोग बंदरों के आतंक से बेहद परेशान हैं। लेकिन बंदरों को भगाने के इस तरीके से उन्हें राहत मिल पाएगी या नहीं इसको लेकर उनकी परेशानी बरकरार है।
भालू की शक्ल वाले इन लोगों को देखकर बंदरों की संख्या में कुछ कमी आई है। क्योंकि गांव बड़ा है जिसके चलते बंदर दूसरे किनारों पर भाग जाते हैं या फिर गांव के बाहर छुप जाते हैं। बंदर इतने उत्पाती हैं कि लोगों को हर वक्त डंडा अपने साथ रखना पड़ता है। बंदर कभी उनके कपड़े फाड़ देते हैं तो कभी उनका खाना छीन कर भाग जाते हैं। आलम यह है कि वन विभाग भी इन्हें पकड़ने को लेकर अपने हाथ खड़े कर रहा है।
इस गांव के लोगों ने पिछले लंबे समय से बंदरों का उत्पात और दहशत का सामना किया है। लेकिन अब उत्पाती बंदरों को ऊपर दांव उल्टा पड़ गया है। भालू की शक्ल वाले लोगों को देखकर अब खुद बंदर दहशत में हैं। भालू की शक्ल देख कर बंदरों के झुंड दुम दबाकर भागने को मजबूर हो रहे हैं । यही वजह है कि गांव के लोगों ने फैसला किया है कि वह जब तक बंदरों को गांव से बाहर नहीं निकाल देते तब तक वह भालू की शक्ल का इस्तेमाल बंदरों के लिए करते रहेंगे।