गैरसैंण राजधानी क्षेत्र के विकास के लिए 350 करोड़ स्वीकृतः त्रिवेंद्र
भराड़ीसैंण, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को कहा कि गैरसैंण राजधानी क्षेत्र के विकास के लिए 350 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। वहीं, मुख्यमंत्री घस्यारी योजना से लेकर सौभाग्यवती योजना आदि के लिए बजट में पहली बार प्रावधान किया गया है।
विधानसभा भवन परिसर में संवाददाता सम्मेलन में त्रिवेंद्र ने गुरुवार को पेश किये गये बजट की जानकारी देते हुये कहा कि राज्य के बजट में हर वर्ग का ख्याल रखा गया है। उन्होंने कहा कि गैरसैंण राजधानी क्षेत्र के विकास के लिए सरकार ने पूरा खाका तैयार किया है। इसके लिए सरकार ने 350 करोड़ रुपए स्वीकृत हैं। इसमें अवस्थापना मद में 50 करोड़, चौखुटिया हवाई अड्डे के लिए 20 करोड़, सचिवालय के लिए 15 करोड़, विधानसभा भवन के लिए 19 करोड़, अंतर्राष्ट्रीय संसदीय अध्ययन शोध, प्रशिक्षण संस्थान के लिए एक करोड़, गैरसैंण पेयजल योजना के लिए 106.87 करोड़, पीएनजीएसवाई में 93.25 करोड़, स्टेडियम के लिए 2.42 करोड, जिसमें से 1.33 करोड़ दिया़, दिवालीखाला-भराड़ीसैंण डबल लाईन के लिए 8.67 करोड़, सीएचसी हाॅस्पिटल अपग्रेडेशन के लिए 11.50 करोड़ जिसमें तीन करोड़ अवमुक्त, विकास केन्द्र के लिए 17.46 लाख दिया है, 15 लाख रुपए देंगे।
मुख्यमंत्री ने बताया कि परिवहन बस डिपो के लिए पांच करोड़, स्किल डेवलपमेंट के लिए एक करोड़, पुलिस बैरक के लिए दो करोड़, माध्यमिक शिक्षा के तहत सात विद्यालय-2 अतिरिक्त कक्षा कक्ष, प्राथमिक शिक्षा के तहत 6 विद्यालय में एक कक्षा कक्ष, उद्यान के अंतर्गत कोल्ड स्टोर एवं प्रसंस्करण इकाई के लिए ढाई करोड़, मशरूम उत्पादन यूनिट के लिए एक करोड़, माली प्रशिक्षण केंद्र के लिए 15 लाख, चाय बोर्ड के अंतर्गत कालीमाटी के लिए दो करोड़ स्वीकृत किए हैं। इसके अलावा गैरसैंण में चाय बोर्ड कार्यालय प्रस्तावित, दूधातौली तक नेचर ट्रेल, कमिशनरी, डीआईजी आफिस, टाउन प्लानिंग एवं भराड़ीसैंण में हेलीपैड़ के लिए दो करोड़ रूपए प्रावधानित किए गए हैं। इस हेलीपैड पर एक साथ तीन एमआई हेलीकाॅप्टर उतर सकेंगे।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अपने बजट में मुख्यतः चार बातों पर ध्यान दिया है। ये स्वस्थ उत्तराखण्ड, सुगम उत्तराखण्ड, स्वालम्बी उत्तराखण्ड और सुरक्षित उत्तराखण्ड है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना से समाज में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा। भले तत्काल इसका असर नजर न आए। इसके लिए सरकार को तमाम व्यवस्था करनी पड़ेंगी। उन्होंने कहा कि हमारे किसान जो धान और गेहूं पैदा करते हैं। उन्हें घास प्रजाति की मक्का, जई व बरसीन बोने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। ऐसे में अनाज से ज्यादा पैसा वह इन फसलों से ले सकते हैं। फेयर प्राइस शाॅप के माध्यम से जिलों में घास को पहुंचाया जाएगा। एक ओर जहां घास बोने से तो पैकिंग से भी इनकम होगी। इस योजना के लिए पहली बार बजट में 25 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।