30 दिन में 3 ग्रहण, 1962 में भी यही सहयोग बना था, तब हुआ था भारत चीन युद्ध, महा प्रलयंकारी !
- 58 साल बाद ब्रह्मांड में गज़ब संयोग
- 30 दिन में 3 ग्रहण
- क्या होगा परिणाम
जी हां यही सवाल इस वक्त ना सिर्फ ब्रहाम्ड को जानने वाले और समझने वाले वैज्ञानिकों परेशान कर रहा हैं, बल्कि आम इंसान की जबान पर भी यही सवाल है कि आखिर 30 दिन में तीन बार लगने वाले इन ग्रहण का क्या प्रभाव पृथ्वी पर,मानव जाति पर और देश पर क्या पड़ेगा ? जून में 2 और जुलाई में 1 ग्रहण को लेकर हर तरफ डर और संशय का माहौल बना हुआ है कि आखिर 5 जून को लगने वाले चंद्र ग्रहण, 21 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण और 5 जुलाई को लगने वाले चंद्र ग्रहण का क्या असर होने वाला हैं?क्योकि ग्रहो की गणना करने वाले ज्योतिषचार्यों को कहना है कि इस समय में शनि मकर राशि में वक्री हैं।
30 दिन में लगने वाले इन तीन ग्रहणों का संयोग विनाशकारी होगा या फिर शुभ समाचार लाएगा ये तो अभी नही कहा जा सकता है और ऐसा नही है कि ब्रहामाण्ड में ऐसा संयोग कोई पहली बार बन रहा है बल्कि आज से 58 साल पहले भी इस तरह का संयोग बन चुका हैं। जिसके परिणाम बहुत अच्छे नही रहे हैं, न ही राष्ट्रीय स्तर पर और न ही अर्तराष्ट्रीय स्तर पर। दरअसल 58 साल पहले 1962 में 17 जुलाई को मांद्य चंद्र ग्रहण, 31 जुलाई को सूर्य ग्रहण और 15 अगस्त को फिर से मांद्य चंद्र ग्रहण हुआ था और उस समय भी शनि मकर राशि में वक्री था और 1962 में लगे इन तीनो ग्रहणों के बाद 1962 में भारत की कमर तोड़ देने वाला युद्द चीन – भारत युद्ध हुआ था। 29 अक्टूबर से 21 नवंबर तक चले इस युद्ध में भारत की आर्थिक और सामरिक ढांचे को भारी चोट पहुंची थी। देश के कई हिस्सों में अकाल जैसे हालात बन गए थे। इन्ही ग्रहणों के बाद देश ने 1966 में जहां लाल बहादुर शास्त्री जैसी शख्सियत को खो दिया।
वही इसी सदी में देश ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसी हस्तियों को भी खो दिया। यानी की अगर देखा जाए तो 58 साल पहले 1962 में लगे इन ग्रहणों के प्रभाव शुभ नही रहे वही अगर 5 जून, 21 जून और 5 जुलाई को लगने वाले ग्रहण की बात करे तो 5 जून को ज्येष्ठ की मास की पूर्णिमा है। 21 जून को आषाढ़ मास की अमावस्या है। 5 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा है। 5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में रहेगा, लेकिन दिन में होने से यह दिखाई नहीं देगा।
5 जून और 5 जुलाई के दोनों चंद्र ग्रहण मान्द्य हैं, यानी इनका कोई भी धार्मिक असर मान्य नहीं होगा। लेकिन कई ज्योतिषचार्य 21 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण को शुभ नही मान रहे हैं। ज्योतिषचार्यों के अनुसार .21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण समाज में खरमंडल मचाएगा। कई दशक बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब एक साथ छह ग्रह सूर्य ग्रहण पर वक्री होंगे। वक्री होने से इन ग्रहों की चाल उल्टी पड़ जाएगी जिसका सीधा असर मानव जीवन पर पड़ेगा। ज्योतिष विद्वान इसे शुभ नहीं मान रहे है कोरोना संक्रमण के बीच ग्रहों की ऐसी चाल प्राकृतिक आपदा बढ़ा सकती है। अगस्त महीने में महामारी के बढ़ने के भी संकेत बन रहे हैं। ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि शनि के राशि परिवर्तन से ऐसी आशंका जताई जा रही है। लेकिन साथ ही शुभ संकेत ये भी मिल रहे है कि सितंबर महीने में केतु के राशि परिवर्तन और गुरु के साथ शनि के मार्गी होने से हालात सामान्य हो जाएंगे।
सितंबर के अंतिम सप्ताह से देश में हालात पूरी तरह से अनुकूल हो जाएगें और लोग हर तरह के संक्रमण से मुक्ति पा जाएंगे। साथ ही ज्योतिषचार्य अरविदं त्रिपाठी का कहना है कि ये तीनों ग्रहण देश की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नही हैं। शेयर बाज़ार से जुड़े लोगो को सावधान रहने की जरुरत हैं। साथ ही विश्व युद्ध की संभावनाएं भी बन सकती हैं। साथ ही किसी कीर्तिमान राजनैतिक शख्सियत को क्षति पहुंचने की भी संभावना हैं। साथ ही जल प्रलय का भी खतरा मंडरा रह हैं। खैर ये तो ग्रहों की गणना है अब तीनो ग्रहणों के सही नतीजे का इंतजार अभी पूरी दुनिया को करना होगा ।
5 जून – चंद्र ग्रहण
21 जून सूर्य ग्रहण
5 जुलाई चंद्र ग्रहण
https://youtu.be/KTvaR2Ih1cg