गोरखपुर के एक गांव में कटान से दहशत, देखते-देखते राप्ती नदी में समा गए 12 घर
इस वीडियो में एक घर पानी में विलीन हो रहा है. नेपाल के पानी छोड़ने और लगातार हो रही मानसूनी बारिश की वजह से गोरखपुर के उत्तर में 22 किलोमीटर दूर स्थित एक गांव में ग्रामीण दशहत में हैं. वे दिन-रात जगकर अपने बचे खुचे सामनों को सहेजने में जुटे हैं. राप्ती नदी के बढ़ने के कारण गांव में तेजी से कटान हो रही है. इस गांव के 12 ग्रामीणों के घर देखते ही देखते इनकी आंखों के सामने नदी में विलीन हो गए. ग्रामीण बताते हैं कि ऐसा नजारा 1998 में आई बाढ़ के बाद से नहीं देखा. परिवार खुले आसमान के नीचे आ गया है. तो वहीं अब ये नहीं सूझ रहा कि जीवनभर की गाढ़ी कमाई से बनाया हुआ, घर नदी में विलीन होने के बाद अब वे जाएं, तो जाएं कहा.
गोरखपुर के उत्तर में 22 किलोमीटर दूर जंगल कौडि़या के राजपुरदूबी गांव में कटान से 12 घर राप्ती में विलीन हो गए हैं. ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. जिनका घर गिर गया है, उनके ऊपर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है. ग्रामीण दिन-रात जगकर अपने बचे-खुचे सामान और ईंट को सुरक्षित स्थान तक पहुंचा रहे हैं. जिस घर को अपनी जीवनभर की गाढ़ी कमाई से उन्होंने एक-एक ईंट रखकर बनाया था, उसी घर को आंख से सामने नदी में विलीन होते देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए. गांव के लोग एकजुट होकर एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आ रहे हैं. लेकिन, प्रशासन की ओर से कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं. वे खुले आसमान के नीचे मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
गोरखपुर के राजपुरदूबी गांव के रहने वाले जय प्रकाश पाण्डेय का मकान उनकी आंखों के सामने राप्ती नदी में विलीन हो गया. वे बताते हैं कि तीन दिन में डेढ़ सौ बीघा जमीन नदी में कटान की भेंट चढ़ गई. वे बताते हैं कि 12 घर नदी में विलीन हो गए हैं. वे बताते हैं कि उनका पूरा मकान नदी में समा गया. वे बताते हैं कि पेड़ के नीचे वे लोग खाना-बना रहे हैं. रात में दशहत के कारण जग रहा है. वे बताते हैं कि रात में नदी में पानी की आवाज से भी डर लग रहा है. वे बताते हैं कि एसडीएम आए थे, लेकिन, बस आश्वासन देकर चले गए. उनका सात लोगों का परिवार है. अब समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें. बस सरकार से उम्मीद है.
आलोक पाण्डेय बताते हैं कि काफी नुकसान हुआ है. थोड़ा बहुत खाने-पीने के सामान बचा पाए हैं. उनका पूरा घर नहीं में समा गया है. वे कहते हैं कि नदी की कटान से दिन और रात दशहत में गुजर रहे हैं. रहने के लिए घर नहीं है. वे मांग करते हैं कि उनकी मदद की जाए. वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाते हैं कि वे उनकी मदद करें. आलोक की दादी गुजराती देवी की आंख में बात करते-करते आंसू आ जाते हैं. शत्रुघ्न गौड़ कहते हैं का मकान भी नदी में विलीन हो गया है. वे बताते हैं कि पांच कमरे का मकान नदी में समा गया है. प्रशासन सिर्फ आश्वासन दे रहा है. कोई मदद नहीं मिली है. दोनों अपने रिश्तेदारों के यहां रह रहे हैं.
गांव के रहने वाले आधाराम, पानमती, सरोज बताती हैं कि मकान नदी में विलीन हो जाने की वजह से वे पेड़ के नीचे गुजर-बसर कर रहे हैं. सामान ग्रामीणों के यहां पर रख दिए हैं. प्रशासन के लोग आए और खाली आश्वासन देकर चले गए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मदद की उम्मीद है. वे ही हमारी कुछ मदद करें. हमें जमीन दें, जिससे वे अपने सिर के ऊपर छत ढक सकें. वे बताते हैं कि पूरा मकान नदी में समा जाने से उनके ऊपर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है. ऐसे में उनकी मदद के लिए भी कोई आगे नहीं आया है. वे दिन-रात जगकर अपने सामान को सहेज रहे हैं. ग्रामीणों में भी इससे दहशत है.
गोरखपुर के एसडीएम सदर/ज्वाइंट मजिस्ट्रेट गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि शहर के उत्तर में ग्रामीण इलाके में कटान तेजी से हो रही है. एक गांव में 8 घरों के नदी में विलीन होने की जानकारी मिली थी. वे कल वहां का दौरा करने के लिए गए. वहां पर ग्रामीणों को जमीन दिलाने और अन्य सुविधाओं का इंतजाम किया जा रहा है. वे बताते हैं कि कटान तेजी से हो रही है. नदी का पानी बढ़ रहा है. ऐसे में एहतियात बरतने के निर्देश भी दिए गए हैं. आज पता चला है कि चार और घर नदी में विलीन हो गए हैं. प्रशासन इनकी मदद के पूरे इंतजाम करने का प्रयास कर रहा है.
गोरखपुर के जंगल कौडि़या के राजपुरदूबी गांव में 50 घर रहे हैं. लेकिन, नदी की कटान के कारण 12 घर राप्ती में विलीन हो गए हैं. ऐसे में अन्य ग्रामीणों में भी दहशत का माहौल है. वे चाहते हैं कि प्रशासन के साथ सरकार भी उनके रहने के लिए जमीन की व्यवस्था करें. एक-एक ईंट जोड़कर घर सजाने वाले इन ग्रामीणों का घर अब नदी में विलीन हो चुका है और फिलहाल कोई पुरसाहाल लेने वाला नहीं है.