100, 500, 2000 पर अब दिखेंगी सुभाष चंद्र बोस को तस्वीर ? जाने क्या है पुरा मामला
नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) की 23 जनवरी को 125वीं जयंती है। इस बीच उनके जन्म स्थान कटक (Cuttack) शहर के निवासियों ने एक मांग उठाई है।
उन्होंने महान स्वतंत्रता सेनानी की विशेषता वाले नोटों की मांग को उठाया है। सात साल पहले तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) ने भारतीय मुद्रा नोटों पर बोस की छवि को अंकित करने के प्रस्ताव को स्वीकार किया था। इस प्रस्ताव को भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के पास भेज दिया गया था, लेकिन इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार दोनों चुप हैं।
बता दें सिब चरण (Sib Charan) ने पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी को एक पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने भारतीय मुद्रा पर सुभाष चंद्र बोस की छवि छापने के लिए अनुरोध किया था।
मुखर्जी ने आश्यक कार्रवाई के लिए रिजर्व बैंक को लेटर भेजा था। 1 अगस्त 2013 को आरबीआई ने सिब चरण को सूचना दी कि बैंक करेंसी नोटों में प्रकाशों, स्मारकों, तस्वीरों आदि के लिए जनता के सुझाव प्राप्त करता है। लेकिन अंतिम निर्णय भारत सरकार द्वारा लिया जाता है।
सिब चरण ने कहा कि इस मामले में वित्त मंत्रलाय के आर्थित विभाग से स्पष्टीकरण मांगा है। मैंने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी सहित कई नेताओं को पत्र लिख चुका हूं। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार दोनों की आलोचना की है।
सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर एक नजर:
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ उन्होंने जापान की सहायता से आजाद हिंद फौज का गठन किया था। बोस का दिया ‘जय हिंद’ राष्ट्रीय नारा बन गया। वहीं ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ नारे नें भी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए भारतीयों को प्रेरित किया। बोस ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने दिल्ली चलों का नारा दिया। 21 अक्टूबर 1943 को नेताजी ने आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च कमांडर की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनाई थी। जिसमें जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दी। जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप अस्थायी सरकार को दे दिया। बोस ने उन द्वीपों का नामकरण किया था।
1944 को आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों पर आक्रमण किया और कुछ भारतीय प्रदेशों को मुक्त करवाया। सुभाष चंद्र की मौत को लेकर आज भी विवाद है। आजाद हिंद फौज के 75 साल पूरे होने पर इतिहास में पहली बार साल 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 अक्टूबर को लाल किले पर तिरंगा फहराया था।