कैफ़ी आज़मी की 101 वीं जयंती, अपनी कलम के दम पर आज भी जिंदा है ये महान शायर
बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में
क्या खूब कहा है उसने! उस जिंदादिल, उस दिल के सिकंदर कैफ़ी ने। कैफ़ी आज़मी की 101वी जयंती पर न सिर्फ साहित्य जगत या फिल्म जगत, बल्कि पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। कैफ़ी आज़मी साहब ने अपने जीवनकाल में इतनी बेहतरीन नज़्में, और दिल छू लेने वाले नग्मे बनाये कि उनके जाने के बाद भी वे लोगों के दिलों में, और उनकी जुबां पर जिन्दा हैं। उनकी जयंती के मौके पर आइए याद करते हैं उनके कुछ बेहतरीन अश’आर !
इतना तो ज़िंदगी में किसी के ख़लल पड़े
हँसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े
अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँ
वीरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गईं
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो
डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ
कैफ़ी आज़मी ने अपने जीवन में हर राग, हर रंग को कागज पर बखूबी उतारा है। उन्होंने जितना प्रेम लिखा है, उतना ही देश के मुद्दों पर भी लिखा है। उनके कुछ ऐसी ही नज़्में आज के हालात पर भी सटीक बैठती हैं।
बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमाँ जो बस गए
इंसाँ की शक्ल देखने को हम तरस गए
इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद
जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क
यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े
कोई तो सूद चुकाए कोई तो ज़िम्मा ले
उस इंक़लाब का जो आज तक उधार सा है
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं
बेलचे लाओ खोलो ज़मीं की तहें
मैं कहाँ दफ़्न हूँ कुछ पता तो चले
कैफ़ी आज़मी के लेखन का जादू बॉलीवुड के गीतों को एक अलग मायने दे जाता था। कैफ़ी आज़मी ने बॉलीवुड को कई ऐसे गीत दिए जिनपर वक़्त की धुल शायद ही पड़ पाए। ये गीत आज भी लोगों की जुबान पर उस वक़्त आते हैं, जब उनकी जुबान बेशब्द होने लगे।
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो,
क्या गम है जो छुपा रहे हो (लाइवली जगजीत)
वक़्त ने किया क्या हसीं सितम,
तुम रहे न तुम, हम रहे न हम (कागज़ के फूल)
ये दुनिया ये महफ़िल
मेरे काम की नहीं, मेरे काम की नहीं (हीर राँझा)
मिलो न तुम तो हम घरबरायें,
मिलो तो आँख चुराएं, हमे क्या हो गया है (हीर राँझा)
दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई
काहे को दुनिया बनाई (हिंदुस्तान की कसम)
कैफ़ी आज़मी एक ज़िंदादिल शायर होने के साथ साथ एक नेक इंसान भी थे। उन्होंने अपने आखिरी वक़्त में समाजकार्यों को महत्वता देते हुए कई सड़कों, स्कूलो, अस्पतालों के निर्माण में सहायता की। दुनिया में उनके किरदार को सम्मान देते हुए उत्तर प्रदेश में एक सड़क का नाम उनके नाम पर भी रखा गया है।